NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रोज़गार के सवाल पर जनमत संग्रह में तब्दील होता जा रहा बिहार चुनाव!
बिहार के लिए अगले 10 दिन निर्णायक हैं, क्या महागठबंधन इस बढ़त को बरकरार रख पायेगा और इसे और बढ़ा ले जाएगा? या मोदी-नीतीश की जोड़ी इसको पलटने में कामयाब हो जाएगी?
लाल बहादुर सिंह
23 Oct 2020
bihar

बिहार विधानसभा का यह चुनाव रोजगार के सवाल पर जनमत संग्रह (Referendum ) में तब्दील होता जा रहा है। चुनाव का सर्वप्रमुख मुद्दा बनते जा रहे इस सवाल की काट न नीतीश कुमार के पास है, न मोदीजी के पास।

हर आने वाले दिन के साथ बिहार चुनाव में महागठबंधन की स्थिति और अधिक मजबूत होती जा रही है। 

न्यूज़क्लिक के इन्ही पृष्ठों पर लिखा गया था कि  "आज जिस तरह रोजगार और पलायन का मुद्दा विमर्श के केंद्र में आता जा रहा है, वह मोदी-नीतीश के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है

......ऐसा लगता है कि युवापीढ़ी के बीच रोजगार, पलायन, बिहार की विकासहीनता के मुद्दों पर सरकार से नाराजगी की एक गहरी अंडरकरंट (undercurrent) चल रही है।"

दरअसल, महागठबंधन के घोषणापत्र ने 10 लाख नौकरियों का एलान करके युवाओं की रोजगार की इसी गहरे संचित आकांक्षा को स्वर दे दिया है, उनकी उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं और  तेजस्वी की रैलियों में  उनका हुजूम उमड़ रहा है।

नीतीश और भाजपा यह तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि इस तूफान से कैसे निपटा जाय। उनका हर दांव उल्टा पड़ रहा है। हड़बड़ी में पहले नीतीश, सुशील

मोदी और भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने इसे रिजेक्ट करके और इसका मजाक उड़ा कर नौजवानों की नाराजगी को और बढ़ा दिया।

उन्हें लगा ये हमारी नौकरियों का विरोध कर रहे हैं।

याद करिये, नीतीश ने तो यहां तक कहा था कि बिहार में बेरोजगारी इसलिए है कि यह landlocked है, यहां समुद्र नहीं है !

फिर उन्होंने और सुशील मोदी दोनों ने बजट का सवाल उठा दिया कि इसके लिए पैसा कहाँ से आएगा।

अब मामला बिगड़ता देख अचानक निर्मला सीतारमण ने पटना पहुँचकर 19 लाख रोजगार की बात कर दी। यह करके सबसे पहले तो उन्होंने नीतीश, नड्डा, सुशील मोदी को हास्यास्पद बना दिया जो 10 लाख नौकरी पर ही सवाल उठा रहे थे।

लोगों को यह समझते देर नहीं लगी कि यह 10 लाख सरकारी नौकरियों की काट के लिए मोदी सरकार की ओर से फेंका गया एकदम fraud, सफेद झूठ और शुद्ध जुमला है। लोग इन्हीं निर्मला सीतारमण के कोरोना राहत के नाम पर 20 लाख करोड़ के पैकेज को अभी भूले नहीं हैं!

दरअसल रोजगार के सवाल पर मोदी सरकार का track-record और विश्वसनीयता रसातल में है। लोगों ने पूछना शुरू किया कि 2 करोड़ रोजगार के वायदे का क्या हुआ?

इस पर भाजपा वालों ने यह सफाई देना शुरू की कि मोदी जी ने 2 करोड़ रोजगार की बात की थी, सरकारी नौकरियों की नहीं, अर्थात इसमें पकौड़ा तलने वाला रोजगार भी शामिल है!! अफसोस मोदी जी वह भी नहीं दे सके, कोरोना काल में तो 2 करोड़ नौकरियों समेत 14 करोड़ की रोजी रोटी उनकी कृपा से छिन गयी!

कुल मिलाकर लोगों को यह समझ मे आ गया कि निर्मला ताई का 19 लाख रोजगार का चुनावी वादा या तो चंडूखाने की कोरी गप्प है या पकौड़ा तलने के काम की बात! इसके विपरीत महागठंबधन की घोषणा 10 लाख सरकारी नौकरियों का ठोस वायदा है। एक ऐसे दौर में जब राज्य में बेरोजगारी 46% हो, यह एक बेहद सुकूनदेह एलान है।

जाहिर है जहां 51% मतदाता 18 से 35 साल के बीच के हैं और उसमें भी आधे मात्र 18 से 25 साल के छात्र-युवा हैं, वहां नौकरियों की इस बहस की केन्द्रीयता ने चुनाव के पूरे विमर्श को ही बदल दिया है और वह चुनाव नतीजों को तय करने जा रही है।

जाहिर है इसकी अपील जाति-मजहब के पारंपरिक दायरों को पार (Transcend) कर गयी है और इन आधारों पर होने वाला परंपरागत voting पैटर्न टूट रहा है, जिस पर नीतीश-भाजपा की आश टिकी थी, क्योंकि इस खेल के ही वे सबसे बड़े master हैं।

