NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
‘ईरमी’ को लेकर फिर विवाद, बिहार से यूपी ट्रांसफर का विरोध, नीतीश केंद्र पर हमलावर
अपडेट : गुरुवार, 7 मई की शाम रेल मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर यह स्पष्टीकरण जारी किया है कि ईरिमी के स्थानांतरण की कोई योजना नहीं है और इससे संबंधित ख़बरें या दावा भ्रामक है।
पुष्यमित्र
07 May 2020
Historical Railway Institute

बुधवार, 6 मई को सोशल मीडिया पर बिहार से जुड़ा रेलवे मंत्रालय का एक पत्र वायरल होता रहा, जिसमें बिहार के जमालपुर में स्थित ऐतिहासिक रेलवे प्रशिक्षण संस्थान ईरिमी को लखनऊ स्थानांतरित किये जाने की बात का उल्लेख है। इस पत्र को लेकर जहां एक ओर बिहार के आमलोगों ने काफी आक्रोश जताया, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद पत्र लिख कर रेल मंत्री पीयूष गोयल से दखल देने को कहा। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने तो ट्विटर पर तीखा रुख अपनाते हुए लगातार कई ट्वीट किये और कहा कि कैसे इस 93 साल पुराने ऐतिहासिक संस्थान को ढिठाई से तबाह किया जा सकता है।

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी इस फैसले का ट्विटर पर विरोध किया। दिन भर चले इस विवाद से ऐसा लगने लगा कि बिहार में सत्ताधारी दल जदयू अपने ही साझीदार भाजपा के खिलाफ आक्रमक है। मगर शाम में राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस विवाद को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश की कि इस संस्थान को बिहार से स्थानांतरित नहीं किया जायेगा, जल्द ही रेल मंत्री पीयूष गोयल इस मामले में खुद स्पष्टीकरण जारी करेंगे।

received_282931669395328.jpeg

इस पत्र की वजह से हुआ विवाद

क्या है विवाद?

27 अप्रैल, 2020 को गोरखपुर के रेल महाप्रबंधक (यांत्रिक) के हवाले से जमालपुर स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (ईरिमी) के निदेशक के नाम लिखे पत्र में यह कहा गया है कि ईरिमी को स्थानांतरित करने के लिए लखनऊ के मोहिबुल्लापुर रेलवे स्टेशन के पास जगह उपलब्ध है और इसके लिए महाप्रबंधक महोदय से टेलिफोनिक वार्ता के पश्चात अपर महाप्रबंधक ने अनुमोदन भी कर दिया है। इस पत्र के विषय से यह जाहिर हो रहा था कि रेलवे इस लॉकडाउन के बीच 1888 में स्थापित इस ऐतिहासिक रेल प्रशिक्षण संस्थान को बिहार से हटा कर लखनऊ में शिफ्ट करना चाह रही है। मंगलवार, 5 मई को सबसे पहले पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ट्विटर पर इस फैसले का विरोध किया, फिर बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने ताबड़-तोड़ पांच ट्वीट किये और केंद्र सरकार पर हमलावर होते हुए इस फैसले का सख्ती से विरोध किया।

इन्हीं ट्वीट में संजय कुमार झा ने इस बात का जिक्र भी किया कि नीतीश कुमार ने भी इस फैसले का सख्ती से विरोध करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है और इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया है। इसके बाद दिन भर जदयू के कई प्रवक्ता सोशल मीडिया पर नाराजगी भरे लहजे में इस फैसले का विरोध करते रहे। गठबंधन को दोनों प्रमुख दलों के बीच तनातनी चलती रही। शाम के वक्त राज्य के उप मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि केंद्र सरकार ईरिमी को स्थानांतरित करने नहीं जा रही, जल्द रेल मंत्री इस मामले में खुद बयान देंगे।

क्यों ईरिमी को लेकर बहुत भावुक हैं बिहार के लोग!

