NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
दिलीप छाबड़िया ने कारों की डिज़ाइनिंग से करोड़ों रुपये कमाए, फ़िर क्यों उन्होंने बैंकों से धोखाधड़ी के लिए नए डिज़ाइन ईज़ाद किए?
पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि DC नाम के ब्रॉंड तले बनने वाली छाबड़ियां की 90 कारों का इस्तेमाल फ़र्जी तरीके से वित्त को हासिल करने के लिए किया गया था.
रमेश मेनन
09 Jan 2021
Dilip Chhabria

कारों की डिज़ाइनिंग और उनकी दोबारा मॉडलिंग कर प्रसिद्ध हुए दिलीप छाबड़िया को गिरफ़़्तार कर लिया गया है। छाबड़िया पर धोखाधड़ी और फ़र्जीवाड़े के आरोप हैं। आखिर ऐसा क्यों है कि अमीर और प्रसिद्ध लोग बैंक फ़्रॉड का सहारा लेते हैं, जबकि उन्होंने पैसा वैधानिक तरीकों से बनाया होता है? रमेश मेनन बता रहे हैं कि कैसे कई भारतीय उद्योगपति बैंक फ़र्जीवाड़े में संलिप्त रहे हैं। इन फ़र्जीवाड़ों से बैंकिंग सेक्टर में बड़े स्तर के वित्तीय संकट पैदा हुए हैं।

67 साल के कार डिज़ाइनर दिलीप छाबड़िया के पास 800 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का साम्राज्य है। वे एक विख्यात डिज़ाइनर के तौर पर अपना राज चला सकते थे। उनके द्वारा डिज़ाइन की हुई कारों को लोकप्रिय तौर पर DC अवंती नाम से जाना जाता है, इनमें से हर कार की कीमत 42 लाख रुपए होती है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने 463 ऐसी कारें बनाई हैं। इनमें से ज़्यादातर कारों को ख्यात लोगों ने खरीदा है।

फ़िर, आखिर उन्होंने पैसा बनाने के लिए धोखाधड़ी और फ़र्जीवाड़े का इस्तेमाल क्यों किया?

क्या यह उनका पैसे के लिए लालच था?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों के 31 आरोपी फ़िलहाल विदेशों में रह रहे हैं। भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इन्हें 40 हज़ार करोड़ रुपए  भी ज़्यादा चुकाए जाने हैं।

यह एक वज़ह हो सकती है।

दूसरा कारण यह है कि जिन घोटालेबाजों ने फ़र्जी कर्ज़ लेकर भारतीय बैंकों से फ़र्जीवाड़ा किया है, उन्हें सजा नहीं मिली।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों के 31 आरोपी फ़िलहाल विदेशों में रह रहे हैं। इन्हें भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 40 हजार करोड़ रुपये भी ज़्यादा चुकाने हैं।

छाबड़िया को हाल में मुंबई पुलिस ने फ़र्जीवाड़े और धोखाधड़ी के आरोपों में गिरफ़़्तार किया था, उन पर कारों को अलग-अलग राज्यों में कई RTO में पंजीकृत कर, उनके आधार पर गैर वित्तीय बैंकिंग कंपनियों से कर्ज़ लेने का आरोप भी है।

कई पंजीकरण और अलग-अलग कर्ज

पुलिस ने पाया कि छाबड़िया की DC के ब्रॉन्ड तले आने वाली 90 कारों का इस्तेमाल फ़र्जी तरीके से वित्त हासिल करने में किया गया था। हर एक कार पर 42 लाख रुपये के कई कर्ज़ लिए गए थे। ज़ाहिर है उनका इन कर्जों को चुकाने का कोई इरादा नहीं था।

एक मामले में पुलिस ने पाया कि एक ही कार इंजन को 16 कारों ने पंजीकृत किया है। सभी 16 कारों पर कर्ज़ उठाए गए थे!

पुलिस की नज़र जिन 90 गाड़ियों पर है, उन्हें दो या तीन RTO में अलग-अलग राज्यों में पंजीकृत किया गया था। यह बेहद सुनियोजित ढंग से चलाया गया कार्यक्रम था। 

अगर तमिनाडु का एक ग्राहक नहीं होता, जिसने छाबड़िया से 42 लाख का कर्ज़ लिया था, तो छाबड़िया कभी पकड़े नहीं जाते। जब पुलिस ने ट्रैफ़िक नियमों का उल्लंघन करने के लिए संबंधित शख़्स पर जुर्माना लगाना चाहा, तो पुलिस ने पाया कि इसी रजिस्ट्रेशन नंबर की एक और कार हरियाणा में भी मौजूद है। जब ग्राहक से पुलिस ने पूछताछ की, तो उसने छाबड़िया से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उसने छाबड़िया को बहुत टालमटोल करते पाया। इसके बाद चिंतित ग्राहक छाबड़िया से मिलने मुंबई पहुंचा, लेकिन उसकी मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद ग्राहक ने मुंबई पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई।

