NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
लेकिन, किन्तु, परन्तु, अगर, मगर, फिर भी से परे है 'मोरोना' वायरस
अंग्रेजी में मोरोन (Moron) शब्द मूर्खता का समानार्थी होता है। इंदौर में जो हुआ वह ‘मोरोना’ वायरस का प्रकोप था।  
बादल सरोज
04 Apr 2020
 इंदौर

बीते बुधवार को इंदौर की टाटपट्टी बाखल में कोरोना संभावित बुजुर्ग को जांच के लिए गयी डॉ ज़ाकिया सैयद और नर्सेज, पैरा मेडिकल स्टाफ के साथ जिस तरह की बेहूदगी और बदतमीजी हुई उसकी सिर्फ निंदा, भर्त्सना और मज़म्मत ही की जा सकती है।  

उसे लेकर किसी भी लेकिन, किन्तु, परन्तु, अगर, मगर, फिर भी जैसी पतली गली तलाशना किसी मुकाम पर नहीं पहुंचाता। ऐसा करने वाले, कुछ जाने में और काफी कुछ अनजाने में, उन्हीं मूर्ख शोहदों की जमात में खड़े होते हैं जिन्होंने इस मेडिकल टीम पर पत्थर फेंके, कहते हैं कि उन पर थूका, उन्हें अपनी बाखल से खदेड़ बाहर किया।

उनमे और इन किन्तुआरियों-परंतुकारियों-लेकिनधारियों में अंतर सिर्फ इतना है कि उनके हाथ में गालियां और पत्थर थे इनके हाथ में शब्द और कुतर्क हैं। वरना दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई।

बात शुरू करने से पहले यह दोहराना जरूरी है कि टाटपट्टी बाखल में हुई बेहूदगी की देश भर में निंदा हुई है और किसी ने भी इसे जायज ठहराया हो ऐसा-अभी तक- नजर नहीं आया। इस मूर्खता के प्रकट होने वाली रात को ही मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब ने इंदौर के इन जाहिलों की सख्त मजम्मत, कड़ी भर्त्सना की थी।

उनकी आवाज में अपनी और अपने जैसों की आवाज मिलाते हुए सिर्फ इतना और जोड़ना चाहेंगे कि कानूनी धाराओं में लिखी गयी सजा के अलावा इसमें लिप्त मूर्खों को कम से कम तीन महीने की तालीम अलग से दी जानी चाहिये जिसमे इन्हें बैक्टीरिया, वायरस और हाईजीन की न्यूनतम शिक्षा दी जाये।

इंदौर में जो हुआ वह मोरोना वायरस का प्रकोप था।  

अंग्रेजी में मोरोन शब्द मूर्खता का समानार्थी होता है। चूंकि यह समय कपड़ों से लोगों की पहचान करने का समय है इसलिए इन दिनों भाषाओं के भी धर्म तय कर दिए गए हैं। शब्दों के भी मजहब हो गए हैं।  

मोरोना का यह वायरस जब टाटपट्टी बाखल में संक्रमित हुआ तो इसने टोपी पहन ली और यह जहालत का वायरस हो गया- जबकि कायदे से इसे इंदौर की मीठी मालवी में बेन्डेपन का वायरस कहना ज्यादा सही और समझ में आने लायक होता।

बहरहाल भाषा या वर्तनी बदलने के बावजूद मूर्खता, मूर्खता ही रहती है, समझदारी नहीं बन जाती। मूर्खता या जहालत जो भी कह लें, उनका डीएनए एक है। उसकी खासियत यह है कि वह पूरी तरह सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष-  सही शब्द होगा सर्वधर्म समभावी होती है। इसलिए इनमे अक्सर यह साबित करने के लिए जंग छिड़ी रहती है कि मेरी जहालत तेरी मूरखता से ज्यादा पाक और पावन है। खालिस और अपौरुषेय है। प्राचीन और सनातन है। क्योंकि जैसा कि अनेक विद्वानों ने कहा और वरिष्ठ कवि कुमार अम्बुज ने दोहराया है तमाम मूर्खताओं, जहालतों में धार्मिक मूर्खतायें सर्वश्रेष्ठ होती हैं। हालांकि इनमे कितनों ने धर्म की किताबें पढ़ी होती हैं इसके बारे में कहना मुश्किल है।

यही जहालत का वायरस था जो मरकज के किसी मौलाना की तक़रीर में कोरोना से बचने के लिए कुछ ख़ास आयतों को पढ़ना काफी बताते हुए, संक्रमितों की संख्या में दर्जन डेढ़ दर्जन की तादाद जोड़ने के साथ अपनी मूर्खता (सॉरी, जहालत) से कुछ लोगों को इस विषाणु का मजहब तय करने की सहूलियत और मीडिया को अपनी पुरानी कहानी दोहराने के लिए नयी घनगरज दे गया।

मित्र पत्रकार, पूर्व सम्पादक नसीर कुरेशी ने बताया कि हदीस में लिखा है कि "अगर आपको यह पता लगता है कि किसी जगह प्लेग फैला है तो वहां नहीं जाएं। अगर जहां आप हैं, वहां प्लेग फैल गया है, तो वहां से कहीं नहीं जाएं।"  तब्लीगी मरकज के मौलाना ने हदीस नहीं पढ़ी होगी यह मानने की कोई वजह नहीं है ।  

इतिहास का एक सबक है (जिसे पता नहीं विज्ञान और चिकित्सा बिरादरी मानेगी या नहीं) और वो यह है कि कोरोना सहित दुनिया के किसी भी जानलेवा वायरस से ज्यादा खतरनाक होता है जहालत और मूर्खता वाला मोरोना वायरस।

