NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोविड-19 बनाम कोविड-21: बिन उत्सव सब सून!
मोदी जी ने ताबड़तोड़ चार दिन के टीका उत्सव का ऐलान कर दिया। टीका भी और उत्सव भी। कोरोना टीके से डरने को राज़ी नहीं है तो क्या हुआ, हम उसे उत्सव से पटा लेंगे।
राजेंद्र शर्मा
10 Apr 2021
कोविड-19 बनाम कोविड-21: बिन उत्सव सब सून!

हमें तो पहले ही शक था। आखिर, कोई तो बात थी। ऐसा यूं ही तो नहीं हो सकता था। जब टीका नहीं था, तो कोरोना घट रहा था। लेकिन, जब टीका आ गया, तो कोरोना दोबारा बढऩे लगा। और सिर्फ बढऩे ही नहीं लगा। बढ़ते-बढ़ते पट्ठा उस मुकाम पर पहुंच गया, जहां तक टीका आने से पहले कभी पहुंचा ही नहीं था। तो क्या इंडिया में टीका फेल है? इंडिया वैसे ही तीन लोक से न्यारी है। उस पर गोमूत्र और पवित्र गोबर की मार खा-खाकर कोरोना वाइरस भी ढीठ हो गया लगता है। ऐंठ रहा है कि जब गो-उत्पादों से लेकर रामदेव उत्पाद तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए, टीका ही क्या उखाड़ लेगा? फिर भी बात सिर्फ इतनी ही नहीं हो सकती थी। टीका फेल तो फेल, पर टीका आने से पहले जहां तक पहुंच गया था, कोरोना उससे भी ऊपर कैसे चढ़ गया? यह कोरोना के सिर्फ टीके को फेल करने का मामला नहीं हो सकता!

अब मोदी जी ने टीका उत्सव का ऐलान किया, तो समझ में आया कि माजरा क्या है! टीका तो आ गया, टीका लगने भी लगा, पर उत्सव नहीं आया। स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लग गया, तब तक कोरोना रुका रहा। फ्रंटलाइन वर्करों को टीका लग गया, तब भी कोरोना ने सोचा अब उत्सव का नंबर आएगा। बुजुर्गों को टीका लगा तब भी कोरोना बुजुर्गों का ख्याल कर के शांत रहा। पर जैसे ही पैंतालीस साल तक के अधेड़ों का नंबर आया, कोरोना का धैर्य छूट गया। फिर क्या था, टीका डाल-डाल, तो कोरोना पात-पात! हर रोज के केसों में इंडिया अख्खा दुनिया में नंबर वन। तब मोदी जी को ख्याल आया कि इस साल कोरोना के लिए उत्सव तो किया ही नहीं। चुनावों के लिए रोड शो किए, सभाएं कीं। अहमदाबाद स्टेडियम का नाम बदलने के लिए क्रिकेट मैच किए। आस्था के लिए कुंभ भी किया। पर कोरोना के लिए एक बार ताली-थाली तक नहीं बजायी। याद आने की देर थी कि मोदी जी ने ताबड़तोड़ चार दिन के टीका उत्सव का ऐलान कर दिया। टीका भी और उत्सव भी। कोरोना टीके से डरने को राजी नहीं है तो क्या हुआ, हम उसे उत्सव से पटा लेंगे।

जाहिर है कि कोरोना को उत्सव से पटाने का मोदी जी का भरोसा कोई चुनावी जुमले का मामला नहीं है। यह तो मोदी जी का आजमूदा नुस्खा है। पिछले साल की ही तो बात है। जब कोरोना हमारे देश में तो क्या दुनिया भर में नया-नया ही था और उसके रंग-ढंग का लोगों को ज्यादा पता भी नहीं चला था, तब भी अठावले के ‘‘गो कोरोना गो’’ में प्राचीन भारतीय संस्कृति का तडक़ा लगाते हुए, मोदी जी ने कोरोना के स्वागत में ताली-थाली पीटो उत्सव करा दिया था। पर अनजाने में पश्चिमी ‘‘गो कोरोना’’ यानी कोरोना जाओ से थाली बजाओ की तुक मिल गयी और कोरोना मिस-अडरस्टेंड कर गया। अब मोदी जी को बाकायदा ‘‘दीया-बाती’’ से स्वागत कराना पड़ा और उससे भी बात पूरी तरह नहीं बनी तो देवताओं के आशीर्वाद की शैली में, बाकायदा आकाश से पुष्प-वर्षा करानी पड़ी। कोरोना अब भी नहीं पिघलता तो क्या करता?

