NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
दीपिका और जेएनयू : फ़िल्म का प्रमोशन या कैरियर का रिस्क!
जैसे ही कोई कलाकार किसी ज़रूरी और ज्वलंत मु्ददे पर अपनी राय रखता है तो उसके पक्ष-विपक्ष में बहस शुरू हो जाती है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन इसे लेकर उसके ऊपर निजी हमले तक किए जाने लगते हैं। ट्रोल किए जाने लगता है। ऐसा ही अब दीपिका के साथ हो रहा है।
सोनिया यादव
08 Jan 2020
Deepika padukone in JNU

सीएए-एनआरसी के बाद अब फिल्मी दुनिया के कलाकार जेएनयू हमले के विरोध में भी आगे आ रहे हैं। लेकिन जैसे ही कोई कलाकार ऐसे सामाजिक और ज्वलंत मु्ददे पर अपनी राय रखता है तो उसके पक्ष-विपक्ष में बहस शुरू हो जाती है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन इसे लेकर उसके ऊपर निजी हमले तक किए जाने लगते हैं। ट्रोल किए जाने लगता है। इसे बिल्कुल ठीक नहीं कहा जा सकता, लेकिन ऐसा ही कुछ हो रहा है मशहूर फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के साथ। जेएनयू के साथ खड़े होने पर रातों-रात 'बॉयकोट छपाक' ट्विटर पर ट्रेंड करने लगता है और लोग दीपिका को लेकर दो धड़ों में बट गए।

दरअसल दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 जनवरी की शाम हुई हिंसा ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर दिया है। इसे लेकर तमाम विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, छात्र और नागरिक समाज के लोग सड़कों पर मार्च निकाल रहे हैं। इसी कड़ी में 7 जनवरी को जेएनयू कैंपस में हुई सभा में दीपिका पादुकोण भी शामिल हुईं। हालांकि उनकी ये उपस्थिति बिल्कुल चुपचाप थी लेकिन इसने एक नई बहस छेड़ दी।

क्या है पूरी कहानी?

मंगलवार 7 जनवरी की शाम दीपिका क़रीब साढ़े सात बजे जेएनयू परिसर पहुँचीं। वे कुछ देर वहाँ एकत्रित छात्रों के बीच खड़ी हुईं और आखिर में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष से मुलाक़ात कर निकल गईं। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस की शुरुआत हो गई। लोग दीपिका के पक्ष-विपक्ष में तरह-तरह की बातें लिखने लगे। किसी ने इसे दीपिका का साहस बताया तो कोई इसे फिल्म प्रमोशन स्टंट कहने लगा। बहुत से लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि वे उनकी आने वाली फ़िल्म 'छपाक' नहीं देखेंगे। कुछ बीजेपी नेताओं ने छपाक के बहिष्कार की अपील तक कर दी। तो वहीं सुबह होते ही ट्विटर पर हैशटैग आई सपोर्ट दीपिका भी ट्रेंड करने लगा।

दीपिका पादुकोण के बॉयकोट और सपोर्ट के बीच एक सवाल अहम है कि अगर दीपिका वहां वाकई फिल्म प्रमोशन या पब्लिक रिलेशन के चलते गईं भी, तो इसमें गलत क्या है? क्या महज़ इस कारण से उनका या उनकी आने वाली फिल्म का बॉयकोट करना सही है? क्या हमें दीपिका के जेएनयू जाने के चलते उनके बारे में कुछ भी बोलने का अधिकार मिल जाता है? क्या हम उन्हें, उनकी विचारधारा को जज कर सकते हैं?

इन सभी सवालों का जवाब नहीं है! क्योंकि इस देश में सभी को अभिव्यक्ति की आज़ादी है। आप कहीं भी, कभी भी और किसी को भी साथ अपना समर्थन दे सकते हैं। आप किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रख सकते हैं और लोकतांत्रिक तरीके से किसी विरोध का हिस्सा भी हो सकते हैं।

इसी अधिकार से दीपिका की आलोचना का भी सबको हक़ है। लेकिन निजी हमले, ट्रोल किया जाना, उनके ख़िलाफ़ झूठे किस्से गढ़ना किसी भी तौर पर सही नहीं कहा जा सकता।

deepika JNU.jpg

दीपिका की राय

दीपिका मंगलवार को अपनी फ़िल्म छपाक के प्रचार के लिए दिल्ली में थीं। इस दौरान इस मुद्दे पर मीडिया ने उनसे कई सवाल पूछे। आज तक को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 'देश में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर उन्हें तकलीफ़ होती है'।

जब दीपिका से पूछा गया कि देश के विश्वविद्यालयों में सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। कई फ़िल्मी हस्तियां ने भी इस पर खुल कर बात रखी है। इस मुद्दे पर आपका क्या नज़रिया है?'

