NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दो साल बाद भी आधी-अधूरी मंत्रिपरिषद से काम चला रहे हैं प्रधानमंत्री
वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन पूछ रहे हैं कि इन दो सालों में मोदी जी अपने मंत्रिपरिषद को भी पूरी तरह आकार क्यों नहीं नहीं दे पाए हैं? हालांकि वह भी जानते हैं कि इस सरकार में जो कुछ हैं वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। उन्हें अपने अलावा किसी दूसरे मंत्री की ज़रूरत ही नहीं है। जो अतिरिक्त काम है वो पीएमओ संभाल लेता है।
अनिल जैन
11 Jun 2021
modi

पिछले सात सालों के दौरान संसद, न्यायपालिका, चुनाव आयोग समेत अन्य तमाम संवैधानिक संस्थाओं का तो अवमूल्यन हुआ ही है, सीधे प्रधानमंत्री के अधीन काम करने वाली मंत्रिपरिषद भी इससे अछूती नहीं रही है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर चुके हैं, लेकिन इन दो सालों में वे अपने मंत्रिपरिषद को भी पूरी तरह आकार नहीं दे पाए हैं।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा साल शुरू हो चुका है लेकिन अभी भी आधी-अधूरी मंत्रिपरिषद से ही काम चल रहा है। इसी वजह से कई कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री ऐसे हैं जिनके पास दो और तीन से ज्यादा मंत्रालयों का दायित्व है। यह स्थिति बताती है कि प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद को कितना महत्व देते हैं और क्यों अधिकांश महत्वपूर्ण फैसले मंत्रिमंडल यानी कैबिनेट में चर्चा के बगैर प्रधानमंत्री अपने स्तर पर ही ले लिया करते हैं।

30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद के लिए दूसरी बार शपथ ग्रहण की थी। उनके साथ शपथ लेने वाले अन्य 57 अन्य मंत्रियों में 24 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 24 राज्य मंत्री शामिल थे। पिछले दो साल के दौरान इनमें से दो मंत्रियों का निधन हो गया, जबकि दो कैबिनेट मंत्रियों ने अपनी-अपनी पार्टियों के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से अलग हो जाने की वजह से मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। इस प्रकार फिलहाल केंद्रीय मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित कुल 54 मंत्री हैं। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिपरिषद में 81 मंत्री हो सकते हैं, यानी अभी मंत्रिपरिषद में 27 स्थान रिक्त हैं।

यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि दो साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जब अपनी मंत्रिपरिषद का गठन किया था तब यह एनडीए की सरकार थी। इसमें भाजपा के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी, शिव सेना और शिरोमणि अकाली दल का भी प्रतिनिधित्व था। हालांकि यह प्रतिनिधित्व नाममात्र का या औपचारिक ही था। यानी इन सहयोगी दलों के एक-एक सदस्य को ही मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। लेकिन पिछले एक साल के दौरान सरकार में सहयोगी दलों का यह नाममात्र का प्रतिनिधित्व भी खत्म हो चुका है।

लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से मंत्री बने रामविलास पासवान का निधन हो चुका है, जबकि शिव सेना के अरविंद सावंत और अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल अपनी-अपनी पार्टियों के एनडीए से अलग हो जाने के कारण इस्तीफा दे चुकी हैं। हालांकि कहने को इस सरकार में एक राज्य मंत्री रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के हैं। लेकिन वे भी राज्यसभा में भाजपा के कोटे से जीतकर आए हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में उनकी अपनी पार्टी का कोई विधायक नहीं है।

हालांकि जनता दल (यू), ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक, असम गण परिषद और अपना दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन इनकी सरकार में कोई हिस्सेदारी नहीं है। इस प्रकार अब यह एनडीए की नहीं बल्कि शुद्ध रूप से भाजपा की सरकार है, जिसे मोदी सरकार कहा जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार या उसमें फेरबदल कब करेंगे, यह सवाल अब भाजपा नेताओं के साथ ही उन नेताओं को भी परेशान करने लगा है जो मंत्री बनने की आस लेकर कांग्रेस सहित अन्य दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं। मंत्रिपरिषद में विस्तार की अटकलें लगाते-लगाते ये नेता अब थकने लगे हैं और इस बारे में बात करने से बचते हैं। कई नेताओं का इंतजार तो अब निराशा या अवसाद की हद तक पहुंच गया है।

