बातें हैं बातों का क्या!, जी हां, ‘मन की बात’ से लेकर मुख्यमंत्रियों से बात हो या अब ज़िलाधिकारियों से बात...बातें तो ख़ूब हो रही हैं, लेकिन समाधान नहीं दिख रहा। न किसान समस्या का समाधान हो पाया, न कोविड संकट का। न दवा और इलाज की कमी दूर हो रही है, न वैक्सीन की। हां, अगर आप इन बातों पर सवाल पूछ लें तो आपके ऊपर मुकदमा ज़रूर हो सकता है। गिरफ़्तारी ज़रूर हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यों और जिलों के अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद किया। संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों पर बहुत ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि जब जिला कोरोना को हराएगा तभी देश कोरोना से जंग जीतेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण कोविड से लड़ाई का एक सशक्त माध्यम है, इसलिए इससे जुड़े हर भ्रम को हमें मिलकर दूर करना है। कोरोना के टीके की आपूर्ति को बहुत बड़े स्तर पर बढ़ाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।’’
हालांकि टीकाकरण को लेकर ही देश में बहुत विवाद है और वैक्सीन की कमी को लेकर मोदी सरकार खुद कठघरे में है।
इतना ही नहीं जाने-माने वायरस विज्ञानी शाहिद जमील ने कोरोना वायरस की जीनोम श्रृंखला का पता लगाने वाली केंद्र सरकार की समिति आईएनएसएसीओजी के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले जमील ने कहा था कि वैज्ञानिकों को ‘‘साक्ष्य आधारित नीति निर्णय के प्रति अड़ियल रवैये’’ का सामना करना पड़ रहा है।