NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
कोविड-19 पर नहीं है कोई रोड मैप, हर शहर अपने हिसाब से दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है : डॉ नवजोत दाहिया, आईएमए
‘इसमें कोई शक नहीं है कि स्वास्थ्यमंत्री को जवाबदेह माना जाना चाहिए। लेकिन सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि फ़ैसले लेने की सारी ताक़त प्रधानमंत्री कार्यालय के पास है।’
रश्मि सहगल
04 May 2021
कोविड-19 पर नहीं है कोई रोड मैप, हर शहर अपने हिसाब से दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है : डॉ नवजोत दाहिया, आईएमए

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवजोत दाहिया उन डॉक्टरों में शामिल हैं, जिन्होंने सबसे पहले खुलेआम प्रधानमंत्री मोदी पर कोरोना वायरस के “सुपर स्प्रेडर” होने का आरोप लगाया। दाहिया हड्डियों के सर्जन हैं और जालंधर के ग्लोबल हॉस्पिटल में काम करते हैं। उनका मानना है कि हमारे चिकित्सा बिरादरी को कोरोना संकट की शुरूआत से ही नज़रंदाज करना शुरू कर दिया गया था। इसी के चलते कोरोना की दूसरी लहर आई है।

आप उन कुछ डॉक्टरों में से एक हैं, जिन्होंने खुलेआम गुस्सा जाहिर किया है और कोरोना की दूसरी लहर के बीच राजनीतिक रैलियां करने और कुंभ मेले के आयोजन की अनुमति देने के चलते प्रधानमंत्री मोदी पर ‘सुपर स्प्रेडर’ होने का आरोप लगाया?

जब नए कोरोना वायरस की पहली लहर भारत में पहुंची थी, तो हमारी चिकित्सा बिरादरी के लोगों ने जनता में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाने के लिए कड़ी मेहनत की। चाहे वह शारीरिक दूरी की बात हो या मास्क पहनने की। जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तो तुरंत मेरे अस्पताल को कोविड हॉस्पिटल में बदल दिया गया, जहां मरीज और मेडिकल स्टाफ से सभी प्रोटोकॉल के पालन की उम्मीद की गई। 2020 के खात्मे और 2021 की शुरुआत से हम अपने मरीज़ों को प्रोटोकॉल का पालन करने की बात कह रहे हैं। लेकिन वह लोग हमसे पलटकर कहते कि हम सिर्फ़ उनके भीतर डर बैठाने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर तब जब प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट बिना मास्क के ही बड़ी रैलियां कर रहे हैं।

पिछले साल भी जब 2020 जनवरी में कोरोना का पहला मरीज़ सामने आया था, तो मोदी ने इसी तरीके से व्यवहार किया था। हमारे प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत करने के लिए एक लाख से ज़्यादा लोगों वाली बडी रैली का आयोजन करवा रहे थे। उस वक़्त वह भी कोरोना वायरस फैलाने वाला बड़ा कार्यक्रम था। हमने पूरा एक साल गंवा दिया, इस दौरान हमारे स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की कोशिश नहीं की गई। 

चिकित्सा बिरादरी को खुलकर बोलने और मोदी समेत उनकी कैबिनेट की आलोचना करने से इतने महीने तक कौन रोकता रहा। और अब आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?

देश के बाकी अस्पतालों की तरह हमारा अस्पताल भी ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयों की कमी से जूझ रहा है। हम पूरी तरह बेबस नज़र आ रहे हैं। हमारा अस्पताल खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाने में सक्षम नहीं है। हम अपनी आपूर्ति के लिए पूरी तरह सरकार पर निर्भर हैं। ऑक्सीजन निर्माण से संबंधित कई आवेदन केंद्र सरकार के पास लंबित पड़े हैं। इसे लेकर मोदी सरकार गंभीर रवैया नहीं अपना रही है। 