दरअसल लालच और यह विश्वास की कानून उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगा, इसके चलते कई अमीर भारतीयों ने मनी लॉन्ड्रिंग, फ़र्जीवाड़े और वित्तीय अनियमित्ताओं के नए-नए तरीके निकाले। मेहुल चौकसी, जतिन मेहता, विजय माल्या, नीरव मोदी, नीशाल दीपक मोदी, नितिन संदेसरा और ऐसे ही कई उद्योगपतियों के बारे में सोचिए, जिनका बैंकों पर बड़ा कर्ज़ बाकी है, यह इतना ज़्यादा है, जिसे शायद ही कभी चुकाया जा सके।

जब पुलिस ने छानबीन की, तो उन्हें पता चला कि एक NBFC ने छाबड़िया को कार के पंजीकृत होने से पहले ही कर्ज़ की हामी भर दी थी। इसलिए पुलिस अपनी छानबीन का दायरा बढ़ा रही है और इसमें वित्तीय कंपनियों के संलिप्त होने की जांच कर रही है। ज़ाहिर तौर पर यह कंपनियां कानून के खिलाफ़़ जा रही थीं। 

इस बीच पुलिस सीमा शुल्क न चुकाए जाने की भी जांच कर रही है, क्योंकि कारों के कई हिस्से विदेशों से आयात किए गए थे। कुछ कारें विदेशी लोगों को भी बेची गई थीं। दिलचस्प है कि यह कारें 42 लाख की तय कीमत से नीचे बेची गई थीं। क्या ऐसा सीमा शुल्क से बचने के लिए किया गया था? पुलिस को ऐसा ही कुछ शक है।

क्राइम ब्रॉ़न्च ने छाबड़िया की कंपनियों के वित्तीय खातों की फ़ॉरेंसिक ऑडिट कराए जाने का प्रस्ताव दिया है। मुंबई पुलिस क्राइम ब्रॉन्च की गुप्तचर शाखा ने पुणे की फ़ैक्ट्री से 14 DC अवंती कार और 40 इंजन को जब़्त किया है। उन्होंने वहां 19 उच्च दर्जे की कारें और मोटसाइकिलें भी पाई हैं।

दिलीप कारों के बारे में काफ़़ी उत्साह रखते थे, इसके चलते उन्होंन दिलीप छाबड़िया डिज़ाइन प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। उनके बारे में मीडिया में बहुत कुछ लिखा गया है। छाबड़िया "मोडिफ़ाइड कार" के क्षेत्र में एक बड़ा नाम थे। बॉलीवुड एक्टर और भारतीय क्रिकेटर उनके पास अपनी कार में मनमुताबिक़ बदलाव (मोडिफ़ाई) करवाने जाते थे। वह चाहते तो आराम से प्रसिद्धि के साथ अपना जीवन गुजार सकते थे। 

यह छाबड़िया का लालच है, जिसने उनके सृजनात्मक उद्यम की हत्या कर दी। 

नामी उद्यमियों का पतन

दरअसल लालच और यह विश्वास की कानून उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगा, इसके चलते कई अमीर भारतीयों ने मनी लॉन्ड्रिंग, फ़र्जीवाड़े और वित्तीय अनियमित्ताओं के नए-नए तरीके निकाले। मेहुल चौकसी, जतिन मेहता, विजय माल्या, नीरव मोदी, नीशाल दीपक मोदी, नितिन संदेसरा और ऐसे ही कई उद्योगपतियों के बारे में सोचिए, जिनका बैंकों पर बड़ा कर्ज़ बाकी है, यह इतना ज़्यादा है, जिसे शायद ही कभी चुकाया जा सके।

(Pic विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी)

हमने पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले देखे हैं। शायद ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बिना फ़र्जीवाड़े के शायद यह लोग इतना बड़ा औद्योगिक साम्राज्य, इतनी तेजी से खड़ा भी नहीं कर पाते। उन्होंने इतनी संपदा इकट्ठा की है कि जिससे उनकी जरूरतों की पूर्ति तो कर ही सकता है, साथ ही यह संपत्ति उनकी आने वाली नस्लों के लिए भी काफ़़ी है। इन लोगों ने जितना इकट्ठा किया है, उसका एक बहुत छोटा हिस्सा भी वे अपने जीवन काल में खर्च नहीं कर पाएंगे। लेकिन इसके बावजूद यह लोग लालच के चंगुल में फ़ंस गए। 

