NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
आर्थिक संकट और जनता की बदहाली को लेकर वामदलों का साझा धरना-प्रदर्शन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गांधी पार्क के सामने ये धरना देशभर में 10 से 16 अक्टूबर तक चल रहे संयुक्त अभियान के तहत दिया गया। वामपंथी दल एकजुट होकर उत्तराखंड में तीसरी शक्ति बनने का प्रयास कर रहे हैं।
वर्षा सिंह
15 Oct 2019
leftist protest

गहराते आर्थिक संकट और जनता की बदहाली को लेकर वामपंथी दलों- भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) ने सोमवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गांधी पार्क के सामने धरना दिया। ये धरना प्रदर्शन देशभर में 10 से 16 अक्टूबर तक चल रहे संयुक्त अभियान के तहत आयोजित किया गया था। वामपंथी दल एकजुट होकर उत्तराखंड में तीसरी शक्ति बनने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य में जिसकी सख़्त ज़रूरत है। यूकेडी सिर्फ़ नाम भर की रह गई है। बीच-बीच में नए-नए राजनीतिक संगठन बनाने के प्रयास भी होते हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच फंसी जनता के पास कोई मज़बूत तीसरा विकल्प भी नहीं है।
 
आर्थिक मंदी के चलते देश में बढ़ती बेरोजगारी, छंटनी, सार्वजनिक क्षेत्र जैसे बी.एस.एन.एल, रेलवे, टी.एच.डी.सी., रक्षा, एयर इंडिया के निजीकरण के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने आवाज़ उठायी।
 waamdal.jpg
“आर्थिक मंदी मोदी जनित है”
भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा का कहना है कि मोदी सरकार एक के बाद एक बड़े घरानों को भारी छूट दे रही है, इसके चलते आम जनता की तकलीफ़ दिनों-दिन बढ़ रही है। लोगों की क्रय शक्ति घट गई है। इसे बढ़ाए बिना आप मंदी से छुटकारा नहीं पा सकते। बहुगुणा ने कहा कि जनता की बदहाली और आर्थिक मंदी मोदी जनित है। मोदी सरकार ने जो नोटबंदी लागू की उसके नतीजे आज हम देख रहे हैं। वह कहते हैं कि यूं तो सारी दुनिया में मंदी का असर दिख रहा है लेकिन भारत और ब्राजील की मंदी अलग है।
 
दिसंबर में उत्तराखंड में होगा वामपंथी दलों का सम्मेलन
भाकपा (माले) के राज्य सचिव कहते हैं कि जनता के मुद्दों को लेकर सभी वामपंथी दल एकजुट हो रहे हैं। अगले महीने नवंबर में उनकी शीर्ष नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। वामपंथी दलों को मजबूत करने के लिए दिसंबर में तीनों वामपंथी पार्टियों का सम्मेलन आयोजित करने की योजना है। इसमें तीनों पार्टियों को राष्ट्रीय महासचिव भी शामिल होंगे।
 
मंदी का असर महिलाओं पर भी
कार्यक्रम में मौजूद अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रांतीय अध्यक्ष इंदु नौडियाल ने कहा कि आर्थिक मंदी का महिलाओं पर भी बहुत असर पड़ा है जबकि वे अदृश्य सी स्थिति में रहती हैं। नौडियाल कहती हैं कि महिलाएं घर और बच्चे की परवरिश करते हुए पूरे-पूरे दिन काम कर रही हैं। दिन भर मेहनत के बाद उन्हें अपेक्षित मेहनताना भी नहीं मिलता। वह कहती हैं कि जब छंटनी हो रही है तो उसका सबसे ज्यादा असर औरतों पर पड़ता है। महंगाई चरम पर है, जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ता है।
 
