जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद पहली बार कोई चुनावी प्रक्रिया ज़िला विकास परिषद चुनाव के रूप में हो रही है। डीडीसी चुनाव के मतदान आठ चरणों में पूरे हो चुके हैं और आज यानी मंगलवार को वोटों की गिनती जारी है। मतगणना से एक रात पहले पीडीपी ने दावा किया है कि उसके तीन वरिष्ठ नेताओं, सरताज मदनी, मंसूर हुसैन और नईम अख़्तर को सोमवार को गिरफ़्तार किया गया है। महबूबा मुफ़्ती ने इस क़दम को 'गुंडा राज' क़रार दिया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सोमवार की दोपहर को सबसे पहले महबूबा मुफ़्ती ने गिरफ़्तारी का दावा किया। उन्होंने क़रीब 3 बजे ट्वीट कर के कहा कि पीडीपी के नेता सरताज मदनी और मंसूर हुसैन को जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया है। महबूबा ने इस क़दम 'गुंडा राज' बताते हुए लिखा, "हर पुलिस अफ़सर कह रहा है कि 'ऊपर से ऑर्डर' है।"
ज़िला विकास परिषद के चुनाव में कुल 280 सीटों पर नतीजे आने हैं, जिनपर आठ चरणों में वोटिंग हुई थी। जिसमें से आख़िरी आठवें चरण में सबसे ज़्यादा 83 फ़ीसदी वोटिंग देखने को मिली थी। बता दें कि इस चुनाव में भाजपा के सामने नेशनल कोन्फ़्रेंस और पीडीपी का गुपकार गठबंधन है। इस गठबंधन का नाम पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन(पीएजीडी) दिया गया था जिसके अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती और फ़ारूख़ अब्दुल्लाह हैं। इसके अलावा कॉंग्रेस में चुनावी मैदान में है।
सरताज मदनी जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं, जबकि पीरज़ादा मंसूर हुसैन पूर्व एमएलए रह चुके हैं।
सोमवार रात क़रीब 10 बजे महबूबा मुफ़्ती ने एक और ट्वीट कर जानकारी दी कि नईम अख़्तर को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि "लगता है बीजेपी नतीजों के साथ छेड़छाड़ करने वाली है।" महबूबा ने बताया कि नईम को जम्मू-कश्मीर पुलिस एमएलए हॉस्टल ले कर गई थी। नईम अख़्तर महबूबा मुफ़्ती की सरकार में पीडब्ल्यूडी के मंत्री रह चुके हैं।
इसके कुछ देर बाद ही नईम अख़्तर की बेटी शहरयार ख़ानम ने भी ट्वीट कर अपने पिता की गिरफ़्तारी की जानकारी दी। उन्होंने कहा, "पुलिस ने नहीं बताया कि मेरे पिता को क्यों गिरफ़्तार किया है, या उन्हें कब तक रखा जाएगा।"
पीडीपी के नेताओं की अचानक हुई गिरफ़्तारी की वजह से पीडीपी लगातार यह कह रही है कि बीजेपी साज़िश के तहत यह गिरफ़्तारी करवा रही है। इन गिरफ़्तारियों की सोशल मीडिया पर बुद्धिजीवी वर्ग ने निंदा की है।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीन कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। इसी के तहत वहाँ से अनुच्छेद 370 और 35ए को भी निरस्त कर दिया गया था। कश्मीर में क्षेत्रीय नेताओं की गिरफ़्तारी का भी इतिहास रहा है। जब अगस्त 2019 में संसद में यह अनुच्छेद निरस्त किये गए, उस वक़्त भी पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता नज़रबंद थे, राज्य में कर्फ़्यू था और ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के लिए किसी को राज्य में प्रवेश नहीं करने दिया गया था। ग़ौरतलब है कि राज्य में कई महीनों तक इंटरनेट-फ़ोन सेवा बंद रही थी।
पीडीपी के नेताओं की गिरफ़्तारी के बाद कांग्रेस के सलमान अनीस सोज़ ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है और कहा है कि जो कश्मीर में हो रहा है उसे सारे देश को देखना चाहिये।
डीडीसी चुनाव के वोटों की गिनती जारी है। ख़बर लिखे जाने तक गुपकार गठबंधन 53 सीटों पर आगे चल रहा है, बीजेपी 47 सीटों पर आगे चल रही है और कांग्रेस 18 सीटों पर आगे चल रही है। शाम तक स्थिति साफ़ होने की संभावना है। यह चुनाव इसलिए अहम माने जा रहे हैं क्योंकि राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म होने के बाद यह पहली चुनावी प्रक्रिया है।