लेकिन ऐसा कहना गलत है कि हमने पहले आलोचना के स्वर तेज नहीं किए। हम सरकार की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन मीडिया ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जबसे मेडिकल काउंसिल को खत्म किया गया है, तबसे हम बहुत आलोचना कर रहे हैं। जब कोलकाता में कोरोना की पहली लहर के दौरान डॉक्टरों और नर्स पर हमले हुए, हम तब भी सड़कों पर उतरे थे। 

जब सरकार ‘क्लिनिकल एस्टाब्लिसमेंट एक्ट’ लेकर आई, तब हमने प्रदर्शन किए। इस कानून के ज़रिए छोटे नर्सिंग होम्स और प्रसूति केंद्रों को महंगे उपकरणों में निवेश के लिए मजबूर किया गया।  यह काननू अंधाधुंध तरीके से कॉरपोरेट अस्पतालों के पक्ष में है। जब भारत में मरीजों की भुगतान करने की क्षमता बहुत कम है, तो ऐसे में महंगे उपकरणों में छोटे क्लिनिक कैसे निवेश कर सकते हैं। मेडिकल छात्रों की फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ भी हम डॉक्टरों ने दिल्ली में बड़े प्रदर्शन किए। हम गरीब़ देश हैं और हमें यह भूलना नहीं चाहिए। 

चिकित्सा बिरादरी ने महामारी से निपटने वाले रोडमैप को सार्वजनिक करने की मांग क्यों नहीं उठाई? 

हमारी तरफ से लगातार प्रोटोकॉल बनाने, ऑक्सीजन प्लांट लगाने और देशी फार्मा उद्योग को मजबूत करने की मांग की गई। जब पहली लहर आई थी, तब पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट मौजूद नहीं थीं और हम उनका आयात कर रहे थे। अब स्थिति बदल चुकी है। लेकिन हमें जरूरत है कि तकनीकविद्, अफ़सरों को सलाह उपलब्ध कराएं। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

लेकिन प्रधानमंत्री पर ‘सुपर स्प्रेडर’ होने का आरोप?

हमारे देश में लोग धार्मिक और राजनीतिक नेताओं पर भरोसा करते हैं। उनका अनुसरण करते हैं। जब राजनेता ही रोड शो और रैलियां करते नज़र आ रहे हैं, तो ऐसे में लोगों का उनसे सीख लेना स्वाभाविक है। पहले मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मी सभी तरह के प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं, लेकिन इस दौरान उन्हीं प्रोटोकॉल का राजनेता खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं। इसलिए कोरोना के मामलों में इतने उछाल का माहौल बना। हम सभी नतीज़ा देख ही रहे हैं। शमशान घाटों में शवों का जमावड़ा है और देश के हर शहर में अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस की लंबी-लंबी कतारें हैं।

लेकिन पंजाब ने भी पंचायत चुनाव करवाए। ऐसा नहीं लगता कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी अपनी मनमर्जी की?

हां, निश्चित ही पंजाब ने पंचायत चुनाव करवाए, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश ने भी इनका ऐलान किया। मैं नहीं जानता कि ऐसी कौनसी संवैधानिक मजबूरी थी, जो उन्हें ऐसा करना पड़ा।

भले ही सरकार ने रोड मैप ना बनाया हो, लेकिन चिकित्सा बिरादरी बना सकती थी और इसे जनता के सामने रख सकती थी?

हम डॉक्टर पहले ही मरीज़ों की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम राजनीतिक लोग नहीं हैं। हमारा सरकार के साथ व्यवहार एसडीएम, डेप्यूटी कलेक्टर स्तर पर होता है। वे लोग हमारे विचार नहीं समझ पाते। उदाहरण के लिए, ऑक्सीजन की मौजूदा कमी में सरकार हर अस्पताल के लिए ऑक्सीजन का आवंटन करने लगी है। एक अस्पताल को 40 सिलेंडर मिलते हैं, तो दूसरे को 20 मिलते हैं। लेकिन तब क्या होगा जब आधी रात को हमारे पास चार मरीज़ और आ जाएं। तब हम अतिरिक्त ऑक्सीजन कहां से लाएंगे?

इसके लिए एक समान नीति होनी थी कि कैसे ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी और कितनी ऑक्सीजन आपातकाल के लिए रखी जाएगी। एक डॉक्टर के तौर पर मुझे दिल्ली के लोगों के 15 से 20 फोन रोज आते हैं, जो अपने मरीजों को जालंधर लाना चाहते हैं। क्योंकि दिल्ली में ऑक्सीजन और अस्पतालो में बिस्तरों की कमी है। पूरे पंजाब में भी ऐसा हो रहा है और यही वो तरीका है, जिससे देश के हर कोने में वायरस फैलेगा। मेरा सवाल है कि क्यों मोदी सरकार 30 हजार या ज़्यादा अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन और दवाइयों की मांग का अंदाजा लगाकर नीति नहीं बना पाई?

क्या आप कह रहे हैं कि कोई रोड मैप ही मौजूद नहीं है?

हमें ऐसा कुछ रोड मैप नहीं दिया गया। एक निजी चिकित्सक के तौर पर मुझे पता ही नहीं है कि कौन सी व्यवस्था कब लागू होगी और मुझे किन चीजों का पालन करना होगा। हर शहर अपने विशेष दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है। पहली बार हमें गूगल शीट भरने के लिए दी गई हैं। यह सब चीजें पहले की जानी थीं। लोगों भी को बताया जाना था कि उन्हें कितना पैसा इलाज़ के लिए देना होगा और कौन सा अस्पताल कौन सी सेवा उपलब्ध करा रहा है।

पंजाब में क्या स्थिति है?

हमारी स्थिति बेहतर है। जालंधर के बारे में बात करूं तो जब हमारे सामने ऑक्सीजन की कमी आने लगी, तो हमने नर्सिंग होम्स का एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया और अपने संसाधनों को एकजुट कर लिया। अब हम ऑक्सीजन और दूसरी आपूर्ति के लिए एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।

किसान आंदोलन के साथ मोदी सरकार ने जिस तरीके का व्यवहार किया, आपने उसकी भी खूब आलोचना की।

कृषि कानूनों के खिलाफ़ किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर भी मोदी ने सही तरीके से काम नहीं किया। उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान करने के गंभीर प्रयास नहीं किए। एक महामारी के दौरान उन्होंने किसान समूहों को बड़ी संख्या में जुटने पर मजबूर किया, इससे भी संक्रमण फैलने का गंभीर ख़तरा पैदा हुआ।

क्या दूसरी लहर की जवाबदेही स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन पर भी डाली जानी चाहिए, जो संयोग से खुद एक डॉक्टर हैं?

इसमें कोई शक नहीं है कि स्वास्थ्यमंत्री को जवाबदेह माना जाना चाहिए, लेकिन सामान्य तौर पर यही माना जाता है कि फ़ैसले लेने की सारी शक्ति प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके अफ़सरों के पास है।

कोरोना के मामलों के इस ऊंचे चढ़ते वक्र को हम कब सीधा होते हुए देखेंगे?

पंजाब में हमने देखा कि NRI लोग यूके वेरिएंट से संक्रमित होकर वापस लौटे। जालंधर (दोआब) के आसपास कोरोना के मामलों का वक्र सीधा हो रहा है। लेकिन भटिंडा और मालवा क्षेत्र में ऐसा नहीं है। मैं बाकी देश के बारे में नहीं कह सकता। आज हर चौथा इंसान पॉजिटिव हो रहा है। मैं महामारी विशेषज्ञ नहीं हूं,  पर मुझे लगता है कि इसमें 15 से 20 दिन लगेंगे। इस महामारी को काबू में करने का एकमात्र तरीका वैज्ञानिक ज्ञान और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना ही है।

रश्मि सहगल एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। 

 इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

COVID-19: No Road-Map, Each City Coping with Own Ad-Hoc Guidelines, Says IMA's Dr. N. Dahiya

COVID-19
Super Spreader
Dr Navjot Dahiya
Covid India
Second Wave
punjab
Jalandhar
Election rallies
panchayat polls

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License