देश में लगातर पेट्रोल डीजल और गैस के दाम जिस तरह से आसमान छू रहे हैं, इसको लेकर सी.पी.आई.(एम) की दिल्ली राज्य कमेटी ने जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल-रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के साथ ही बढ़ती मंहगाई, बढ़ती बेरोज़गारी, किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों तथा मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड लागू करने के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की। पार्टी के मुताबिक इस प्रदर्शन से पहले 15 दिनों तक इन मुद्दों पर पूरी दिल्ली तक अभियान चलाया गया था। प्रदर्शन को पोलित ब्यूरो सदस्य बृन्दा करात व हन्नान मोल्लाह, केंद्रीय कमेटी के सदस्य अशोक ढवले, मरियम ढवले तथा दिल्ली राज्य सचिव के.एम. तिवारी ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी के कारण तमाम खाने की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। खाद्य सामग्री को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाके कालाबाजारी को बढ़ावा दिया गया है। जनता को थोड़ी बहुत राहत पहुंचाने वाली राशन व्यवस्था को भी केन्द्र सरकार ने ध्वस्त करने की पूरी योजना बना ली है। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और बाद में बगैर तैयारी के मार्च 2020 में लगे लॉकडाउन के चलते आज बेरोज़गारी 45 वर्ष के चरम पर है। मोदी सरकार ने श्रम कानूनों के ‘सरलीकरण’ के नाम पर पूंजीपतियों के हितों को ध्यान में रखकर 4 लेबर कोड बनाए हैं। इन कानूनों में नौकरी से जुड़ी सुरक्षा को समाप्त किया जा रहा है। मेहनतकश वर्ग को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की तैयारी की जा रही है।

सी.पी.आई.(एम) ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा केन्द्र की मोदी सरकार किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा किसानों की शहादत के बावजूद अड़ियल रूख अपनाए हुए है। किसानों की मांग मानने के बजाए उन्हें क्षेत्रीय व वर्गीय आधार पर बांटने, उन्हें कुचलने, झूठे आरोप लगाकर नेताओं, पत्रकारों को गिरफ्तार करने के घिनौने कामों में लगी हुई है।
अंत में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा आज मेहनतकश जनता की जीविका पर चौतरफ़ा हमला बोल रही है। साथ ही वह इन विनाशकारी नीतियों के खिलाफ़ संघर्ष को कमज़ोर करने व जनता को बांटने के लिए साम्प्रदायिक विभाजन की नीति चला रही है। हमें मिलकर इन दमनात्मक नीतियों का मुकाबला करते हुए महंगाई, बेरोज़गारी, श्रम कानून परिवर्तन, नए कृषि कानून व जनवाद इत्यादि पर हमलों के खिलाफ़ डटकर लड़ना होगा।