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कोविड-19
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‘पीपल्स वैक्सीन’ पर काम कर रहा क्यूबा: अमेरिका और विश्व को करना चाहिए इसका समर्थन
विश्व के उत्तरी गोलार्ध में स्थित विकसित देशों की तरफ़ से वैक्सीन की बढ़ती जमाखोरी और टीके के उत्पादन पर रोक लगाने वाले पेटेंट के आरोपों के बीच शोधकर्ता और फ़िल्म निर्माता, बेथ गेगलिया क्यूबा के उन टीकों के समर्थन की अहमियत के बारे में लिखती हैं, जो सभी के लिए उपलब्ध हों।
बेथ गेगलिया
18 Mar 2021
सोवरेन-2 के क्लिनिकल परीक्षण के तीसरे चरण को 3 मार्च को मंज़ूरी दी गयी थी। फ़ोटो: बायोक्यूबाफ़ार्मा
सोवरेन-2 के क्लिनिकल परीक्षण के तीसरे चरण को 3 मार्च को मंज़ूरी दी गयी थी। फ़ोटो: बायोक्यूबाफ़ार्मा

"किसी एक शख़्स की ज़िंदगी सबसे अमीर आदमी की निजी संपत्ति से कहीं ज़्यादा क़ीमती होती है।" यह वाक्य क्यूबा की मुफ़्त सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और मुनाफ़े से पहले लोगों की अहमियत के प्रति प्रतिबद्धता जताने वाले क्यूबा के हवाना स्थित कैलीक्सो गार्सिया पब्लिक अस्पताल की वसीयत में लिखा गया है। मुझे क्यूबा को लेकर यह बात इसलिए पता है, क्योंकि मार्च में वैश्विक कोविड-19 महामारी के हमले की शुरुआत में मैंने कैलिक्सो गार्सिया के आईसीयू में एक सप्ताह बिताया  था। मैं एक तेज़ रफ़्तार से चलती एम्बुलेंस की चपेट में आ गया था और क्यूबा के डॉक्टरों ने मेरी जान बचायी थी। दो बार मेरा ऑपरेशन हुआ था और इसके बाद मुझे एक निजी मेडिकल राहत फ्लाइट से अमेरिका वापस लाने से पहले मेरे स्वास्थ्य को स्थिर कर दिया गया था। हमारे साथ जो कुछ भी हुआ था, जिसमें कि उड़ान भी शामिल है, सब कुछ मेरे लिए नि: शुल्क था-यहां तक कि विदेशी आगंतुकों के लिए क्यूबा सरकार की तरफ़ से संचालित बीमा के तहत भी मुझे कवर दिया गया। अपने अस्पताल के बिस्तर से मैं देख रहा था कि मेरी चारों ओर वैश्विक महामारी का कहर अपने शबाब पर था, मैंने देखा था कि क्यूबा सरकार ने अपने नागरिकों को इस कोविड-19 से बचाने के लिए अपने संसाधन किस तरह तेज़ी से जुटाये थे। लक्षणों वाले लोगों का घर पर ही परीक्षण किया गया था, सबसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में घर-घर जाकर बचाव के बारे में लोगों को बताया गया और ज़रूरत के हिसाब से डिस्टेंस क़ायम करने की नसीहद दी गयी। जहां यूएस में मरने वालों की संख्या 100,000 के आस-पास थी, वहीं क्यूबा में मई-अगस्त के ज़्यादातर हिस्से तक इस कोविड-19 से जुड़ी औसत दैनिक मौत क़रीब-क़रीब शून्य रही।

हालांकि जहां तक सेहत की बात है तो क्यूबा का मानवतावादी दृष्टिकोण मेरे लिए नया नहीं था। 2013 में मैंने उत्तरी होंडुरास में एक निःशुल्क अस्पताल पर एक वृत्तचित्र का सह-निर्देशन किया था। अफ़्रीकी मूल के गरिफ़ुना समुदायों से आने वाले सभी डॉक्टरों को क्यूबा के लैटिन अमेरिकी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन (ईएलएएम) में मुफ़्त में प्रशिक्षिण दिया गया था। क्यूबा ने 1999 में दुनिया (अमेरिका सहित) के सबसे ग़रीब क्षेत्रों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए ईएलएएम बनाया था जिसमें छह साल की ट्यूशन, रहने-सहने की पूरी छात्रवृत्ति इस उम्मीद के साथ प्रदान की गयी थी कि ये डॉक्टर  अपने समुदायों की सुलभ और रोकथाम करने वाली स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर वापस लौट जायेंगे। ईएलएएम दरअस्ल 1998 में आये हरिकेन मिच की तबाही से निपटने के सिलसिले में वजूद में आया था और तब से इसने 110 से ज़्यादा देशों के हज़ारों डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया है।