पर इधर कोरोना ढीला पड़ा और उधर अरबपतियों का कुनबा सख्त हो गया। एक ही रट, गिरती इकॉनमी में, मुनाफे ऊपर उठाओ। अब मोदी जी को लॉकडाउन का सीरियल छोडक़र, ओपन का सीरियल शुरू करना पड़ा। उससे भी काम नहीं चला तो आत्मनिर्भर भारत करना पड़ा। अंबानी-अडानी की एक मुस्कान के लिए मजदूरों से लेकर किसानों तक को खुड्डे लाइन लगाना पड़ा। संसद से लेकर सोशल मीडिया तक को संभालो, विपक्षी सरकारों की नाक में दम करो और यह सब करते-करते बराबर चुनाव प्रचार के मोड में रहो। रोज-रोज तेल के दाम बढ़ाओ, सो ऊपर से। एक मोदी जी की जान, कितने सारे काम। इसी सब आपाधापी में कोरोना को खुश रखने की बात दिमाग से निकल गयी। बस पट्ठा सनक गया। पिछले साल जब डरा रहा था तो दो महीने में तीन-तीन उत्सव और अब जरा सी नरमी दिखाई तो, नौ महीने में एक मामूली सा उत्सव तक नहीं। साल भर में तुलसी को उद्धृत करना सीख गया था। बोला--भय बिनु प्रीति होइ नहीं देवा...और लगा दिखाने अपना रौद्र रूप। मोदी जी अब भी चार दिन के टीका उत्सव का ऐलान नहीं करते तो क्या करते!

कुछ लोग अब भी टीका उत्सव का विरोध कर रहे हैं। कह रहे हैं कि मोदी जी का उत्सवों में तो स्पेशलाइजेशन है, पर टीका कहां है? इधर उत्सव की तैयारी है, उधर जहां भी देखो टीके की मारा-मारी है। वहां टीके की कमी से टीकाकरण केंद्र बंद हो रहे हैं और मोदी जी चार दिन के उत्सव की तैयारी कर रहे हैं। पर ये लोग जान-बूझकर, कोविड को संभालने की देश की कोशिशों में पलीता लगा रहे हैं। वर्ना चार दिन के उत्सव पर इतना हाय-हल्ला करने की क्या जरूरत है। टीके का क्या है, पहले भी लग रहे थे, आगे भी लगते रहेंगे। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम में, कभी सुस्ती तो कभी तेजी लगी ही रहती है। पर टीकाकरण का फायदा तभी न होगा, जब कोरोना वाइरस उसे टीका मानकर देगा। अगर वाइरस ही टीके को टीका नहीं मानेगा तो फिर टीका किस काम का? और पहली लहर गवाह है कि कोरोना न गोबर-गोमूत्र से मानता है, न रामदेव की दवाओं और काढ़े से और न एलोपैथी की दवाओं से। हमारे चौतीस करोड़ देवी-देवताओं की तरह कोरोना खुश होता है, पूजा-आरती से, उत्सव से। सो पूजा-आरती के टीके से कोरोना को मनाने दो यारो। नाच-गाकर कर कोरोना को रिझाने दो यारो! कब तक करोना-करोना करते रहोगे, उत्सव भी तो मनाने दो यारो। कोई कवि कह गया है--बिन उत्सव सब सून!

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

Satire
Political satire
sarcasm
COVID-19
Coronavirus
COVID 19 Vaccines
vaccination festival
Narendra modi

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License