NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव नतीजों का पंजाब विधानसभा चुनाव पर कितना असर?
पहली बार चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी भले ही स्पष्ट बहुमत नहीं ले पाई, पर सब से अधिक सीटें जीतने के कारण वह अति उत्साहित है। आप के नेता इन नतीजों को पंजाब विधान सभा चुनाव की पहली सीढ़ी के तौर पर देख रहे हैं। 
शिव इंदर सिंह
03 Jan 2022
channi or kejriwal
Image courtesy : Hindustan

गत 28 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी 35 में से 14 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। 2016 में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने वाली भाजपा को इस बार 12 सीटों से ही सब्र करना पड़ा, कांग्रेस को मात्र 8 सीट ही मिल पाईं और शिरोमणी अकाली दल के हिस्से 1 सीट ही आई। पहली बार चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी भले ही स्पष्ट बहुमत नहीं ले पाई, पर सब से अधिक सीटें जीतने के कारण वह अति उत्साहित है। इन चुनावों में भाजपा के मौजूदा मेयर, उप-मेयर और पूर्व-मेयर को भी हार का मुंह देखना पड़ा, आप के नेता इन चुनाव नतीजों को पंजाब विधान सभा चुनाव की पहली सीढ़ी के तौर पर देख रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी के चंडीगढ़ संयोजक प्रेम गर्ग का कहना है, “चंडीगढ़ के लोगों ने कुशासन को लेकर भाजपा को सबक सिखाया है। बीते पांच साल में भाजपा ने शहर के  बुनियादी ढांचे को बद से बदतर बना दिया है। चंडीगढ़ तो सिर्फ ट्रेलर है, पंजाब हमारा अगला लक्ष्य है।’

नतीजों के तुरंत बाद इसी तरह की टिप्पणीयाँ आप के बड़े नेता मनीष सिसोदिया, राघव चड्ढा और भगवंत मान कर चुके हैं। इस जीत से बागो- बाग़ हुए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चंडीगढ़ में आप की विजय रैली में कहा, “चंडीगढ़ वाली लहर अब पंजाब में चलेगी। यहाँ जो चमत्कार हुआ है इस जीत को देख कर लोग सोचने लगे हैं कि भाजपा और कांग्रेस को हराया जा सकता है।”

चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में भले ही ‘आप’ सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने आई है पर वोट प्रतिशत के हिसाब से तस्वीर बिलकुल उलट नज़र आती है। इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहने वाली कांग्रेस को सब से ज़्यादा वोट हासिल हुए हैं। कांग्रेस को 29.98% वोट मिले हैं, भाजपा 29.03% वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही और सबसे ज़्यादा सीट लेने वाली आम आदमी पार्टी 27.07% वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही है। जिससे यह साबित होता है कि ‘आप’ ने अपनी वोट मैनेजमेंट काफी बढ़िया कर रखी थी। कई सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि इन चुनावों में कुछ हद तक किसान आंदोलन का असर भी रहा पर ज्यादातर स्थानीय मुद्दे ही हावी रहे हैं। भाजपा में मेयर पद को लेकर यहाँ पार्टी के अंदर भी खींचातनी चलती रही है। केंद्रशासित प्रदेश होने की वजह से चंडीगढ़ सीधे तौर पर भाजपा शासित केंद्र सरकार के नियन्त्रण में है। भाजपा की नेता किरण खेर 2014 से चंडीगढ़ से भाजपा सांसद हैं इसके बावजूद शहर में स्थानीय मुद्दों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया। 

शहर के लोगों का भाजपा प्रशासन के प्रति रोष था कि चंडीगढ़ जिसे कि ‘सिटी ब्यूटीफुल’ माना जाता है अब प्रशासन की लापरवाही के कारण पहले जैसा खूबसूरत नहीं रहा। जहाँ बारिश के पानी की निकासी के बढ़िया प्रबंध के लिए शहर जाना जाता था अब मुख्य सड़कों पर भी पानी निकासी की समस्या आने लगी है और कई इलाकों में पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। गरीब कालोनियों और ग्रामीण इलाकों की तरफ तो बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया गया।

