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दिल्ली : पुलिसिया दमन के बावजूद भलस्वा की महिलाओं का जागरूकता मार्च जारी
महिलाएं अपने काम से फ्री होने के बाद 14 फरवरी से रोज शाम को भलस्वा जे.जे. कॉलोनी पार्ट 2 में कैंडल मार्च निकाल कर लोगों को सीएए-एनपीआर-एनआरसी के ख़िलाफ़ जागरूक करने का काम कर रही हैं।
सुनील कुमार
21 Feb 2020
protest against CAA

दिल्ली के भलस्वा की पहचान डम्पिंग ग्राउण्ड (कचरे का पहाड़) के रूप में की जाती है। इस डम्पिंग ग्राउण्ड से 1.5 कि.मी. के दूरी पर जे.जे. कालोनी स्थित है। दिल्ली सरकार ने सौंदर्यकरण के नाम पर सन् 2000 में दिल्ली के विभिन्न इलाकों से झुग्गी-बस्तियों को तोड़कर जे.जे. कॉलोनी का निर्माण किया था। यहां पर लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं दी गई थी। लोग तीन-चार कि.मी. चलकर अपने घर पहुंचते थे, लोगों के पीने के लिए पानी तक नहीं था। लोग घरों को छोड़कर काम पर जाते थे तो उनके बर्तन तक चोरी हो जाते थे। ऐसे में उनके सामने आवास या रोजगार चुनने की चुनौती पैदा हो गई थी। 20 साल बाद भी स्थिति यह है कि गलियों में पानी जमा रहता है, पीने का स्वच्छ पानी नहीं है। लोगों के लिए सरकार की तरफ से सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है। यहां पर लोग अपने साधन या ई-रिक्शा के माध्यम से मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं, जो कि यहां की अधिकांश आबादी के लिए बोझ होता है।

यहां के छात्र-छात्राओं को प्राइमरी स्कूल के बाद पढ़ने के लिए जहांगीरपुरी या सिरसपुर जाना पड़ता है जिसके कारण अधिकांश छात्र-छात्राएं स्कूल छोड़ने को मजबूर होती हैं। लोग ड्रग्स से परेशान हैं। उनके बच्चें कम उम्र में ही नशे की लत के शिकार होते हैं। लोग बताते हैं कि पुलिस से शिकायत करने के बाद भी ड्रग्स का करोबार कम नहीं हो रहा है। यहां पर महिलाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है। अधिकांश महिलाएं घरों में काम करने के लिए रोहणी, निजामुद्दीन जाती हैं। होम बेस कुछ काम मिलते हैं लेकिन उसमें मजदूरी इतनी कम होती है कि पूरे दिन काम करने पर भी मुश्किल से 50 रू. तक ही कमा पाती हैं। यहां पर समाज का वह तबका रहता है जो अधिकांशतः समाज के निचले पयदान पर जी रहा है।

जे.जे. कॉलोनी के निवासी काग़ज़ के महत्व को समाज के दूसरे तबके से ज्यादा समझते हैं। जब उनकी झुग्गी-बस्ती तोड़ी गई तो उनको प्रुफ जुटाने और अपने आप को बस्तीवासी साबित करने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे। जो लोग काग़ज़ नहीं जुटा पाये उनको प्लॉट नहीं मिला या जो दस्तावेज बाद के समय में बना पाये थे उनको 12.5 गज का और 1990 से पहले वाले दस्तावेजों को 18 गज का प्लाट मिला। यही कारण है कि लोग जब नागरिकता सिद्ध करने वाली कानून (एनआरसी, एनपीआर और सीएए) के विषय में सुनते हैं तो उनके अन्दर एक डर पैदा होता है, क्योंकि इसमें अधिकांश लोग भूमिहीन, कम पढ़े-लिखे या नहीं पढ़े-लिखे हैं। इन लोगों के पास नागरिकता सिद्ध करने वाले कागज जुटाना मुश्किल भरा काम है।

ये लोग 20 से 40 साल पहले अपने गांव छोड़कर रोजी-रोटी कमाने दिल्ली आ गये थे और झुग्गी-बस्ती बना कर रहने लगे हैं। इनके बस्तियों में कई बार आग लगी, जिसमें जो भी इनके कागजात थे जल गये या बस्ती टूटते समय काफी लोगों के दस्तावेज खो गये, चोरी हो गये। इस स्थिति में अगर उनसे पुराने कागज मांगे जायें तो उनको अपने आप को नागरिक सिद्ध करना मुश्किल हो जायेगा और सरकारी नजर में वे ‘घुसपैठिये’ घोषित कर दिये जाएंगे। यही कारण है कि यहां की मेहतकश महिलाएं अपने काम से फ्री होने के बाद शाम को 7 बजे से रात के 9-10 बजे तक 14 फरवरी, 2020 से भलस्वा जे.जे. कॉलोनी पार्ट 2 में कैंडल मार्च निकाल कर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं। वे सीएएस, एनआरसी, एनपीआर को काला कानून मानती हैं और सरकार से उसे वापस लेने की मांग कर रही हैं।

