वामपंथी डेमोक्रेटिक पीपल्स पार्टी (एचडीपी) के पूर्व सह-प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सेलहैटिन डेमिर्टस सहित 108 सदस्यों पर 26 अप्रैल को तुर्की की राजधानी अंकारा में मुकदमा शुरू हुआ। इस कार्यवाही के साथ साथ उचित प्रक्रिया के उल्लंघन को लेकर अदालत के भीतर और बाहर भारी विरोध हुआ। उचित प्रक्रिया के उल्लंघन ने लीगल डिफेंस टीम को विरोध करने के लिए मजबूर किया और 3 मई तक सुनवाई को स्थगित कर दिया गया।
इस कार्यवाही की शुरुआत में बचाव पक्ष के लगभग 100 वकीलों को COVID-19 प्रतिबंधों के कारण कथित रूप से अदालत कक्ष तक पहुंचने से रोक दिया गया। हालांकि जितनी भी शिकायतें की गईं उसमें यह पता चला कि हॉल के भीतर उन्हें आवंटित किए गए स्थानों पर दर्जनों दंगा पुलिस मौजूद रहे।
तुर्की की संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एचडीपी के सदस्यों पर अक्टूबर 2014 में देश में इस्लामिक स्टेट विरोधी (आईएसआईएस) प्रदर्शन के दौरान हिंसा में उनकी कथित भागीदारी को लेकर मुकदमा किया गया है। इन आरोपियों में तुर्की संसद के पूर्व निर्वाचित सदस्य भी शामिल हैं। इनके साथ साथ महापौर और पार्टी के पूर्व सह-प्रमुख सेलहैटिन डेमिर्टस और फिजेन युक्सडैग शामिल हैं। इन पर 37 लोगों की हत्याओं और राज्य की एकता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के मामलों में मुकदमा चलाया गया है।
पूर्वी सीरिया में कोबाने के नाम से जाने जाने वाले कुर्दिश बहुल ऐन एन अरब शहर पर इस्लामिक स्टेट के हमले के बाद साल 2014 में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। इन प्रदर्शनकारियों ने यह भी मुद्दा उठाया था कि तुर्की सशस्त्र बलों ने इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से कुर्दों की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया। एचडीपी के कई सदस्यों ने इस प्रदर्शन के समर्थन में कई ट्वीट कर इस विरोध के साथ अपनी एकजुटता व्यक्ति की थी।
ये प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब सुरक्षा बलों ने हमला कर दिया। इससे 37 लोगों की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर लोगों की मौत सुरक्षा बलों की गोलीबारी से हुई।
साल 2014 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सेलहैटिन डेमिर्टस को 4 नवंबर 2016 को गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह एचडीपी के सह-प्रमुख थे। उन्होंने 2018 में फिर से जेल से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा। उन पर कोबाने विरोध प्रदर्शनों और "लोगों को अपराध करने के लिए उकसाने" और "आतंकवादी संगठन का नेतृत्व" करने का आरोप लगाया गया है। दोषी पाए जाने पर उन्हें 142 साल तक की जेल हो सकती है।