इंदु राज्य में शुरू किए गए मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना पर भी सवाल उठाती हैं। महंगाई से जूझ रहे लोगों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराने के इरादे से ये योजना शुरू की गई है। वह कहती हैं कि राज्य के मुखिया ने दाल के लिए बहुत हल्ला मचाया और इस योजना में वो हमें चने की दाल दे रहे हैं। महंगाई नहीं है तो आप उड़द या अरहर की दाल देते। उनका कहना है कि सरकार अपनी योजनाओं का हल्ला बहुत मचाती है लेकिन उसका क्या असर रहा, ये देखा नहीं जाता। उनके मुताबिक जनधन योजना में भी महिलाओं की दिलचस्पी नहीं रही। क्योंकि इससे उनका कुछ भला नहीं हुआ।
indu naudiyal.jpg 
वामपंथी दलों के राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में कहा गया कि सरकार की पैंतरेबाजी मंदी से छुटकारा नहीं दे सकती है। बल्कि आने वाले दिनों में इसके भयंकर परिणाम होंगे। आज कॉर्पोरेट और वर्तमान सरकार भारत की जनता पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बोझ डालने का कार्य कर रही है। रिजर्व बैंक के कोष से जो 1.76 करोड़ रुपये लिए गए उसका इस्तेमाल बहुत जरूरी आवश्यकताओं के लिए किया जाना चाहिए था लेकिन मोदी सरकार ऐसा नहीं कर रही है।
 
वामपंथी दलों की मांग
रोजगार के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाए। रोजगार मिलने तक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।

न्यूनतम वेतन कम से कम 18 हजार रुपये किया जाए।

सरकार, जिन कामगारों की नौकरी खत्म हुई है उनके लिए गुजारे लायक मासिक मजदूरी सुनिश्चित करे।

सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक, रक्षा, कोयला क्षेत्र में एफडीआई पर रोक, बीएसएनएल, रक्षा, रेलवे, एयर इंडिया का निजीकरण बंद हो।

मनरेगा का आवंटन बढ़ाया जाए और न्यूनतम 200 दिनों का काम दिया जाए।

कृषि संकट दूर करने के लिए एकमुश्त कर्ज़ माफ़ी, उपजों का दाम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाए।

वृद्धावस्था, विधवा एवं विकलांगों को न्यूनतम पेंशन तीन हजार रुपये प्रति माह दी जाए।
 
धरने-प्रदर्शन में कहा गया कि राष्ट्रवाद की भावना को आगे रखकर जनता के हित से जुड़े जरूरी मुद्दे पीछे कर दिए गए हैं। देशभर में नौकरियां खोने की वजह से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनियों के निजीकरण की बात से ही हताशा फैल रही है। उत्तराखंड में टिहरी बांध (टीएचडीसी) के भी निजीकरण का अंदेशा जताया जा रहा है। जब जनता मंदी से हांफ रही है, उसी समय में अंबानी-अडानी जैसे उद्योगपतियों की संपत्ति लगातार बढ़ रही है। ये समय किसानों, कामगारों, छोटे व्यापारियों सबके एकजुट होने का है।

economic crises
Leftist protest
Left Demonstration
Uttrakhand
CPM
CPI(M)
modi sarkar

Related Stories

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'

उत्तराखंड: गढ़वाल मंडल विकास निगम को राज्य सरकार से मदद की आस

मंत्रिमंडल ने तीन कृषि क़ानून को निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंज़ूरी दी

आंदोलन: 27 सितंबर का भारत-बंद ऐतिहासिक होगा, राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस ने दिखाई झलक

युवाओं ने दिल्ली सरकार पर बोला हल्ला, पूछा- 'कहां है हमारा रोज़गार?'

किसान आंदोलन को सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन की स्पिरिट से प्रेरणा, परन्तु उसके नकारात्मक अनुभवों से सीख लेनी होगी

देशभर में किसान मज़दूर मना रहे ‘काला दिवस’, जगह जगह फूंके जा रहे हैं मोदी सरकार के पुतले

हिमाचल में हुई पहली किसान महापंचायत, कृषि क़ानूनों के विरोध के साथ स्थानीय मुद्दे भी उठाए गए!


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License