क्यूबा इस समय महामारी पर अंकुश लगाने के वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में वैक्सीन के असर के लिहाज़ से अभी तक अज्ञात जटिलता वाले सभी नये वेरिएंट (वायरस के अलग-अलग प्रकार) ने हमें दिखा दिया है कि सामूहिक प्रतिरक्षा (हर्ड इम्युनिटी) को प्राप्त करने का कोई भी प्रयास केवल उसी हद तक ठीक है जिस हद तक कि दुनिया भर में है। फिर भी जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि विश्व के उत्तरी गोलार्ध वाले विकसति देश, दक्षिणी गोलार्ध के अविकसित या विकासशील देशों के मुक़ाबले टीकाकरण के लिहाज़ से आगे बढ़ रहा है।

3 फ़रवरी को एंथोनी फ़ॉसी ने जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) नेटवर्क द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि कोविड-19 के टीकों का विकसित किया जाना "कोई दौड़ तो है नहीं।" उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि हर कोई टीका विकसित कर ले।”  डॉ फ़ॉसी ने रूसी और चीनी टीकों का ज़िक़्र किया और बाद में सुझाव दिया कि अमेरिका को अन्य देशों को वैश्विक स्तर पर अधिक टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए अपनी वैक्सीन निर्माण क्षमता को मजबूती देने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने अपनी बात के बीच में कहीं भी क्यूबा का उल्लेख नहीं किया।

सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित जैव प्रौद्योगिकी कार्यक्रम की बदौलत क्यूबा में इस समय वैक्सीन का दावा करने वाले चार प्रतिष्ठान हैं। उन टीकों में से एक है-सोवरेन-02,इसने मार्च की शुरुआत में तीसरे चरण के क्लिनकल परीक्षण पर काम शुरू कर दिया है। एक अन्य टीका है-अब्दला, जिसने फ़रवरी में अपने दूसरे चरण के परीक्षणों की शुरुआत कर दी है। दोनों टीके सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों की तरफ़ से विकसित किये जा रहे हैं और ये दोनों टीके लैटिन अमेरिका के सबसे संभावना वाले विश्वस्त टीके हैं।  मगर अफ़सोस कि डॉ फ़ॉसी इन टीकों का उल्लेख नहीं कर पाये।

अमेरिका और अन्य देशों की सरकारों को क्यूबा के साथ अपनी पुरानी दुश्मनी को अलग रखनी चाहिए और इसके टीकों के विकास और वितरण का समर्थन करना चाहिए। पहला क़दम तो यह होना चाहिए कि इन टीकों को गंभीरता से लिया जाय और अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते इसकी राह में आने वाली किसी भी तरह की रुकावट को दूर किया जाये। दूसरी बात कि विश्व की बड़ी कंपनियों को क्यूबा की तरफ़ से किये जा रहे टीका विनिर्माण को बढ़ाने के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए, इस लिहाज़ से जो कुछ यहां चल रहा है, उसका भी उन्हें समर्थन किये जाने का फ़ैसला करना चाहिए। जिस तरह से मौजूदा टीके का उत्तरी गोलार्थ के विकसित देशों द्वारा जमाखोरी की जा रही है, ठीक इसके उलट क्यूबा के टीकों में "आम लोगों का टीका" बनने की क्षमता है, जैसा कि दुनिया भर के कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिक भी इसे यही नाम दे रहे हैं। मसलन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कोविड-19 टेक्नोलॉजी एक्सेस पूल (C-TAP) वैश्विक स्तर पर अब तक के इस पहले वैक्सीन का लाइसेंस प्राप्त कराने को खुले तौर पर संभव बनाता है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के बेहतर तौर पर ज्ञात कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम का उद्देश्य पूल की ख़रीद और वैक्सीन की खुराक को कहीं ज़्यादा बराबरी के साथ वितरित करना है, यह उस चल रही बौद्धिक संपदा व्यवस्था की कमियों को दूर करने को लेकर कुछ नहीं करता है जो टीकों पर एकाधिकार जमाने की अनुमति देती है और इन टीकों के निर्माण को सीमित करती है।  जीवन रक्षक प्रौद्योगिकियों के अधिकारों का पूल बनाने के लिए महामारी की शुरुआत में ही सी-टीएपी बनाया गया था और वास्तव में समान और प्रभावी वैक्सीन के विस्तार की सुविधा दी गयी थी, लेकिन कोई भी देश या कंपनी इस सी-टीएपी के ज़रिये लाइसेंस पाने के लिए आज तक नहीं आगे आया है।

