NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केंद्र का विदेशी कोयला खरीद अभियान यानी जनता पर पड़ेगा महंगी बिजली का भार
कोल इंडिया का कोयल लगभग रुपया 3000 प्रति टन है.अगर विदेशी कोयला जो सबसे कम दर रुपया 17000 प्रति टन को भी आधार मान लिया जाए, तो एक साल में केवल 10 प्रतिशत  विदेशी कोयला खरीदने से 11000 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार आएगा।
असद रिज़वी
07 May 2022
coal
Image courtesy : BT

देश में कोयला संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों से विदेश से कोयला आयात करने को कहा है। एक साल में विदेश से 10 प्रतिशत कोयला खरीदने से 11 हजार करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार आएगा। जिसका खामियाजा प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक प्रति यूनिट की बिजली दर बढोतरी के रूप में झेलना पड़ सकता है। 

बिजली इंजीनियर्स मानते हैं कि कोयला आयात करना समस्या का समाधान नहीं है क्योंकि जब डोमेस्टिक कोयला बिजली उत्पादन बिजली घरों तक पहुँचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, तो आयातित कोयला बंदरगाहों से बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा ?

अगर इंजीनियर्स की माने तो इससे ऐसा प्रतीत होता है कोयला संकट बहुत गंभीर है। अभी यह कई महीनों तक ख़त्म नहीं होगा। इसकी गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय विधुत  मंत्रालय द्वारा 28 अप्रैल को जारी पत्र में राज्य के ताप बिजली घरों से 22.049 मिलियन टन और निजी क्षेत्र के बिजली घरों से 15.936 मिलियन टन कोयला आयात करने को कहा गया है।

केंद्रीय विधुत  मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी ताप बिजली घरों को 31 मई 2022 तक आयातित कोयले के खरीद के आदेश जारी कर देने हैं. 50% की डिलीवरी 30 जून 2022 तक, 40% की डिलीवरी 31 अगस्त 2022 तक और शेष 10% की डिलीवरी 31 अक्टूबर 2022 तक सुनिश्चित करनी है।

उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उपभोक्ता परिषद ने भी केंद्र सरकार के कोयला आयात के फैसले पर सवाल खड़े किये हैं. परिषद का कहना है “कोल इंडिया” से कोयला प्राप्त हो रहा है वह लगभग रुपया 3000 प्रति टन है.अगर विदेशी कोयला जो सबसे कम दर रुपया 17000 प्रति टन को भी आधार मान लिया जाए, तो एक साल में केवल 10 प्रतिशत  विदेशी कोयला खरीदने से 11000 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार आएगा. जिसका नतीजे में प्रदेश की जनता को एक-रुपया प्रति यूनिट की बिजली दर बढ़ोतरी के रूप में झेलना पडेगा ।

उत्तर प्रदेश राज्य विधुत  उत्पादन के अनपरा ताप बिजली घर को 853000 टन, और ओबरा,हरदुआगंज व पारीछा ताप बिजली घरों को 1286000 टन कोयला आयात करने का लक्ष्य दिया गया है।

इसे पढ़ें : कोयले की किल्लत और बिजली कटौती : संकट की असल वजह क्या है?

परिषद ने सवाल किया है कि एक तरफ लोकसभा में कोयला मंत्री द्वारा यह बयान दिया जाता है कि वर्ष 2022 -23 में 700 मिलीयन टन कोयला उत्पादन करने जा रहा है. यानी की पूर्व वर्ष से अधिक उत्पादन, फिर ऐसे में विदेशी कोयला खरीद योजना क्यों शुरू कर दी गई? जबकि पूरे देश में आत्मनिर्भर योजना चल रही है. उपभोक्ता परिषद के अनुसार लोकसभा में कोयला मंत्री ने यह भी दावा किया था, देश में बिजली की डिमांड चाहे जितना बढ़ जाये कोयले की कोई कमी नहीं है ।

जब कोयला आयात पर न्यूज़क्लिक ने ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे से संपर्क किया तो उन्होंने कई गंभीर सवाल उठाये. शैलेन्द्र दुबे  कहते हैं कि एक ओर कोल इंडिया कह रहा है कि उसने पिछले वर्ष की तुलना में 15.6% अधिक उत्पादन किया है. यह उत्पादित कोयला रेलवे रैक की कमी के कारण ताप बिजली घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है.देश भर में यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है, दूसरी ओर कोयला आयात करने की बात की जा रही है। यह समझ से परे है।

सवाल करते हुए इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे कहते हैं कि यदि कोयला आयात कर भी लिया गया तो आयातित कोयला बंदरगाहों पर आएगा। लेकिन बंदरगाहों से रेलवे रैक के अभाव में यह कोयला ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा? वह आगे कहते हैं कि जब तक डोमेस्टिक कोयला बिजली घरों तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हो जाते तब तक आयातित कोयला बंदरगाहों से ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा, यह बिजली मंत्रालय को स्पष्ट करना चाहिए?

इसे भी पढ़ें : बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

उत्तर प्रदेश राज्य विधुत  उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि संकट के बहाने केंद्र सरकार द्वारा देश के सभी बिजली कंपनियों को कुल 1 साल के कोयला खरीद का 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीद कराने का आदेश जनविरोधी है। वह कहते है कि विदेशी कोयला खरीद की पूर्व वर्ष की तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार पुरानी उत्पादन इकाइयों में बिना अपग्रेडेशन विदेशी कोयला नहीं चलेगा. इस से बॉयलर ख़राब होने का खतरा भी हो सकता है.

अवधेश कुमार वर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वर्ष 2009-10 में जब विदेशी कोयला खरीदने की बात हुई थी. उस समय केंद्रीय विधुत प्राधिकरण भारत सरकार ने 8 सदस्य वाली स्टडी कमेटी बनाई थी, जिसने विदेशी कोयला उपयोग के बारे में तकनीकी रिपोर्ट दी थी.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया था की पुरानी मशीनों में अपग्रेडेशन करने के उपरांत ही विदेशी कोयला चलाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी बात कही गई थी कि विदेशी कोयला  ढुलाई का रेलवे रैक भी अलग तरीके का होता है। अवधेश कुमार वर्मा  सवाल करते हैं कि ऐसे में केंद्र सरकार ने क्या पुनः कोई तकनीकी कमेटी बनाई कोई अध्ययन कराया या केवल विदेशी कोयला खरीदो अभियान में जुट गई?

उन्होंने यह भी बताया की वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विधुत  उत्पादन निगम का कोल इंडिया के साथ जो एग्रीमेंट है, उसके मुताबिक ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू कि जो रेंज है वह 4300 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम से 5500 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम है। वहीं विदेशी कोयले की रेंज की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया की विदेशी कोयले की जो ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू है वह 5994 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम से 6300 किलोकैलोरी प्रति किलोग्राम के बीच है। इंडोनेशिया की जो सबसे खराब कोयला है उसकी ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू 5400 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम से 6200 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम के बीच है.

कोयला आयात पर आगे बात करते हुए अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि यदि विदेशी कोयला खरीद होती है तो निश्चित तौर पर पुरानी मशीनों में अपग्रेडेशन करना पडेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बॉयलर में समस्या भी खडी हो सकती है।

इसे भी पढ़ें : सरकार का दो तरफ़ा खेल... ‘’कोयले की कमी भी नहीं विदेशों से आयात भी करना है’’

electricity supplies
Load shedding
coal shortages
Electricity Cuts
Thermal Power Plants
imported coal
Centre-State relations
electricity traders
indian railways
private power generation
coal price hike
POWER MINISTRY
passenger trains cancelled
power sector reform
power cuts
coal-based plants

Related Stories

ट्रेन में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट बहाल करें रेल मंत्री: भाकपा नेता विश्वम

कोयले की कमी? भारत के पास मौजूद हैं 300 अरब टन के अनुमानित भंडार

कोयले की किल्लत और बिजली कटौती : संकट की असल वजह क्या है?

रेलवे में 3 लाख हैं रिक्तियां और भर्तियों पर लगा है ब्रेक

भारतीय रेल के निजीकरण का तमाशा

निजी ट्रेनें चलने से पहले पार्किंग और किराए में छूट जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं!

भारत में नौकरी संकट जितना दिखता है उससे अधिक भयावह है!

कार्टून क्लिक: नो नो...कोई किल्लत नहीं, कोई परेशानी नहीं

रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल कर्मियों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कल!

कोलकाता मेट्रो ने 2500 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी की


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License