दरअसल लालच का कोई अंत ही नहीं है।

यह वह सच है, जिसे हम नकार नहीं सकते। जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वाले 2,426 लोगों की सूची देखकर तो ऐसा ही लगता है। बैंकों का इन लोगों पर 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। कर्ज़ न चुकाने वाले इन लोगों में से ज़्यादातर का कर्ज़ चुकाने का कभी कोई इरादा ही नहीं था। 

भारतीय हीरा व्यापार में एक बड़े नाम के तौर पर उभरने वाले नीरव मोदी अमीरों और ख्यात लोगों के लिए आदर्श बन गए थे। भारत द्वारा प्रत्यर्पण की मांग के बाद, 2019 की शुरुआत से ही नीरव मोदी लंदन के वांड्सवर्थ जेल में बंद है।

 इस सूची में शामिल शुरुआती 33 लोगों का कर्ज़ ही 32,737 करोड़ रुपये पहुंच जाता है, इनमें से हर किसी ने 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज लिया था। 

विजय माल्या पर 9000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज बकाया है। उनका भारत प्रत्यर्पण न हो, इसके लिए माल्या बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं। माल्या ने खुद को बचाने के लिए कोर्ट में इस बात का तक सहारा लिया है कि भारतीय जेलों की स्थितियां बहुत खराब हैं!

पारिवारिक व्यापार

भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उनकी पत्नी अमी मोदी, भाई नीशाल मोदी और मेहुल चौकसी 12,636 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में शामिल हैं। इतने बड़े फ़र्जीवाड़े को करने में पूरा परिवार साथ था।

पंजाब नेशनल बैंक ने अमेरिका में नीरव मोदी की संपत्तियों को बेचकर 24.33 करोड़ रुपये हासिल किए हैं। ऐसा उद्योग मामलों के मंत्रालय की सक्रियता से संभव हुआ है। बैंक ने मंत्रालय से न्यूयॉर्क मे चल रही दिवालिया प्रक्रिया की सुनवाई में शामिल होने की अपील की थी। 2018 में मोदी द्वारा प्रायोजित 3 कंपनियों ने न्यूयॉर्क में दिवालिया सुरक्षा की अपील दायर की थी। पंजाब नेशनल बैंक को उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह के समझौतों से उसकी समस्याएं हल हो जाएंगी।

जनवरी के पहले हफ़़्ते में "प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट" के तहत दर्ज किए मामले में विशेष न्यायाधीश वीसी बर्डेम ने नीरव मोदी की बहन और जीजा, पूर्वी मोदी और मयंक मेहता की पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के केस में एप्रूवर या गवाह बनने की अपील मान ली थी। इस मामले में आरोपी पूर्वी, बेल्जियम की नागरिक हैं।

एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने पाया है कि आरबीआई, "जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वाले लोगों" द्वारा लिए गए 68,607 करोड़ रुपये के कर्ज़ को सितंबर, 2019 तक अपनी सूची से हटा (रोट ऑफ़) चुका है।

6 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नीरव मोदी के बेटे रोहिन मोदी की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने मुंबई स्थित नीरव मोदी के तीनमंजिला पेंटहॉउस को ईडी द्वारा जब्त किए जाने के खिलाफ़़ याचिका लगाई थी। नीरव मोदी ने यह पेंटहॉउस 2006 में 24 करोड़ रुपये में खरीदा था। रोहिन का तर्क था कि यह पेंटहॉउस 2011 में कथित अपराध किए जाने के पांच पहले खरीदा गया था। रोहिन ने कहा कि उन्हें जब्ती का नोटिस भी नहीं दिया गया। चूंकि अब वह युवा हैं, इसलिए वह उस ट्रस्ट के हितग्राही हैं, जिसके पास घर का स्वामित्व है।

जब हीरा व्यापार में नीरव मोदी का उभार हुआ, तब वह अमीरों और ख्यात लोगों का आदर्श बन गया। 2019 की शुरुआत से नीरव मोदी, जब भारत ने उसके प्रत्यर्पण के लिए अर्जी लगाई थी, तबसे वह लंदन के वांड्सवर्थ के जेल में बंद है।

अगर वह बड़ी मात्रा की संपदा इकट्ठा करने के लालच में न पड़ता, तो वैश्विक व्यापारिक स्कूलों में वह सफ़ल व्यापारियों में से एक की केस स्टडी बनता।