भाजपा ने इस चुनाव में धुआंधार प्रचार किया था। चुनाव प्रचार में कई नामचीन हस्तियों ने शिरकत की, कई केंद्रीय मंत्रियों, मनोहर लाल खट्टर जैसे कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रचार के लिए आये। आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार इस चकाचौंध से दूर रहा। मतदान से दो दिन पहले केजरीवाल की एक रैली के अलावा पार्टी का अधिकतर प्रचार स्थानीय नेताओं ने ही किया। मुख्य ध्यान उन वॉर्डों की तरफ रहा था, जहां भाजपा का प्रदर्शन खराब था। इसके साथ ही प्रचार के लिए कॉलोनियों व गांवों में रहने वाली निम्न मध्यमवर्गीय आबादी को लक्ष्य बनाया गया। कई कांग्रेस नेताओं के आम आदमी पार्टी में शामिल हो जाने से भी पार्टी मजबूत हुई।

अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या इन चुनावों का असर आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा? बेशक चंडीगढ़ पंजाब के गांवों को उजाड़ के ही बना हो पर यहां रहने वाली आबादी जो पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल व अन्य राज्यों से आकर बसी हुई है उसके सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक स्वभाव को पंजाब से अलग माना जाता रहा है। चंडीगढ़ से निकलते ही और पंजाब में प्रवेश करते ही इस बात का एहसास होने लगता है।  

सीनियर पत्रकार और पंजाब की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञ जगतार सिंह का कहना है, "पंजाब का राजनैतिक वातावरण चंडीगढ़ से बिल्कुल अलग है। पंजाब में भाजपा कोई बड़ी ताकत नहीं है। आम आदमी पार्टी पंजाब में अभी तक सिर्फ मालवा क्षेत्र में ताकतवर है पर माझा क्षेत्र में उसका कोई आधार नहीं है। दोआबा क्षेत्र में भी कई सीटों पर उसको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। पंजाब और चंडीगढ़ की जनता के मुद्दे भी अलग हैं।"

लंबे समय से पंजाब और चंडीगढ़ की राजनीति से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार राजीव खन्ना का विचार है, "चंडीगढ़ के नतीजों को यदि हम ध्यान से देखेंतो पता चलता है कि भाजपा को जो सीटें हासिल हुई हैं वो शहर के पॉश इलाक़े हैं। मिडल क्लास और ग्रामीण क्षेत्र में ‘आप’ ने मेहनत कर सीटें जीती हैं। यह बात साबित करती है कि लोगों ने भाजपा के हिंदू- मुस्लिम या तथाकथित राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों की बजाय ज़िन्दगी के रोज़मर्रा से जुड़े मुद्दे जैसे महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, पानी, सफाई, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि बुनियादी मुद्दों को तरजीह देकर वोट किया है। मोदी सरकार के विकास के दावे खोखले साबित हुए हैं। अन्य राज्यों के विधान सभा चुनावों में भी लोगों के सरोकार से जुड़े मुद्दे एजेंडे पर आयेंगे। चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावी नतीजों का भले ही सीधे तौर पर पंजाब विधान सभा चुनाव पर असर न पड़े पर यह नतीजे आम आदमी पार्टी के पंजाब कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने और लोगों में पार्टी की हवा बनाने का काम जरूर करेंगे।”

पंजाब में राजनीतिक स्थितियां अभी भी काफी अस्प्ष्ट बनी हुई हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में इसमें और तेज़ी से बदलाव आयेंगे। पर `चंडीगढ़ जीत` से `आप` के कार्यकर्ताओं को काफ़ी ऊर्जा मिली है। यह आने वाला समय ही बतायेगा कि चंडीगढ़ की जीत पंजाब के आम लोगों को आम आदमी पार्टी की तरफ खींच पाएगी या नहीं। 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

chandigarh
Chandigarh Municipal Corporation election
Punjab assembly elections
Charanjit Singh Channi
Arvind Kejriwal
Congress
AAP

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License