NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़ : सरकार नई, नीति पुरानी
बघेल सरकार के शासन काल में भी आदिवासियों के लिए कुछ नहीं बदला है। आदीवासी कहते  हैं कि भूपेश बघेल एक तरफ सामाजिक मंचों पर कहते हैं की ‘‘संविधान के द्वारा हमें बोलने, काम करने कि आजादी प्राप्त है, जो जिसका हक है उसको मिलना चाहिए’’। दूसरी तरफ वे आदिवासियों के संवैधानिक हकों पर डाका डालते हैं उनकी बोलने की आजादी को छीन रहे हैं!
सुनील कुमार
10 Oct 2019
chhatiisgarh

छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सभी मुठभेड़ों की जांच कराएंगे, निर्दोष आदिवासियों को जेलों से रिहा करेंगे और छत्तीसगढ़ में फर्जी मुठभेड़ नहीं होने देंगे।

यही नहीं चुनाव प्रचार के समय कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा था कि ‘‘नक्सलवादी के सवालों का जवाब देना पड़ेगा जो लोग क्रांति के लिए निकले हुए हैं उनको डरा कर या लालच देकर  रोका नहीं जा सकता। जब ऊपर के लोग उनका अधिकार छीनते हैं तो गांव के आदिवासी अपना अधिकार पाने के लिए अपने प्राणों की आहूति देते हैं। बंदूकों से फैसले नहीं होते हैं।’’

सरकार बनने के बाद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  1 जून, 2019 को सुकमा जिले के पोलमपल्ली पहुंचे और घोषणा की कि जेल में बंद आदिवासियों के लिए जांच कमेटी गठित की जायेगी।

इससे पहले जनवरी में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह चुके हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच या उससे अधिक विशेषज्ञ वाली कमेटी गठित की जायेगी जिसमें सेवानिवृत्त डीजीपी भी होंगे।

इस घोषणा के 10 माह बाद भी आदिवासियों की रिहाई को लेकर सरकार सोती रही तो आदिवासी नेता सोनी सोरी आदिवासियों के साथ सरकार के घोषणा पत्रों और वादों को याद दिलाने के लिए 6 अक्टूबर को जब दंतेवाड़ा जिले के पलनार में इक्ट्ठा हुईं तो आदिवासियों पर लाठीचार्ज किया गया और सोनी सोरी को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रशासन के डराने-धमकाने के बावजूद दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले से पहुंचे हजारों आदिवासी जब तीन दिन तक खुले आसमान के नीचे डेरा डाले रहे तो प्रशासन ने नकुलनार के खेल मैदान में छह हजार लोगों तक की सभा करने की अनुमति दे दी।

1_16.jpg

इस पर चिंता जाहिर करते हुए भूतपूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पोलमपल्ली जनसभा को संबोधित करते हुए जो घोषणाएं की थी उन घोषणाओं को अमल में लाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है, कहीं इन घोषणाओं का हाल भी निर्मला बुच कमेटी जैसा ना हो जाये।

दरअसल कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकार और माओवादियों की तरफ से मध्यस्थता करने वाले लोगों को लेकर निर्मला बुच की अध्यक्षता में कमेटी का निर्माण किया था जिसमें निर्दोष आदिवासियों को जेलों से छोड़े जाने से लेकर आदिवासियों की जमीनों को कारपोरेट को दिये जाने तक की बात करनी थी।

सितम्बर, 2014 तक बुच कमेटी ने कई बैठकें की जिसमें 650 से अधिक केसों पर विचार करने के बाद 350 से अधिक मामलों में जमानत दिए जाने की सिफारिश की लेकिन एक भी सिफारिश लागू नहीं हुई।

इस कमेटी के अध्यक्ष निर्मला बुच सहित कमेटी के सदस्य बीडी शर्मा की मृत्यु भी हो गई लेकिन कमेटी की सिफारिशों को सरकार ने कूड़े दान में फेंक दिया। क्या बघेल सरकार भी अपने चुनावी घोषणा पत्र और जनवरी व जून में किये गये अपने घोषणा को भूल जाना चाहती है?