इस व्यवस्था के बावजूद, क्यूबा के अधिकारियों ने साफ़ तौर पर एक बार फिर मुनाफ़े से कहीं आगे आम लोगों के हित को रखने का इरादा जता दिया है। प्रेंसा लैटिना टीवी के लिए क्यूबा में फ़िनले वैक्सीन इंस्टीट्यूट के विसेंट वेरेस कहते हैं, “क्यूबा की टीका लगाने की रणनीति में कई चीज़ें शामिल हैं; सबसे पहली प्राथमिकता तो मानवता और स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर है, और दूसरे स्थान पर हमारे उद्योग को देश के लिए वैक्सीन और दवाओं के पर्याप्त उत्पादन को बनाये रखने की ज़रूरत है। हम कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी तो है नहीं, जहां अस्तित्व के लिए (निवेश पर) मुनाफ़ा पहली शर्त हो, हमारे लिए तो स्वास्थ्य में सुधार ही एक अहम बात है। हमारा काम करने का तरीक़ा बिल्कुल उल्टा है। हमारा मक़सद लोगों के स्वास्थ्य के लिए काम करना है। मुनाफ़ा तो स्वास्थ्य हासिल करने का एक नजीता भर है, लेकिन मुमाफ़ा हमारी प्राथमिकता कभी नहीं रहेगा।”

क्यूबा से पर्याप्त रूप से मिलने वाली परीक्षण सुविधा और जैसा कि सोवरेन-02 नाम से ही पता चलता है कि ये सुलभ वैक्सीन क्यूबा और हैती जैसे पड़ोसी देशों की स्वायत्तता में योगदान दे रहे हैं, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार पर इनकी निर्भरता से उनकी आबादी को मुक्त रखा जा सके। लेकिन, वैश्विक स्तर पर वैक्सीन के विस्तार को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही के लिहाज़ से यह वैक्सीन वरदान साबित हो सकती है। ये सभी नये स्ट्रेन को लेकर भी असरदार है। अमेरिका को क्यूबा के टीके के विकास का समर्थन इसलिए करना चाहिए क्योंकि न केवल यह हमारे लिए अच्छा है बल्कि दुनिया के लिए भी अच्छा है।

बेथ गेगलिया वाशिंगटन डीसी स्थित एक शोधकर्ता और वृत्तचित्र फ़िल्म निर्माता हैं। वह अमेरिकन यूनिवर्सिटी से एंथ्रोपोलॉजी में अपनी पीएचडी पूरी कर रही हैं जहां उनकी नज़र लैटिन अमेरिका और अमेरिका में हो रहे निजीकरण और क्षेत्रीय संघर्ष पर है। उसका शोध प्रबंध होंडुरास में विशेष क्षेत्राधिकारों (ZEDEs), ज़मीन और नागरिकता के विकास को लेकर है। उन्होंने अन्य किताबों के अलावा नॉर्थ अमेरिकन कांग्रेस ऑन लैटिन अमेरिका, टूवार्ड फ़्रीडम, द सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च नाम से भी किताबें लिखी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Cuba Working on a ‘People’s Vaccine’: the US and the World Should get Behind it

साभार: पीपुल्स डिस्पैच

Anthony Fauci
Blockade of Cuba
COVAX Initiative
Covid Vaccine
COVID-19 vaccine trials
Cuban doctors
Finlay Vaccine Institute
Public Healthcare
Soberana 2
World Health Organization

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