आज गुरूवार को देशभर में वामपंथी छात्रसंगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया ( एसएफआई) ने शिक्षण संस्थानों को सुचारू रूप से चालू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके तहत राष्ट्रव्यापी माॅक क्लासरूम आयोजित किए गए और कई राज्यों में मुख्यालयों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि लगभग 17 महीनों के लंबे समय से सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। जिसका सीधा प्रभाव प्राइमरी से लेकर विश्विद्यालय, कोचिंग सस्थानो में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ रहा है. जिसके दूरगामी परिणाम बहुत गम्भीर होंगे।
एसएफआई के राष्ट्रीय महासचिव मयूख विश्वास और अध्यक्ष वीपी शानू ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि "एक साल से अधिक समय हो गया है, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से छात्र समुदाय बहुत प्रभावित हुआ है। शिक्षा के निरंतर ऑनलाइन मोड ने बहुत से लोगों को शिक्षा से दूर कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि देश में ड्रॉपआउट दर भी अत्यधिक बढ़ गई है जो बेहद चिंताजनक है। इन सभी परिस्थतियों को देखते हुए हमने शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं से निपटने के लिए सरकार से उचित कार्रवाई की मांग करते हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है।"
एसएफआई ने अपने बयान में कहा कि 12 अगस्त को पूरे भारत में 2000 से अधिक केंद्रों में वैकल्पिक मॉक क्लासरूम का आयोजन किया गया। मॉक क्लास में हजारों छात्रों ने भाग लिया, कई जगह प्रतिष्ठित शिक्षकों ने छात्रों को पढ़ाया भी है। छात्रों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से डिजिटल डिवाइड और शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती असमानता के खिलाफ भी आवाज बुलंद की है।
देश की राजधानी दिल्ली में भी इस तरह का आयोजन किया गया है। दिल्ली विश्विद्यालय में भी मॉक क्लास लगाई गई जिसमें डीयू के शिक्षक राजीव कुंवर ने छात्रों को पढ़ाया। इसी तरह की कक्षा दिल्ली के अंम्बेडकर विश्विद्यालय में भी लगाई गई।
दिल्ली एएसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभाव पूर्ण ही नहीं बल्कि अव्यवहारिक भी है। आज भी जहां हमारे देश में कई जगह नेटवर्क इतना ख़राब है कि आप फ़ोन पर बात नहीं कर सकते, वहां आप ऑनलाइन एग्जाम कैसे करा सकते हैं। इसके साथ छात्रों का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जिनके पास ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने या एग्जाम देने के लिए जो साधन चहिए जैसे स्मार्ट मोबाईल या लैपटॉप वो नहीं है, तो वो छात्र कैसे एग्जाम देंगे?
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस महामारी और लॉकडाउन से लोगों के दिमाग पर गहरा असर पड़ा है। इस दौरान छात्र अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर सके। इसके साथ ही कई विषयों का सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। छात्र अभी एग्जाम देने के मानसिक हालत में नहीं हैं। इसलिए सभी छात्रों को प्रमोट किया जाना चाहिए।
सुमित ने बताया कि इसको लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली में भी इसको लेकर कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हम सरकार को साफ कहना चाहते हैं कि वो अपने छात्र विरोधी रवैये को रोके, नहीं तो छात्र अपना आंदोलन और तेज़ करेंगे। इसके लिए केवल सरकार जिम्मेदार होगी।
इनकी मुख्य मांग इस प्रकार है -
1). सभी छात्रों को शिक्षण संस्थान में ही अनिवार्य रूप से वैक्सीन उपलब्ध करवायी जाए।
2). कोरोना सम्बंधी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सभी शिक्षण संस्थानों को शीघ्र खोला जाए।
3). "डिजिटल डिवाइड" के माध्यम से छात्रों को ड्राप आउट की ओर धकेलना बन्द हो।
4). "डिजिटल डिवाइड" पर रोक लगे।
देशभर में प्रदर्शन की झलकियां :-
पश्चिम बंगाल




केरल




तेलंगाना

उत्तराखण्ड

हरियाणा


दिल्ली


