NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इतिहासकार की हिरासत को लेकर व्यापक आलोचना के बाद इजिप्ट ने ज़मानत पर रिहा किया
बर्लिन स्थित अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट फ़ाउंडेशन में इजिप्ट की एक इतिहासकार और पोस्ट डॉक्टरल फेलो आलिया मोसलम को ज़मानत पर रिहा करने से पहले उन्हें हवाई अड्डे पर 17 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था।
पीपल्स डिस्पैच
13 Jul 2021
इतिहासकार की हिरासत को लेकर व्यापक आलोचना के बाद इजिप्ट ने ज़मानत पर रिहा किया

ईजिप्ट की अब्देल फतह अल-सीसी की सरकार एक बार फिर मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर आलोचनाओं की शिकार उस समय हो गई जब एक उसने शिक्षाविद आलिया मोसलम के रविवार 11 जुलाई को देश में आने पर उनको गिरफ्तार कर लिया। काहिरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में लिया। उनसे 17 घंटे से अधिक समय तक अधिकारियों ने पूछताछ की। व्यापक आलोचना के बाद उन्हें बाद में सरकारी सुरक्षा अभियोजन अधिकारी के सामने पेश किया गया, जिसने उन्हें सोमवार 12 जुलाई को जमानत पर रिहा कर दिया।

नजरबंदी के दौरान मोसलम को अपने परिवार के सदस्यों या वकीलों से बातचीत करने की अनुमति नहीं गई थी। अधिकारियों ने अभी तक उन्हें हिरासत में लेने के पीछे के कारणों का खुलासा नहीं किया है। मोसलम जर्मनी के एलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट फाउंडेशन में पोस्ट-डॉक्टरेट फेलो हैं। उन्हें उस वक्त हिरासत में लिया गया जब वह अपने पति और तीन बच्चों के साथ देश में पहुंची थी।

मोसलम की नजरबंदी के कारण ईजिप्ट के समाज के विभिन्न वर्गों ने आलोचना की। एक्टिविस्ट मोना सेफ ने ट्विटर पर लिखते हुए इसे "पागलपन" बताया और नागरिक समाज और शिक्षाविदों के लगातार उत्पीड़न के पीछे सरकार के मकसद पर सवाल उठाया।

कई अन्य लोगों और समूहों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे शिक्षाविदों और सांस्कृतिक एक्टिविस्टों पर अल-सिसी का निरंतर हमला करार दिया है।

2013 में अल-सीसी के सत्ता में आने के बाद से मोना के भाई अला अब्द अल-फतह सहित ईजिप्ट की जेलों में हजारों कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी और शिक्षाविद हैं जो 2011 की क्रांति और देश सरकार की आलोचना में सक्रिय भागीदारी के बाद से सरकारी अधिकारियों के लगातार निशाने पर रहे हैं। उन्हें मार्च 2019 में रिहा किया गया था और उसी साल सितंबर में फिर से गिरफ्तार किया गया था। वे तो अब भी जेल में हैं। पिछले साल नवंबर में ईजिप्ट के एक न्यायाधीश ने फतह और 27 अन्य राजनीतिक कैदियों को सिसी सरकार के मुखर विरोध के लिए "आतंकवादी" कहा था।

सीसी सरकार ने ट्रेड यूनियनों पर हड़ताल करने पर प्रतिबंध लगा दिया और सरकार के आलोचक मीडिया संगठनों पर हमले किए। ये सरकार विशेष रूप से युवा छात्रों के प्रति उनकी सोशल मीडिया सक्रियता के लिए सख्त रही है। इसने विदेश में अध्ययन के दौरान छात्रों द्वारा अपनाए गए कुछ शोध विषयों को लेकर पागलपन दिखाया है और देश में स्थिरता और सुरक्षा के नाम पर देश में उनके आने पर उन्हें निशाना बनाया है।

egypt
human rights violation
Dr Alia Mossallam
National Security

Related Stories

ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) क़ानून और न्याय की एक लंबी लड़ाई

भारत को अब क्वाड छोड़ देना चाहिए! 

सूडान: सैन्य तख़्तापलट के ख़िलाफ़ 18वें देश्वयापी आंदोलन में 2 की मौत, 172 घायल

अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार और हमारे बुनियादी सरोकार

एक तरफ़ PM ने किया गांधी का आह्वान, दूसरी तरफ़ वन अधिनियम को कमजोर करने का प्रस्ताव

अफ़ग़ानी महिलाओं के दुख से बेख़बर विश्व समुदाय

आतंकवाद को सालों तक भुनाया जा सकता है : हिलाल अहमद

इजिप्ट : राजनीतिक क़ैदियों के समर्थन में मशहूर हस्तियों ने किया भूख हड़ताल का ऐलान

इजिप्ट की संसद ने आतंकवादी समूहों से कथित संबंधों वाले सरकारी कर्मचारियों को बर्ख़ास्त करने के लिए क़ानून पारित किया

जारी प्रदर्शन के बीच इज़रायल व पीए सुरक्षा बलों ने मानवाधिकार वकीलों और एक्टिविस्टों को गिरफ़्तार किया


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License