पुलिस ने  26 मई को किरंदुल क्षेत्र के हिरोली के जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ में हार्डकोर नक्सली के मारे जाने की बात कही थी। एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने कहा कि ‘‘हिरोली के जंगल में माओवादियों के होने की खबर पर डीआरजी और पुलिस के जवान सर्चिंग पर गये थे। सर्चिंग के दौरान माओवादियों और जवानों की मुठभेड़ हुई जिसमें विधायक भीमा मांडवी की हत्या में शामिल गुड्डी मारा गया वह 40 से अधिक घटनाओं में नामजद था।’’

सोनी सोरी बताती है कि गुड्डी सरकारी योजना के तहत सड़क बनाने के काम में मजदूरी करता था और नन्दराज पहाड़ को बचाने कि लड़ाई लड़ रहा था। पुलिस ने काम करते समय गुड्डी को दौड़ा कर गोली मार दी और मुठभेड़ में माओवादी के मारे जाने कि घोषणा कर दी।

सोनी सोरी के साथ गुड्डी की वृद्ध मां (65 साल) एसपी से शिकायत करने गयी तो एसपी ने गुड्डी के 65 वर्षीय वृद्ध मां को गाली दिया और कहा कि ‘‘अभी गुड्डी को मारे हैं आगे भीमा और पोदिया को तंदूरी जैसा सेंक सेंक कर मारूंगा’’। बेटे के गम में गुड्डी की मां कुछ दिन बाद यह दुनिया छोड़ कर चली गई।

गुड्डी की हत्या होने के बाद नन्दराज पहाड़ की लड़ाई और तेज हो गई इस लड़ाई को लड़ने वालों को माओवादी कहा जा रहा है।

एसपी चैलेंज कर कहते हैं कि आपके पास तीन विकल्प हैं- आत्मसमर्पण करो, जेल जाओ या मरने के लिए तैयार रहो इसके अलावा और कोई चारा नहीं है। सोनी सोरी ने जिस बात को 1 सितम्बर को दिल्ली के एक कार्यक्रम में बताया उसके ठीक 12 दिन बाद पुलिस ने पोदिया और लच्छु को 13 सितम्बर कि रात को एक मुठभेड़ में मारे जाने की बात बताई।

किन्दुल पुलिस थाने के एफआईआर नंबर 0061 में दर्ज है कि मलांगिर एरिया कमेटी के नक्सली कमांडर गुण्डाधुर, प्रदीप, सोमड़ा, पोदिया, लच्छू, विनोद, देवा, जयलाल, योगी सहित 10-15 माओवादियों की उपस्थिति की सूचना मिली थी। 40 संयुक्त जवानों के साथ पुलिस कुटरेम, मड़कामीरास और समलवार के जंगल के बीच पहुंची तो घात लगाए माओवादियों ने जान से मारने एवं हथियार लूटने की नीयत से स्वचालित हथियारों से फायरिंग कर दी। माओवादी चिल्ला रहे थे कि हथियार लूट लो और जान से मार दो। पुलिस ने बताया कि इस मुठभेड़ में दो माओवादी मारे गये जिन पर 5-5 लाख का इनाम है। क्या किसी भी मुठभेड़ में कोई छिपकर हमला करता है तो हल्ला कर वह अपना लोकेशन बताता है? जैसा कि पुलिस के एफआईआर में लिखा हुआ है!

इस केस में चार सामाजिक कार्यकर्ताओं (बेला भाटिया, सोनी सोरी, लिंगाराम कोडपी, हिडमे मडकाम) ने जांच  में पाया कि इस घटना के तीन गवाह है। तीनों गवाहों की जांच दल के साथ बातचीत हुई जिसका वीडियो भी जांच दल के पास है। जांच दल को बताया गया कि गांव के पांच दोस्तों ने मिल कर खाने-पीने का प्लान बनाया था। वे लोग स्कूल परिसर में बैठे हुए थे वहां पर अचानक 15-20 की संख्या में पुलिस बल आ गया। उससे आधे घंटा पहलें पोदिया शराब पीने के बाद स्कूल के पास एक दोस्त के घर चला गया था।

चार लोगों को पुलिस ने पकड़ा और पिटाई करते हुए ले जाने लगी। पुलिस बल में आए दो सिपाहियों को ये लोग पहचान गये जिसमें एक मडकामीरास गांव का पोदिया मडकाम और दूसरा मदारीगांव के भीमा कइती था। पोदिया को भी उसके दोस्त के घर से पकड़ कर लाए। अंधेरे में पांच में से दो लोग भागने में सफल रहे। तीन लोगों को लेकर पुलिस ले गई जिसमें से पोदिया और लच्छु को रास्ते में ही मार दिया गया। तीसरे व्यक्ति अजय तेलाम को फोर्स अपने साथ ले गई। अजय की मां दो दिनों तक थाने में बेटे से मिलने के लिए बैठी थी।