इतिहास गवाह है जब भी इस तरह के बड़े जनमुद्दे, सेकुलर मुद्दे, चुनाव के केंद्र में आये हैं, जाति-समुदाय-धर्म के सारे समीकरण धवस्त हो जाते हैं,  धनबल-बाहुबल-सारी धाँधली, वह EVM की ही क्यों न हो, धरी रह जाती है।

रोजगार के सवाल पर युवाओं के बीच इस हलचल ने उस सारे एजेंडा को भी बेमानी बना दिया है, जिसे नीतीश-भाजपा सेट करना चाह रहे थे, मसलन नीतीश राज का 15 साल बनाम लालू राज का 15 साल, जिसकी अब आज के इन युवाओं के मन में कोई स्मृति भी नहीं बची है।

ठीक इसी तरह मोदी जी के मंत्री नित्यानन्द राय द्वारा महागठबंधन के जीत जाने पर कश्मीर से आतंकवादियों के बिहार आ जाने का शिगूफ़ा या भाजपा अध्यक्ष नड्डा द्वारा 300 आतंकवादियों की आसन्न घुसपैठ का हौवा या बड़बोले गिरिराज सिंह का जिन्ना का नफ़रती अभियान हवा में उड़ गया, किसी ने नोटिस ही नहीं लिया।

जाहिर है जनता के जीवन से जुड़े इन बुनियादी सवालों के केंद्र में आ जाने के कारण भाजपा के न0 2 स्टार प्रचारक योगी जी की मंदिर बनाने का वायदा पूरा करने पर अपने मोदी जी की तारीफ या राजनाथ सिंह की धारा 370 पर खुद ही पीठ थपथपाने जैसी बातों पर बिहार में एक पत्ता भी नहीं खड़का, इनकी चुनावी सभाएं मतदाताओ से connect कर पाने और कोई असर छोड़ने में पूरी तरह नाकाम रहीं।

महागठबंधन में वामपंथी ताकतों की उपस्थिति ने रोजगार के एजेंडा को स्थापित करने और इसे विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि उनके छात्र-युवा संगठनों की रोजगार के सवाल पर जुझारू संघर्ष की सुदीर्घ परम्परा है और आज वे बिहार से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक इस लड़ाई के अगुआ हैं।

एक ऐसे दौर में जब देश में बेरोजगारी आज़ादी के बाद के सर्वोच्च शिखर पर हो, यह होना ही था।

दरअसल, इसका संकेत तो एक महीने पहले 17 सितम्बर को ही मिल गया जब एक समय युवाओं के चहेते रहे मोदी जी का जन्मदिन नौजवानों ने बेरोजगारी दिवस और जुमला दिवस के रूप में मनाया और ताली-थाली पीटा। उस दिन

#NationalUnemploymentDay और #राष्ट्रीयबेरोजगारीदिवस पूरे दिन सोशल मीडिया में टॉप ट्रेंड करता रहा और 46 लाख बार शेयर किया गया!

सच्चाई यह है कि रोजगार का सवाल राजनैतिक मुद्दा बनता जा रहा है और यह यहीं बिहार चुनाव तक नहीं रुकने वाला, यह मोदी जी की सर्वशक्तिमान सत्ता की तकदीर तय करने की तरफ बढ़ रहा है।

यह तय है कि मोदी जी के कार्यकाल के बचे अगले साढ़े तीन साल नौजवान उनको चैन से नहीं बैठने देंगे और सबके लिए रोजगार का नारा संसद से सड़क तक गूंजता रहेगा।

बिहार में चुनावी फ़िज़ा में बदलाव की दृष्टि से यह तीसरा चरण चल रहा है। पहले चरण में यह माना जा रहा था कि कोई लड़ाई ही नहीं है, नीतीश का मुख्यमंत्री बनना तय है।

लेकिन जब राजद-वाम-कांग्रेस का महागठबंधन smooth ढंग से बन गया और उधर चिराग पासवान ने अपने को मोदी जी का हनुमान बताते हुए नीतीश को मुख्यमंत्री न बनने देने का एलान कर दिया तब यह कहा जाने लगा कि अब चुनाव खुला हुआ है और यद्यपि यह NDA की ओर झुका हुआ है लेकिन यह तय है कि नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, हो सकता है भाजपा जोड़तोड़ कर अपना मुख्यमंत्री बना ले, फैसला महागठबंधन के पक्ष में पलट भी सकता है ।

लेकिन जब से 10 लाख नौकरियों का, रोजगार का सवाल केंद्रीय मुद्दा बना है, अब इस तीसरे चरण में महागठबंधन ने स्पष्ट बढ़त ले ली है।

बिहार में तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान है। इसी को लेकर राज्य के लिए अगले 10 दिन निर्णायक हैं, क्या महागठबंधन इस बढ़त को बरकरार रख पायेगा और इसे और बढ़ा ले जाएगा? या मोदी-नीतीश की जोड़ी इसको पलटने में कामयाब हो जाएगी?

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

 

Bihar Elections 2020
bihar election
unemployment
BJP
jdu
RJD

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License