विदेश भाग जाना

अब विदेश भाग जाना ज़्यादातर घोटालेबाजों के लिए एक नियमित परिघटना हो गई है। एंटीगुआ और बाराबुडा के द्वीप पर रहने वाले मेहुल चौकसी ने पंजाब नेशनल बैंक को 4,644 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। आरबीआई ने झुनझुनवाला भाईयों, विजय माल्या के साथ-साथ चौकसी को शीर्ष 50 की घोटालेबाजों की सूची में शामिल किया है, जिन्होंने जानबूझकर भारतीय बैंकों को चूना लगाया है।

2020 में सीबीआई ने बैंक फ़्रॉड के 190 मामले दर्ज किए, जिनमें करीब 60 हजार करोड़ रुपये के पैसे की अनियमित्ताएं हुई थीं।

भारत में न्यायिक प्रशासन को चौकसी की तलाश है, यहां उस पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, आपराधिक अविश्वास और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चलाया जाना है। उनके खिलाफ़़ गैरजमानती वारंट तक जारी हो चुके हैं। दो महीने पहले एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री ने कहा था कि उसे तभी भारत को वापस सौंपा जाएगा, जब वो उनके देश में चौकसी की अपील खारिज हो जाएंगी।

स्टर्लिंग बॉयोटेक लिमिटेड के निदेशक चेतन जयंतिलाल संदेसारा और नितिन जयंतीलाल संदेसारा की 5000 करोड़ रुपये के बैंक फ़्रॉड के लिए जांच हो रही है। जतिन मेहता पर आरबीआई का 1,390 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 984 करोड़ रुपये और कैनरा बैंक का 636 करोड़ रुपये बकाया है।

लेकिन आखिर में इस पूरे कर्ज को सूची से हटा दिया जाएगा, क्योंकि इसे वसूल कर पाने की स्थिति में ही प्रशासन नहीं आ पाएगा। यहां तक कि घोटालेबाज खुद भी यह चीज जानते हैं।

वह जानते हैं कि कई लोग ऐसे ही कामों के लिए कभी पकड़े नहीं जाते, कभी जेल नहीं जाते। इसलिए भारत में बड़े स्तर पर यह माना जाता है कि इस तरह के घोटालों के लिए सजा नहीं हो पाती। एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने पाया है कि आरबीआई सितंबर, 2019 तक "जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वाले लोगों"  का 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज़ अपनी सूची से हटा चुकी है। मतलब केंद्रीय बैंक मान चुका है कि इस कर्ज को हासिल नहीं किया जा सकता।

2020 में सीबीआई ने बैंक फ़्रॉड के 190 मामले दर्ज किए, जिनमें करीब 60 हजार करोड़ रुपये के पैसे की अनियमित्ताएं हुई थीं।

कमजोर है घोटालों को पहचानने की क्षमता

2019-20 के लिए आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि 1.85 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के बैंक फ़्रॉड 2020 के शुरुआती 6 महीनों में ही सामने आए थे, यह मूल्य पिछले साल से दोगुना है।

यह तब हुआ, जब आरबीआई से बैंकों को कर्ज़ से जुड़े शुरुआती चेतावनी के संकतों के प्रति सजग रहने का स्पष्ट निर्देश है।

आरबीआई का कहना है कि फ़ॉरेंसिक ऑडिट के दौरान शुरुआती चेतावनी संकेतों को कमजोर तरीके से लागू किए जाने, अधूरी ऑडिट रिपोर्टों के चलते फ़्रॉड की पहचान जल्दी नहीं हो पाती है।

दिलचस्प है कि 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा के फ़्रॉड की पहचान करने में औसत तौर पर 63 महीने का वक़्त लिया जाता है। मतलब पांच साल से भी ज़्यादा!

जबतक भारत अपराधियों पर कार्रवाई की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाता, तब तक घोटाले जारी रहेंगे। सिर्फ़़ दिखावटी कार्रवाई करने से काम नहीं चलेगा।

जब घोटालेबाजों को सजा मिलेगी, तभी जेल जाने का डर पैदा होगा और लालच को पीछे धकेला जा सकेगा।

यह लेख मूलत: द लीफ़लेट में प्रकाशित हुआ था।

रमेश मेनन 6 किताबों के लेखक, डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मकार,शिक्षाविद् और द लीफ़लेट के एडिटर हैं। यह उनके निजी विचार हैं।

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Dilip Chhabria Made Crores Designing Cars, then why did he Design Creative ways to Defraud Banks?

Bank Fraud
mehul choksi
nIrav modi
Vijay Mallya
Ministry of External Affairs

Related Stories


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License