दिल्ली में मतदान से ऐन पहले देश की सत्ताधारी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के माहौल को जनता के मुद्दों से हटाकर सांप्रदायिक-विभाजन की तरफ मोड़ने की भरपूर कोशिश की है! क्या दिल्ली वाले रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सीएए-एनपीआर-एनआरसी जैसे असल मुद्दों से भटककर हिन्दू-मुसलमान, गाली-गोली या बिरयानी-कांवड़ जैसे बेमतलब जुमलों में अटकेंगे? इन्हीं सवालों की रोशनी में चुनावी माहौल का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेशI