कार्यवाहक प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी ने अपने उत्तराधिकारी और नामित प्रधानमंत्री मोहम्मद तौफीक अल्लावी द्वारा एक दिन पहले इस्तीफा देने के बाद सोमवार 2 मार्च को पद पर न बने रहने की घोषणा कर दी। इस घोषणा ने राष्ट्रीय नेतृत्व में बड़ा खोखलापन पैदा कर दिया है।
मोहम्मद अल्लावी जिन्हें पिछले महीने नए प्रधानमंत्री के तौर पर नामित किया गया था वे अनिवार्य 30 दिनों के भीतर संसद की मंजूरी को जीत पाने में विफल रहे। 1 मार्च को अपनी मंजूरी की वोट के लिए संसद की बैठक न होने पर अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के बाद उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टियों ने उनकी मंजूरी में बाधा डाली। आवश्यक कोरम की कमी के कारण 1 मार्च को संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी।
संसद की कार्यवाही का ऐसा ही सत्र 27 फरवरी को पहले से निर्धारित था लेकिन 329 सदस्यों वाले सदन में 165 सदस्यों के आवश्यक कोरम की कमी के कारण स्थगित कर दिया गया था।
अल्लावी द्वारा अपने मंत्रिमंडल के गठन से पहले राजनीतिक दलों और गठबंधनों से परामर्श करने से इनकार करने पर नाखुशी व्यक्त करते हुए इराक के संसद में अधिकांश राजनीतिक दल और गठबंधनों ने रविवार को बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया। अल्लावी ने कहा था कि वह प्रदर्शनकारियों की चिंताओं को दूर करने और अधिकांश टेक्नोक्रेट्स के साथ एक कैबिनेट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस घोषणा को संसद में अधिकांश राजनीतिक दलों द्वारा पसंद नहीं किया गया था।
अल्लावी को संसद में मुकतदा अल-सदर के नेतृत्व वाले सैरून गठबंधन का करीबी माना जाता है जो हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कुर्द और सुन्नी पार्टियों को लेकर अपनी कड़ी आलोचना के कारण अलग-थलग पड़ गए है।
राष्ट्रपति बरहम सलेह अब ये ज़िम्मेदारियां संभालेंगे और एक नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए 15 दिन का समय होगा।
अब्दुल मेहदी को देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में उनकी सरकार की विफलता के खिलाफ हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद पिछले साल अक्टूबर के आखिर में इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। देश में शासक वर्गों के बीच कथित व्यापक भ्रष्टाचार, बुनियादी सेवाओं की खराब डिलीवरी और देश की राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप को जारी रहने को लेकर भी प्रदर्शनकारी नाराज हैं। ये प्रदर्शनकारी लगातार देश की राजनीतिक व्यवस्था में भारी बदलाव की मांग कर रहे हैं।
साभार : पीपल्स डिस्पैच