दीपिका ने जवाब में कहा, "इस बारे में मुझे जो कहना था वो मैंने दो साल पहले कह दिया था। जब फ़िल्म पद्मावत रिलीज़ हो रही थी, उस वक़्त जो मैं महसूस कर रही थी, मैंने उसी वक़्त कह दिया था। अब जो मैं देख रही हूँ, मुझे बहुत दर्द होता है। ये दर्द इसलिए क्योंकि लोग जो देख रहे हैं, उसे सामान्य न मानने लग जाएं। ये 'न्यू नॉर्मल' न बन जाए कि कोई भी कुछ भी कह सकता है और उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। तो डर भी लगता है और दुख भी होता है। मुझे लगता है कि हमारे देश की जो बुनियाद है, वो ये तो ज़रूर नहीं है।"

बता दें कि जनवरी 2017 में फ़िल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली पर जयपुर में कुछ लोगों ने हमला किया था। फ़िल्म पद्मावत के सेट पर तोड़-भोड़ की और भंसाली और उनकी पूरी टीम के साथ हाथापाई भी हुई। इसकी ज़िम्मेदारी राजस्थान की करणी सेना ने ली थी। उस समय भी रणवीर सिंह, शाहिद कपूर और दीपिका पादुकोण को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

उसी दौरान गुजरात के एक कलाकार को पद्मावत से जुड़ी रंगोली बनाने के लिए पीटा गया था। दीपिका ने इस घटना की तस्वीरें शेयर करते हुए 18 अक्तूबर 2017 को केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को टैग कर एक ट्वीट किया, "आर्टिस्ट करण और उनके आर्ट-वर्क पर हुए हमले की ख़बर सुनकर दिल टूटा। यह भयावह है, घिनौना है। ये कौन लोग हैं? इन घटनाओं के लिए कौन ज़िम्मेदार है? और कब तक हम ऐसी घटनाओं को होने देंगे? ये लोग क़ानून को हाथ में लेते रहें और हमारी बोलने की आज़ादी पर हमला करते रहें. वो भी बार-बार. इसी रोकना होगा. अभी. और इसके ख़िलाफ़ एक्शन ज़रूरी है।"

दीपिका ने उस समय एक चैनल को दिए इंटरव्यू में ये भी कहा था कि अब वो समझ सकती हैं कि बॉलीवुड उनके समर्थन में क्यों नहीं बोल रहा है। जाहिर है दीपिका और उनकी टीम ने जेएनयू जाने से पहले ही इन तमाम बातों का अंदाजा लगा लिया होगा। इसके बावजूद दीपिका का वहां जाना एक बड़ा कदम है। दीपिका ने वहाँ जुटे छात्रों और अध्यापकों को संबोधित तो नहीं किया मगर सोशल मीडिया पर उनकी जो तस्वीरें वायरल हुई हैं, उन्होंने एक साफ़ संदेश दिया है।

गौरतलब है कि दीपिका की आगामी फिल्म छपाक एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी बयां करती है। इस फिल्म में दीपिका के लिए एक एक्टर के तौर पर ही चीज़ें दांव पर नहीं लगी हैं, बल्कि वो छपाक फ़िल्म की निर्माता भी हैं। इस फिल्म को मेघना गुलज़ार ने डायरेक्ट किया है। अब दीपिका के जेएनयू जाने को लेकर दो धड़े बन गए हैं। दीपिका का ये कदम और ‘छपाक’ की रिलीज, दोनों उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ साबित हो सकते हैं। लेकिन इस बात की तारीफ़ तो बनती है कि दीपिका ने तमाम आलोचनाओं की परवाह किए बगैर और अपनी फिल्म और कैरियर का रिस्क लेते हुए इस तरह पहली बार किसी गंभीर मसले पर खुलकर स्टैंड लिया है।

एक छात्र ने दीपिका की आलोचना पर टिप्पणी की, "अगर ये फिल्म के लिए प्रमोशन स्टंट है तो भी ये स्टंट अच्छा है। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर और भी कलाकारों को ऐसा स्टंट करना चाहिए।”

JNU
JNU Protest
Attack on JNU
Deepika Padukone
bollywood
CAA
NRC
celebrities

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License