इसके संक्रमण की रफ़्तार ध्वनि और आवाज की गति से भी तेज होती है और नतीजे में होने वाली मौतों की संख्या भी बहुत ज्यादा होती है। इसके संक्रमण से होने वाली मौतों के दो और खतरनाक आयाम हैं।  एक ये कि व्यक्ति की देह ज़िंदा दिखती है, उसका दिल दिमाग और मनुष्य मर जाता है। दूसरी यह कि यह सिर्फ मानवताओं का ही संहार नहीं करता सभ्यताओं का भी सर्वनाश कर देता है।

हर बैक्टीरिया-वायरस की तरह इस वायरस का भी मौलिक और प्रमाण समर्थित एक ख़ास गुण है। जिसमे यह पलता और जिसके जरिये यह फैलता है अपने उस कैरियर को यह कतई नुक्सान नहीं फैलाता।

दुनिया के अनुभव गवाह है कि अंधविश्वास और टोने टोटकों और झाड़फूंक और घण्टा घंटरियों को मुफीद इलाज और मुर्गे मुर्गियों की बलि को अचूक समाधान बताने वाले खुद अपने ऊपर कभी इस तरह के प्रयोग नहीं करते। वे सीधे किसी फाइव स्टार नर्सिंग होम में जाते हैं, अपनी हैसियत के मुताबिक़ दुनिया का सबसे बेहतरीन डॉक्टर ढूंढते हैं। बाकियों को अंधविश्वास में रखना एक जाँची परखी आजमाई विधा है। राज चलाने और शासन करने की विधा।  

दार्शनिक विचारक ग्राम्शी के शब्दों में कहें तो  "शासन करने वाले सिर्फ सत्ता के दिखाई देने वाले उपकरणों के जरिये ही राज नहीं करते। वे एक वर्चस्व (हेजेमोनी) कायम करते हैं। दिमाग पर कब्जा करते हैं। इसके लिए वे एक पूरक सत्ता (सप्लीमेंटरी स्टेट) का सहारा लेते हैं।"

 नॉम चोम्स्की ने इसे "मैन्युफैक्चरिंग कन्सेंट" का नाम दिया। यही बात ग्राम्शी और चोम्स्की से कोई 2200 वर्ष पहले चाणक्य अपनी मार्गदर्शिका कौटिल्य के अर्थशास्त्र में लिख गए थे कि  "राजा को चाहिये कि वह अपनी प्रजा को ईश्वर से डरा कर रखे अन्यथा उसका राज चलना कठिन हो जाएगा। राजा को चाहिए कि वह स्वयं ईश्वर से कदापि भयभीत नहीं हो,  वरना उसके लिए राज चलाना कठिन हो जाएगा।"  

अंधविश्वास और अवैज्ञानिकता के थोक और खेरीज सप्लायर्स इसी तरह की पूरक सत्ता हैं। असफल और जनविरोधी शासकों के लिए अवैज्ञानिकता और अंधविश्वासों की जकड में फंसी जनता हमेशा उपयोगी रहती है।  

यही वजह है कि मोरोना वायरस महाद्वीपों को लांघता, भाषाओं, धर्मों की सीमाएं तोड़ता अमरीका से लेकर इटली और पड़ोसी पाकिस्तान से लेकर ईरान और दूरस्थ ऑस्ट्रेलिया तक समान रूप से विचरण करता हुआ पाया जाता है।  इन सभी देशों के हुक्मरान और उनकी पूरक सत्ताएं - हर तरह के मठ और मठाधीश बजाय इसका खण्डन करने के इसे महिमामण्डित करते हुए पाए जा रहे हैं।

क्या यह वायरस सिर्फ टाटपट्टी बाखल या निज़ामुद्दीन के मरकज तक महदूद है? नहीं।  यहां जहालत के बरक्स मूर्खता के वायरस के इस तरह के बाकी उदाहरण गिनाकर "पोलिटिकली करेक्ट" होने या "संतुलित" दिखने की कोई इच्छा नहीं। उन्हें इसलिए नहीं लिखा क्योंकि कोई भी लेकिन, किन्तु, परन्तु, अगर, मगर, फिर भी से बचना है और इस बार मूर्खता की नहीं जहालत भर की मज़म्मत करना है।  

ऐसा है तो चलिए ऐसा ही सही। हालांकि इस तरह की शाकाहारी शर्त उन्हीं को शोभा देती हैं जो मूर्खता और जहालत में फर्क न करते/करती हों। जो वैष्णो देवी में "फँसे" तीर्थयात्रियों और मरकज़ में "छुपे" जमातियों की खबर में इस्तेमाल शब्दों के पीछे की धूर्तता समझती हो। खैर कुछ तो मजबूरियाँ रहती होंगी, यूं कोई चुनिंदा नहीं होता।  

बस एक बात और कि कोरोना हाथ मिलाने से फैलता है- मोरोना, जहालत का हो या मूर्खता का, हाथ मिलाने से ठीक होता है। गले मिलने से हमेशा के लिए बचाव की प्रतिरोधक क्षमता वाला टीका लगा जाता है।

पत्थर खाने और अपमानित होने के अगले ही दिन ठीक उसी जगह दोबारा पहुंचकर डॉ ज़ाकिया सैयद और उनकी टीम ठीक यही काम कर थीं। उन्हें सादर प्रणाम।    

(बादल सरोज वरिष्ठ लेखक-पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं)

Corona Virus
COVID-19
Indore
Corona cases
Tablighi Jamaat
Nizamuddin
Religion Politics
Morona Virus
Attack on Medical Team

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License