देश की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा अत्यधिक अव्यवहार्य डिजिटल करेंसी को राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में अपनाने के विरोध में भारी संख्या सल्वाडोर के लोग राजधानी सैन सल्वाडोर की सड़कों पर उतर रहे हैं। उनमें से ज्यादातर लोगों को डर है कि इस निर्णय से उनकी आय और क्रय शक्ति प्रभावित होगी और केवल बड़े कॉरपोरेशऩ और विदेशी निवेशकों को लाभ पहुंचाएगी।
7 सितंबर को ही विरोध शुरू हो गया जब अल-साल्वाडोर ने इस बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में घोषित किया था। ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला देश बन गया। राष्ट्रपति नयिब बुकेले की अतिदक्षिणपंथी सरकार के इस फैसले पर असंतोष व्यक्त करने के लिए हजारों लोगों ने केंद्रीय चौक से विधायी भवन तक मार्च किया। विपक्षी वामपंथी फाराबुंडो मार्टी नेशनल लिबरेशन फ्रंट पार्टी (एफएमएलएन) के सदस्य और सांसद भी इस मार्च में शामिल हुए।
इन प्रदर्शनकारियों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह अनिश्चितता पैदा करता है और अधिकांश आबादी को लाभ नहीं पहुंचाता है। कई लोगों ने कहा कि उन्हें डर है कि क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता उनकी आय और क्रय शक्ति को प्रभावित करेगी। अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें डर है कि जल्द ही ये इलेक्ट्रॉनिक करेंसी एकमात्र मुद्रा बन जाएगी। उन्होंने कहा कि 2001 में मौद्रिक एकीकरण को लेकर प्रचलित कानून के तहत साल्वाडोरन कोलन को अमेरिकी डॉलर से कितनी जल्दी से बदल दिया गया था यह सबको पता है।
32 सामाजिक संगठनों और यूनियनों को एक साथ लाने वाले और हाल ही में बिटकॉइन विरोधी प्रदर्शनों में सबसे आगे रहने वाले पॉपुलर रेसिस्टेंस एंड रिबेलियन ब्लॉक ने कहा कि यह निर्णय "मजदूर वर्ग, किसान और ग्रामीण समुदायों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।" इस ब्लॉक ने इस बात को भी उजागर किया कि सरकार समर्थित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट ऐप, जिसे चिवो के नाम से जाना जाता है, उसको डाउनलोड करने और संचालित करने के लिए अधिकांश आबादी के पास तकनीकी उपकरणों और उच्च-स्तरीय फोन की कमी है। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि ये इलेक्ट्रॉनिक करेंसी देश में भ्रष्टाचार और गरीबी को बढ़ा सकती है।
कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी कि डिजिटल करेंसी की पारदर्शिता की कमी देश में आपराधिक गतिविधियां बढ़ सकती है और इसे मनी लॉन्ड्रिंग का ठिकाना बना सकती है क्योंकि यह इससे काम करने वालों की पहचान रिकॉर्ड नहीं करता है।