टेक्निकल इंस्टीट्यूट के रूप में इस संस्थान की शुरुआत 1888 में हुई थी और 1927 में इस संस्थान में स्पेशल क्लास रेलवे एप्रेंटिस नामक एक बेहद प्रतिष्ठित पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई। इस संस्थान की शुरुआत जमालपुर स्थित देश के पहले रेलवे लोकोमोटिव वर्कशाप के परिसर में हुई थी, जो वर्कशाप खुद 1862 में स्थापित हुआ था। इस लिहाज से यह वर्कशाप और तकनीकी संस्थान ईरिमी ऐतिहासिक महत्व का है। स्पेशल क्लास रेलवे एप्रेंटिस नामक पाठ्यक्रम भी हाल-हाल तक तकनीकी शिक्षा की आकांक्षा रखने वाले छात्रों के लिए पहली पसंद रहा है। क्योंकि यहां नामांकन के साथ छात्रों की नौकरी शुरू हो जाती थी, यहां पढ़ने वाले छात्रों को रहने के लिए रेलवे के बढ़िया क्वार्टर, नौकर-चाकर और यात्रा के लिए रेलवे सैलून की सुविधा मिलने लगती थी।

इस संस्थान के 27 पूर्व छात्र ऐसे रहे हैं, जो रेलवे बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं, इनमें से सात को इस बोर्ड के चेयरमैन बनने का अवसर मिला है। यहां के चार पूर्व छात्रों को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। इन पूर्व छात्रों में नोबेल पीस अवार्ड से सम्मानित आरके पचौरी भी रह चुके हैं। हर साल एल्युमिनी मीट में ये महान हस्तियां जमालपुर के छोटे से कस्बे में जुटती हैं। इन वजहों से इस संस्थान को जमालपुर ही नहीं बिहार के लोग भी अपने प्राइड (गौरव) से जोड़कर देखते हैं।

पहले भी हो चुके हैं इस संस्थान को बंद करने के प्रयास

1982 में यूपीएससी ने इस संस्थान में संचालित होने वाले स्पेशल क्लास रेलवे अप्रैंटिस पाठ्यक्रम को बंद करने का सुझाव दिया था। तब मुंगेर के तत्कालीन सांसद डीपी यादव ने आठ अन्य नेताओं के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर विरोध जताया था। इंदिरा गांधी ने तब उन्हें जवाब दिया था कि सरकार ऐसा कोई इरादा नहीं कर रही, बल्कि सरकार की कोशिश है कि उस संस्थान में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अलावा इलेक्टिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी शुरू हो, मगर वह वादा पूरा नहीं हो सका। 1997 में दूसरी दफा जब यूपीएससी ने इस पाठ्यक्रम को बंद करने का सुझाव दिया तो उस वक्त फिर डीपी यादव ने विरोध किया, तब रेल मंत्री रहे रामविलास पासवान ने उन्हें आश्वस्त कराया कि सरकार इस सुझाव को नहीं मानने जा रही। 2015 में यूपीएससी ने फिर से यह सुझाव सरकार को भेजा, तब रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। तब भी इस फैसले का काफी विरोध हुआ था, जमालपुर में ईरिमी बचाओ आंदोलन तक शुरू हो गये थे। मगर तब केंद्र सरकार द्वारा कहा गया था कि वे इस संस्थान को रेलवे विश्वविद्यालय के रूप में बदलना चाहते हैं। इस वजह से उस वक्त विरोध रुक गया था।

एससीआरए का क्यों विरोध कर रही थी यूपीएससी

यूपीएससी का कहना था कि इस पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या कम होती है और आवेदन काफी अधिक। इस वजह से इस परीक्षा को आयोजित कराना उसके लिए श्रमसाध्य साबित होता है। यूपीएससी का एक और तर्क यह था कि जब देश के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों से बैठे बिठाये प्रशिक्षित इंजीनियरिंग ग्रेजुएट मिल ही जाते हैं। यूपीएससी इसके लिए इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज के तहत परीक्षा भी आयोजित कराती है, तो रेलवे को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए अलग से पाठ्यक्रम आयोजित कराने की क्या आवश्यकता।