लेकिन इस स्थिति को लेकर भाजपा से ही जुडे दूसरे नेताओं का कहना है कि अमुक नेता मंत्री बनना चाहते हैं या अमुक नेता को मंत्री बनाने का वादा किया गया था, सिर्फ इसलिए मंत्रिपरिषद का विस्तार नहीं किया जा सकता। मतलब साफ है कि जिन्हें मंत्री बनना है, वे बैठे इंतजार करते रहें, जब सही समय आएगा तो विस्तार होगा।

अब सवाल है कि सही समय कब आएगा? अब तो केंद्र में दूसरी बार सरकार बनने के दो साल का जश्न भी मना लिया गया है! पहले सरकार और सत्तारूढ दल के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा था कि सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार करेंगे। यही बात सरकार की पहली सालगिरह के कुछ दिनों पहले भी कही गई थी लेकिन सालगिरह से पहले ही देश में कोरोनो महामारी शुरू हो चुकी थी, जो सालगिरह के समय चरम पर थी। तो ऐसे में सवाल है कि क्या महामारी की वजह से मंत्रिपरिषद का विस्तार नहीं हो रहा है?

भाजपा के ही कुछ जानकार नेता इस बात को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि महामारी कोई वजह नहीं है। आखिर महामारी में बाकी सारे काम तो हो ही रहे हैं और धूमधाम से हो रहे हैं। कई राज्यों में विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव हुए हैं। वहां बडी-बडी चुनावी रैलियां हुई हैं। फिर जिस तरह उन राज्यों में मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह हुए हैं, उसी तरह केंद्र में भी मंत्रियों की शपथ कराई जा सकती है।

कुल मिलाकर मंत्रिपरिषद का विस्तार टालने की कोई वाजिब वजह नहीं है। फिर भी विस्तार नहीं हो रहा है तो इसका सीधा मतलब है प्रधानमंत्री ऐसा करना नहीं चाहते हैं, यानी उन्हें अभी और मंत्रियों की जरूरत नहीं है। दूसरी बात यह भी है कि केंद्र में मंत्री बना कर राज्यों की राजनीति साधने का भी समय अभी तक नहीं आया था।

लेकिन अब वह समय करीब आ गया है। उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों में अगले साल यानी कुछ महीनों बाद विधानसभा के चुनाव होना है। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार निश्चित रूप से करेंगे। इस महीने या ज्यादा से ज्यादा अगले महीने संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार और उसमें फेरबदल कर सकते हैं।

गौरतलब है कि इस समय सरकार में एक दर्जन से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं जिनके पास अपने मंत्रालय के अलावा दो या तीन से ज्यादा मंत्रालयों का अतिरिक्त प्रभार है। मंत्रिपरिषद का विस्तार होने से ऐसे मंत्रियों की जिम्मेदारी का बोझ हल्का हो सकेगा।

मंत्रिपरिषद का जब भी विस्तार होगा तो उसमें उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना है, क्योंकि एक तो वहां आगामी फरवरी-मार्च में विधानसभा के चुनाव होना है और दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के कामकाज के तौर-तरीकों से ब्राह्मण सहित कई जाति समूहों में नाराजगी है, इसलिए सामाजिक संतुलन साधने के लिए भी केंद्र में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।

इसके अलावा सूबे के मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ तनातनी की जो खबरें हाल ही में आई हैं, उसके मद्देनजर राज्य में भाजपा के अंदरुनी राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने तथा मुख्यमंत्री के समानांतर कुछ नए सत्ता-शक्ति केंद्र तैयार करने के लिए भी सूबे के कुछ नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है।

इसके अलावा दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए कुछ नेताओं को भी मंत्री बनाया जाना है और जनता दल (यू), अन्ना द्रमुक, अपना दल, लोक जनशक्ति पार्टी आदि कुछ सहयोगी दलों को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। इसके अलावा ओडिशा के बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियां जो कि संसद में हमेशा ही सरकार का साथ देती आ रही हैं, उन्हें भी औपचारिक तौर पर एनडीए में शामिल होने के लिए राजी कर सरकार में हिस्सेदारी दी जा सकती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मंत्रिपरिषद के विस्तार और उसमें फेरबदल की कवायद जब भी होगी तो उसका मकसद सरकार के कामकाज को गति देना या उसमें सुधार करना नहीं होगा बल्कि राजनीतिक लाभ-हानि और गुणा-भाग को ध्यान में रखा जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Narendra modi
Modi government
Council of Ministers
PMO
Indian constitution
7 years of Modi Govt
2 years of Modi government 2.O

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License