16 तारीख को जांच दल की सोनी सोरी, बेला भाटिया और कंजामी पांडे ने किरदुल थाने में अर्जी देने गये जिस पर लिखा था कि सुरक्षा दल व पुलिस के द्वारा गोमियापाल के दो ग्रामीण पोदिया सोरी और लच्छु मांडवी की हत्या के संबंध में। पुलिस ने उस अर्जी का प्राप्ति भी दी, बाद में अर्जी देने वालों पर ही धारा 144 तोड़ने के सम्बंध में धारा 188 के तहत केस दर्ज कर लिया गया। पोदिया के साथ पार्टी करने वाला कांछा (जो कि रात के अंधेरा में भागने में सफल रहा था) 23 सितम्बर को दंतेवाड़ा उपचुनाव में मतदान भी किया जिसको 20 सितम्बर को पुलिस ने आत्समर्पण दिखाया था। अगर यह मान लिया जाए कि पोदिया और उसके साथी माओवादी थे तो कांछा के पास वोट देने के दस्तावेज कहां से आए? क्योंकि पुलिस खुद कहती है कि माओवादी अपनी पहचान पत्र या दस्तावेज नहीं बनवाते हैं।

बीपी मंडल जयंती के अवसर पर 25 अगस्त को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ के द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ‘सामाजिक न्याय रत्न’ से सम्मानित किया गया। ‘भूपेश बघेल ने कहा की संविधान के द्वारा हमें बोलने, काम करने कि आजादी प्राप्त है, जो जिसका हक है उसको मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है, जहां पर हीरा, कोयला, सोना, डोलोमाइट, टीन, बक्साइट सब कुछ है। छत्तीसगढ़ भौगोलिक दृश्टि से तमिलनाडू से बड़ा राज्य है लेकिन पूरे प्रदेश की आबादी  दो करोड़ 80 लाख है। संसाधनों से भरपूर राज्य में 39.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं। मुख्यमंत्री खुद स्वीकार करते हैं कि छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी समस्या कुपोषण है। जिस राज्य में खनिज सम्पदा का भंडार हो और उस राज्य की सबसे बड़ी समस्या कुपोषण हो तो इसका कारण वहां के सम्पदा पर बाहरी व्यक्तियों की लूट ही कारण हो सकती है।

लेकिन इस लूट के खिलाफ बोलने वाले लोगों को सरकार जेलों में बंद कर दे रही है या फर्जी मुठभेड़ में मार दे रही है। छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में बताया कि छत्तीसगढ़ में कुछ भी नहीं बदला है जैसे पहले आदिवासियों पर अत्याचार होते रहते थे वैसा ही अब भी आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है।

सोनी सोरी कहती हैं कि जमीन लौटाने और किसानों के कर्ज माफ करने से यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार अच्छा कर रही है। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं ने पहले सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार की शिकायत कि थी पुलिस उनको जाकर मारती-पीटती है। पहले छत्तीसगढ़ सरकार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज करती थी अब यूएपीए कानून के तहत केस दर्ज कर रही है जिससे कि बेकसूर आदिवासी जल्दी जेल से बाहर न आ सके।

27 मई की पत्रिका समाचार में छपी खबर के अनुसार बीजापुर जिले के पोडिया निवासी युवती अपनी शादी का सामान लेने बचेली बाजार गई थी। बाजार से पुलिस ने युवती को उठा कर माओवादी के आरोप में जेल भेज दिया।

बघेल सरकार के शासन काल में भी आदिवासियों के लिए कुछ नहीं बदला है। आदिवासी कहते हैं कि भूपेश बघेल एक तरफ सामाजिक मंचों पर कहते हैं की ‘‘संविधान के द्वारा हमें बोलने, काम करने कि आजादी प्राप्त है, जो जिसका हक है उसको मिलना चाहिए’’। दूसरी तरफ वे आदिवासियों के संवैधानिक हकों पर डाका डालते हैं उनकी बोलने की आजादी को छीन रहे हैं।

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ के द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ‘सामाजिक न्याय रत्न’ से जिस मंच पर सम्मानित किया गया उसी मंच से भूपेश बघेल के पिता नन्द कुमार बघेल कहते हैं कि माओवादी सही कर रहे हैं पुलिस को माओवादियों के तरफ से लड़ना चाहिए। आखिर क्या बात है कि सरकार के बाहर रहते हुए माओवादी के क्रियाकलाप को सही बताया जाता है तो सरकार में आते ही दुश्मन नं. 1 मान लेते हैं?

यह दुश्मन नं. 1 किसके फायदे के लिए माना जाता है? बघेल सरकार को अपने चुनावी वादों को पूरा करना चाहिए और एक स्थायी समाधान का रास्ता खोजना चाहिए।

Chattisgarh
Baghel Government
Congress
tribles
bhupesh baghel
Chhattisgarh Assembly Elections
tribal communities
tribal rights

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License