समाज के दबी-कुचली जनता जब ऐसी आवाज उठाती है तो सरकारी मशीनरी उसको तुरंत दबाने की मांग करती है। यही जनता है जो दिल्ली जैसी शहर को बनाती है और चलाती भी है जब इस तरह की जनता अपने हक-अधिकारों की बात करने लगे तो शासक वर्ग का कान खड़े हो जाते हैं और उसे भ्रूण अवस्था में ही दबाने की कोशिश करता है। यही कारण है कि जब कॉलोनी के अन्दर 14 फरवरी से महिलाओं ने कैंडल मार्च निकाल कर काले कानून वापस लेने और कॉलोनीवासियों को बुनियादी सुविधाएं देने की मांग की तो 15 फरवरी से ही पुलिस उनको परेशान करने लगी और फोन पर धमकी देने लगी कि उनको देशद्रोह के केस में बंद कर दिया जायेगा, अपनी जिन्दगी प्यारी है कि नहीं।

लेकिन भलस्वा की बेखौफ महिलाएं पुलिस की धमकी से नहीं डरी और अपना शांतिपूर्वक मार्च का आयोजन करती रहीं। कॉलोनी के विभिन्न गलियों में घूम-घूम कर वह लोगों से अपील करती रहीं कि वे वर्गीय एकता बनायें क्योंकि यह कानून समाज के हरेक गरीब, मेहनतकश तबके को प्रभावित करेगी और इसमें आम जनता परेशान होगी। वह चाहती हैं कि लिस्ट उन बस्तियों की बनें जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, बच्चों के लिए स्कूल, खेल के मैदान नहीं है। लिस्ट उनका बने जो बेरोजगार हैं, उनको रोजगार दिया जाए।

महिलाओं की इस वर्गीय एकता कुछ जन विरोधी तबकों को अच्छी नहीं लगी। जब महिलाएं 18 फरवरी को मार्च निकाल रही थीं तो एक गली का गेट बंद कर दिया गया। जबकि उस गली के और लोग कह रहे थे कि गेट खोल दिया जाए लोग शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे हैं इनको निकालने दिया जाए। लेकिन एक व्यक्ति ने सार्वजनिक गेट को बंद किया और मार्च को उस रास्ते से नहीं जाने दिया, जिसका प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने विरोध किया। 

20 फरवरी को पुलिस ने महिलाओं को कॉलोनी में आकर धमकाया कि प्रदर्शन करने पर उनको गिरफ्तार किया जायेगा। महिलाएं जब शाम को प्रदर्शन करने निकालीं तो एसएचओ ईदगाह/पार्क (जहां मार्च में शामिल महिलाएं इकट्ठा होती है) में टैबल, कुर्सी लगाकर बैठ गये और मस्जिद से घोषणा कराने लगे कि आप लोग मार्च मत निकालो, हमसे आकर बात करो। महिलाओं ने एसएचओ से बात की, जहां पर उनसे कहा गया कि आप बिना अनुमति मार्च नहीं निकाल सकते। लेकिन महिलाओं ने प्रतिवाद किया और कहा कि हम अपने कॉलोनियों में शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे हैं, हम कोई रास्ता जाम नहीं कर रहे हैं, किसी को जबरदस्ती मार्च में नहीं ला रहे हैं, इसलिए हमें अनुमति की जरूरत नहीं है।

पुलिस से बात करने के बाद भलस्वा की महिलाओं ने अपने मार्च को जारी रखी। लेकिन दक्षिणपंथी समूहों द्वारा कल भी महौल खराब करने की नियत से गली का गेट बंद किया गया। महिलाएं टकराव से बचते हुए दूसरे रास्ते से आगे निकल गईं और अपने मार्च को सम्पन्न किया।

महिलाओं ने संकल्प लिया कि हम अपने मार्च निकाल कर मेहनतकश जनता की एकता के लिए काम करते रहेंगी। हम सरकार से मांग करते हैं कि सीएए जैसी नफ़रत फैलाने वाले कानून को वापस ले और एनआरसी, एनपीआर को रोक दें। हमारे मौलिक समस्याओं पर ध्यान दे और उनको हल करे।

इन महिलाओं की वर्गीय एकता को देखते हुए प्रशासन घबरा गया और हरेक हथकंडे अपनाने का काम किया जिससे कि महिलाएं डर जाएं। अब इस सब आंदोलन को तोड़ने-ख़त्म करने की एक और कोशिश सामने आई है। दरअसल 20 फरवरी को इस इलाके में व्हाटसप ग्रुप पर एक मैसेज आना शुरू हुआ है कि ‘‘आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय सेविका समिति, समस्त संघ परिवार, समस्त आरडब्लयूए, समस्त वरिष्ठ, युवाओं, माताओं, बहनों समस्त हिन्दू मठ, मंदिर गुरूद्वारा, समस्त सनातन संस्कृति श्रीराम के वंशज की तरफ से सीएए के समर्थन में 23 फरवरी को सुबह 8 बजे भलस्वा जे.जे. कॉलोनी पार्ट2 में विशाल पैदल रैली का आयोजन किया जा रहा है।’’

(लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार है।)

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