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मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
सरकार की क़ानून वापस न लेने की ज़िद्द बरक़रार, फिर किस पर बातचीत के लिए किसानों को आमंत्रण? 
एक बार फिर उत्तर प्रदेश चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। लेकिन किसानों ने एक बार फिर दोहराया कि बातचीत बिना किसी पूर्व शर्त के होगी।
आज का कार्टून
09 Jul 2021
cartoon

भाजपा सरकार की फसल शायद उसका वोट बैंक है। वह हर समय सारे तिकड़म भिड़ा कर अपने वोट बैंक को बचाने की कोशिश में दिखाई देती है। सर्दी, गर्मी, बरसात, दिन, रात, हवा तूफान सब से जूझते हुए किसान पिछले आठ महीने से सरकार से कृषि कानूनों की वापसी की अपील कर रहे हैं। एमएसपी की लीगल गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी मांग को लेकर किसान पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने बड़े मजबूत और ठोस तर्कों के साथ अपनी बात बार-बार रखी है। लेकिन सरकार को जब भी लगता है कि वह किसान आंदोलन से कुछ फायदा निकाल सकती है, तब वह पासा फेंकती है कि हम किसानों से बात करने के लिए तैयार हैं। इस बार भी उत्तर प्रदेश चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने यह पासा फेंका है कि वह किसानों से बात करेगी। लेकिन किसान आंदोलन के नेता भी एक बार फिर पूरी तरह से तैयार दिख रहे हैं। उन्होंने पलटकर बड़े ही सीधे अंदाज में जवाब दिया है कि वह बात करने के लिए हमेशा तैयार हैं। लेकिन कोई शर्त नहीं होगी। उनकी मांग वही है जो शुरू से है कि तीनों नए कृषि कानूनों को खत्म किया जाए और एमएससी की लीगल गारंटी लागू की जाए।

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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License