NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीएबी का विरोध जारी : पत्रकार शिरीन दलवी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार
हाल ही में जानी-मानी उर्दू पत्रकार और मैगज़ीन "अदबनामा" की एडिटर शिरीन दलवी ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है, जो उन्हें 2011 में दिया गया था।
आईसीएफ़
12 Dec 2019
शिरीन दलवी
Image courtesy Newslaundry

नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसम्बर को राज्य सभा में पास हो गया है। लेकिन देश भर में इसका विरोध जारी है। छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं सिविल सोसाइटी के बाशिंदों ने लगातार प्रदर्शन कर इस बिल का विरोध किया है और लगातार कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि नागरिक संशोधन विधेयक असंवैधानिक है और ये देश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति पर हमला है।

इसी कड़ी में हाल ही में जानी-मानी उर्दू पत्रकार और मैगज़ीन "अदबनामा" की एडिटर शिरीन दलवी ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है, जो उन्हें 2011 में दिया गया था।

उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा:

 "मैं इस बात से हताश और हैरान हूँ कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीएबी को पास कर दिया, ये बिल हमारे संविधान और धर्मनिरपेक्षता पर हमला है। इस अमानवीय कृत्य का विरोध करते हुए मैं अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रही हूँ जो मुझे 2011 में साहित्यिक योगदानों के लिए दिया गया था। ये बिल सरासर ना-बराबरी और ना-इंसाफ़ी करता है।

मैं अपना समान लौटा कर अपने लोगों और धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के लिए लड़ रहे लोगों के साथ खड़ी हो रही हूँ। हम सबको अपने संविधान और अपने गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाने के लिए एक साथ खड़ा होना होगा।"

शिरीन दलवी हिंदुस्तान की इकलौती महिला हैं जो उर्दू की एडिटर हैं। इंडियन कल्चरल फ़ोरम से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस बिल में ग़ैर मुल्की ईसाई, बुद्धिस्ट, जैन वगैरह समुदाय के लोगों को ये सहूलत दी गई है कि अगर वो 6 साल से यहाँ रह रहे हैं तो वो यहाँ की शहरियत के लिए दरख़्वास्त कर सकते हैं, लेकिन इसमें मुसलमानों का नाम नहीं है। तो ये मामला सिर्फ़ मुस्लिम क़ौम के साथ है कि उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा या गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। हम इसके ख़िलाफ़ नहीं हैं कि दूसरी क़ौमों को शहरियत दी जा रही है, लेकिन सिर्फ़ मुस्लिम क़ौम के साथ ना-इंसाफ़ी क्यों हो रही है? उन्हें भी इस मुल्क में रहने का बराबर का हक़ है।"

पत्रकार शिरीन दलवी ने ये भी कहा कि आज कल जो चीज़ें हो रही हैं, उसकी सारी हक़ीक़त हम तक नहीं पहुँच पाते हैं, होता कुछ है बताया कुछ और जाता है।

शिरीन दलवी अपने इस बयान और अपने इस क़दम के मुताल्लिक़ आज शाम को दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने वाली हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी को असंवैधानिक, अमानवीय बताते हुए देश भर में प्रदर्शन चल रहे हैं। अकेले असम में छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और इस बिल को वापस लेने की मांग सरकार से कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री का संदेश किसके लिए?

सीएबी के मुताल्लिक़ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के नागरिकों के लिए एक संदेश ट्वीट कर कहा है कि वो सीएबी को लेकर निश्चिंत रहें। आपको ये बता दें कि असम के 10 ज़िलों में इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं और उस राज्य का हाल भी वैसा ही है जैसा 5 अगस्त के बाद से कश्मीर का है, जब वहाँ अनुच्छेद 370 ख़त्म कर दिया गया था।

विभिन्न सामाजिक संगठनों, अभिनेताओं, कलाकारों और अन्य लोगों ने सीएबी का विरोध करते हुए अपने बयान जारी किए हैं और मोदी सरकार के इस फ़ैसले का भरसक विरोध किया है।

इंडियन कल्चरल फ़ोरम इस बिल को असंवैधानिक और अमानवीय क़रार देता है। और इस बिल को देश के अल्पसंख्यकों पर, देश की धर्मनिरपेक्ष और गंगा-जमुनी तहज़ीब पर हमला मानता है।

CAB
Citizenship Amendment Bill
CAB Protests
journalist Shirin Dalvi
Returns Sahitya Academy Award
Amit Shah
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License