NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़: राज्यपाल को ज्ञापन सौंप, ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली रवाना होंगे सैकड़ों किसान
किसान सभा ने आम जनता से अपील की है कि देश और अवाम को बचाने की इस लड़ाई में वे किसान आंदोलन को अपना समर्थन व सहयोग दें।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
22 Jan 2021
किसान

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर कल छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर कॉर्पोरेटपरस्त कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल की सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की मांग की जाएगी। 

ज्ञापन सौंपने के बाद सैकड़ों किसान और ग्रामीण जन दिल्ली में आयोजित किसान गणतंत्र परेड में शामिल होने के लिए रवाना होंगे।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां जारी एक बयान में यह जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी किसान गणतंत्र परेड आयोजित किये जा रहे हैं। सभी स्थानों पर ये परेड सरकारी कार्यक्रमों के बाद आयोजित किये जायेंगे।

केंद्र सरकार द्वारा इन कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने की बात को धोखाधड़ीपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि इन कानूनों में जरूर कोई गड़बड़ है। सरकार ने किसानों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था कि जब तक केंद्रीय मंत्रियों के द्वारा गठित समिति अपना काम पूरा नहीं कर लेती तब तक इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगी रहेगी. सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानूनों को डेढ़ से दो साल तक रोकने का प्रस्ताव दिया था।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा केंद्र सरकार की घोषणा को ठुकराए जाने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा है कि जिंदगी और मौत की लड़ाई में बीच का रास्ता नहीं होता और किसान विरोधी इन कानूनों की वापसी ही एकमात्र विकल्प है। 

गुप्ता ने बताया इस आंदोलन में डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है और ये शहादतें व्यर्थ नहीं जाएंगी और अंतिम सांस तक खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले इन कॉर्पोरेटपरस्त कानूनों के खिलाफ देश के किसान और अवाम मिलकर संघर्ष करेंगे।

किसान सभा के नेताओं का कहना है कि एक ओर सरकार समर्थन मूल्य की प्रणाली जारी रहने की घोषणा कर रही है, वहीं दूसरी ओर संघी गिरोह और गोदी मीडिया इसके उपयोगी न रहने का दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

पराते का कहना है कि वास्तविकता यह है कि निजी मंडियों के अस्तित्व में आने के बाद और खाद्यान्न व्यापार को विश्व बाजार की कीमतों के साथ जोड़ने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य की पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त जो जाएगी। इसलिए यदि मोदी सरकार अपने कहे के प्रति भी गंभीर है, तो आश्वासन से ऊपर उठकर उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाना चाहिए ताकि किसान समुदाय को इस सरकार की कथनी पर विश्वास हो सके। 

उन्होंने आगे बताया कि हमारे देश के किसान न केवल अपने जीवन-अस्तित्व और खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि वे देश की खाद्यान्न सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा संप्रभुता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं। उनका संघर्ष उस समूची अर्थव्यवस्था के कारपोरेटीकरण के खिलाफ भी हैं, जो नागरिकों के अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह कर देगा। 

किसान सभा ने आम जनता से अपील की है कि देश और अवाम को बचाने की इस लड़ाई में वे किसान आंदोलन को अपना समर्थन व सहयोग दें।

किसान संगठनों ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की है.

Chhattisgarh
farmers protest
Farm bills 2020
Tractor Rally
DILLI CHALO
Farmers union
All India Kisan Sangharsh Coordination Committee
AIKS
AIKSCC
Samyukt Kisan Morcha

Related Stories

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License