रेलवे के अंदर भी इस पाठ्यक्रम का विरोध रहा है, क्योंकि कम उम्र में इस पाठ्यक्रम के जरिये उच्च पद पर नियुक्त होने वाले इस संस्थान युवा ही हमेशा रेलवे बोर्ड तक पहुंच पाते हैं, दूसरे संस्थानों से आये छात्र उनसे पिछड़ जाते हैं। मगर बिहार के लोगों के लिए यह संस्थान हमेशा से प्राइड की एक वजह रहा है, इसलिए वे इसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहते।

अब एक बार फिर से इस पत्र से जमालपुर में ईरिमी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार की ओर से सख्त प्रतिरोध के बाद ऐसा लग रहा है कि इस बार भी संकट के बादल टल जायें।

अपडेट : गुरुवार, 7 मई की शाम रेल मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर यह स्पष्टीकरण जारी किया है कि ईरिमी के स्थानांतरण की कोई योजना नहीं है और इससे संबंधित ख़बरें या दावा भ्रामक है। इस पत्र में यह भी कहा गया कि मंत्रालय इस ऐतिहासिक संस्थान के गौरव से परिचित है और यहां परिवहन प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संबंधी पाठ्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। इसके अलावा एक एक वर्ष के कई और कोर्स भी इस संस्थान से प्रारंभ किये जायेंगे।

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Bihar
Nitish Kumar
indian railways
piyush goyal
Indian Railway Institute of Mechanical and Electrical Engineering
Social Media
twitter
Historical Railway Institute
BJP
Central Government
Bihar government

Related Stories

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार

पंजाब विधानसभा चुनाव: प्रचार का नया हथियार बना सोशल मीडिया, अख़बार हुए पीछे

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

मुख्यमंत्री पर टिप्पणी पड़ी शहीद ब्रिगेडियर की बेटी को भारी, भक्तों ने किया ट्रोल

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं पर फेसबुक कार्रवाई क्यों नहीं करता?

वे कौन लोग हैं जो गोडसे की ज़िंदाबाद करते हैं?


बाकी खबरें

  • सत्येन्द्र सार्थक
    आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?
    25 Apr 2022
    सरकार द्वारा बर्खास्त कर दी गईं 991 आंगनवाड़ी कर्मियों में शामिल मीनू ने अपने आंदोलन के बारे में बताते हुए कहा- “हम ‘नाक में दम करो’ आंदोलन के तहत आप और भाजपा का घेराव कर रहे हैं और तब तक करेंगे जब…
  • वर्षा सिंह
    इको-एन्ज़ाइटी: व्यासी बांध की झील में डूबे लोहारी गांव के लोगों की निराशा और तनाव कौन दूर करेगा
    25 Apr 2022
    “बांध-बिजली के लिए बनाई गई झील में अपने घरों-खेतों को डूबते देख कर लोग बिल्कुल ही टूट गए। उन्हें गहरा मानसिक आघात लगा। सब परेशान हैं कि अब तक खेत से निकला अनाज खा रहे हैं लेकिन कल कहां से खाएंगे। कुछ…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,541 नए मामले, 30 मरीज़ों की मौत
    25 Apr 2022
    दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच, ओमिक्रॉन के BA.2 वेरिएंट का मामला सामने आने से चिंता और ज़्यादा बढ़ गयी है |
  • सुबोध वर्मा
    गहराते आर्थिक संकट के बीच बढ़ती नफ़रत और हिंसा  
    25 Apr 2022
    बढ़ती धार्मिक कट्टरता और हिंसा लोगों को बढ़ती भयंकर बेरोज़गारी, आसमान छूती क़ीमतों और लड़खड़ाती आय पर सवाल उठाने से गुमराह कर रही है।
  • सुभाष गाताडे
    बुलडोजर पर जनाब बोरिस जॉनसन
    25 Apr 2022
    बुलडोजर दुनिया के इस सबसे बड़े जनतंत्र में सरकार की मनमानी, दादागिरी एवं संविधान द्वारा प्रदत्त तमाम अधिकारों को निष्प्रभावी करके जनता के व्यापक हिस्से पर कहर बरपाने का प्रतीक बन गया है, उस वक्त़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License