बैंकों के निजीकरण के ख़िलाफ़ बैंक कर्मियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। "राष्ट्रीय हित में, बैंक कर्मियों ने शपथ ली है कि वे मोदी को उनके इस ख़तरनाक पथ पर आगे नहीं बढ़ने देंगे और वे प्रतिरोध में अब संघर्षशील किसानों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाते हुए आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।”
बैंकों के निजीकरण के ख़िलाफ़ बैंक कर्मियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है। सरकार ने अभी सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की बात की है, लेकिन माना जा रहा है कि ये सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा। बल्कि सिर्फ़ एक एसबीआई को छोड़कर बाक़ी सभी 12 बैंकों को बारी बारी बेचा जाएगा। यानी विकास के नाम पर चलते हुए बैंकों को खाई में धकेला जा रहा है, ऐसा बैंक कर्मियों का मानना है। इसी को लेकर बैंक कर्मियों ने दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की है। आगे वे अनिश्चित काल की हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
डी डी रुस्तगी, जो केनरा बैंक कर्मचारी यूनियन के महासचिव व ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज़ एसोसिएशन (AIBEA) के संयुक्त सचिव रहे हैं, ने न्यूज़क्लिक से कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित में, बैंक कर्मियों ने शपथ ली है कि वे मोदी को उनके इस ख़तरनाक पथ पर आगे नहीं बढ़ने देंगे और वे प्रतिरोध में अब संघर्षशील किसानों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाते हुए आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।”
आपको बता दें कि किसानों ने भी बैंक कर्मियों की हड़ताल को पूरा समर्थन दिया है।