यह उपद्रव क्या किसानों के आंदोलन को बदनाम कर उसे कुचलने की सुनियोजित साज़िश थी? कौन संस्थाएं और लोग हैं, इसके पीछे? इन सभी का जवाब सरकार और पुलिस को देना होगा, वे अपना पल्ला ऐसे नहीं झाड़ सकते हैं।
गणतंत्र दिवस पर हज़ारों किसानों ने जहाँ एक तरफ तय रास्ते पर शांतिपूर्वक ट्रैक्टर परेड निकाली, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान रास्ते से अलग होकर कर लाल क़िले के तरफ गए जिसमें कुछ जगह दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई। लेकिन इसके लिए किसान संगठन ज़िम्मेदार या पुलिस-प्रशासन?
बीते दो महीने से जारी किसान आंदोलन को कुचलने के लिए अब शासन की विभिन्न एजेंसियों ने काम तेज़ कर दिया है। 26 जनवरी की किसान ट्रैक्टर परेड को बदनाम करने में लाल किले के उपद्रव का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। लेकिन शासकीय एजेंसियां और केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रही हैं और इसका सारा ठीकरा किसानों पर फोड़ रही हैं।