NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित हैं आज भी बड़ी तादाद में किसान
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश से एक ऐसी खबर आई जिसने इस योजना के तहत होने वाली बड़ी धांधली को उजागर किया। हजारों ऐसे किसान चिन्हित हुए जो किसान होने के साथ-साथ या तो सरकारी नौकरी भी कर रहे थे या जिनका अपना अच्छा खासा व्यवसाय भी था।
सरोजिनी बिष्ट
22 Oct 2021
Prime Minister's Kisan Samman Nidhi
कृषि रक्षा केंद्र के समक्ष हरगांव ब्लॉक में धरना।

"या तो सरकार हम जैसे गरीब किसानों को मिलने वाली योजनाओं की गारंटी करें या यह जताना बंद करें कि उनकी सरकार किसानों के हित में बहुत कुछ कर रही है। जब से किसान सम्मान निधि योजना लागू हुई है, तब से अब तक एक भी किश्त हमें नहीं मिली काम धंधा छोड़कर ना जाने कितनी बार अधिकारियों के पास दौड़े लेकिन कभी सुनवाई नहीं हुई।"

ये सीतापुर जिले के हरगांव ब्लॉक स्थित सेमरी गांव के रहने वाले जगजीवनराम गौतम ने न्यूज़क्लिक को बताया। वे कृषि रक्षा कार्यालय के समक्ष अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले हुए धरने में शामिल होने आए थे। यह धरना 13अक्टूबर से शुरू होकर 17 अक्टूबर तक चला।

गौतम कहते हैं, "मेरे पास लेखपाल द्वारा जारी रिपोर्ट भी है तब भी वे किसान सम्मान निधि से वंचित हैं।" तो वहीं  नगर पंचायत हरगांव स्थित जहांगीराबाद के सुरेश पाल सिंह ने बताया कि उनके जहांगीराबाद में बहुत बड़ी तादाद में किसानों को किसान सम्मान निधि की राशि नहीं मिल रही है। वे लोग यह शिकायत लेकर जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल जी के पास गए और उनके नेतृत्व में किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। अब जबकि प्रशासन की ओर से हमारे धरने को समाप्त करने की अपील की गई है और जल्द से जल्द इस ओर उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है तो हम इस उम्मीद में धरना खत्म कर रहे हैं कि अब हमारी सुनवाई होगी। लेकिन अगर पन्द्रह दिन के भीतर किसानों को सम्मान निधि की राशि नहीं मिलती है, तो दोबारा धरना शुरू किया जाएगा और अगली बार और बड़ी संख्या में किसान शिरकत करेंगे।

हरगांव ब्लॉक के जगजीवन राम गौतम लेखपाल द्वारा जारी फॉर्म दिखाते हुए

सीतापुर जिले के किसान नेता कन्हैया लाल कश्यप कहते हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी आपातकाल नंबर 1076 पर भी फोन करने से कोई सुनवाई नहीं होती। जबकि इस नंबर को जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि यदि कोई भी व्यक्ति को किसी अफसर या अधिकारी से शिकायत है तो वह 1076 पर कॉल कर सकता है। जबकि हमारे द्वारा इस नंबर पर कॉल करने पर भी कोई सहयोग नहीं मिलता है। यानी इस नंबर का होना न होना कोई मायने नहीं रखता है। दरअसल कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से सीधे जुड़ने के लिए 1076 नंबर जारी किया था और कहा गया था की कोई भी समस्या होने पर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर कॉल करें। किसान कहते हैं आखिर यह कैसा हेल्पलाइन नंबर है जो मदद करने में सक्षम नहीं।

अखिल भारतीय किसान महासभा से जुड़े और वर्तमान में सदर जिला पंचायत सदस्य, (हरगांव) अर्जुन लाल जी कहते हैं, "उनके संज्ञान में ऐसे सैकड़ों किसान हैं जिसे आज तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की एक भी किस्त नहीं मिली है। जबकि बार-बार किसानों द्वारा कभी स्वयं जाकर तो कभी ऑनलाइन फॉर्म जमा कराया गया है। लेकिन आज तक किसान यह नहीं समझ पा रहा है कि आखिर कमी कहां हैं जो उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है।"

वे आगे कहते हैं, "चाहे केंद्र की सरकार हो या राज्य की, वे केवल किसान सम्मान निधि जैसी बड़ी योजना के बूते अपनी तारीफों के पुल बांधने में व्यस्त है। और अब तो सरकार ने दसवीं किस्त का भी ऐलान कर दिया है जो दिसंबर के मध्य तक दी जाएगी, लेकिन सरकार को यह संज्ञान भी लेना चाहिए कि आज भी बहुतेरे ऐसे किसान हैं जो इस लाभ से वंचित हैं।"

मिर्जापुर जिले के रिखशाखुर्द गांव के रहने किसान लखनधारी भी यह समझ नहीं पा रहे कि सारी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद भी आख़िर उनके खाते में पैसा क्यूं नहीं आ रहा है। उनके मुताबिक जब से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना लागू हुई है तब से निवेदन किया हुआ है, सारे कागजात तहसील में जमा हैं। लेकिन जब बैंक जाओ तो वहां एक ही जवाब मिलता है पैसा नहीं आया। लखन धारी कहते हैं, "केवल मैं ही नहीं उनके क्षेत्र के ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जो आज तक किसान सम्मान निधि से वंचित हैं, पर आख़िर वंचित क्यों हैं समझ से परे है। सारे कागजात जमा हैं, बावजूद इसके उनको यह नहीं बताया जाता कि आख़िर कमी कहां हैं। वे कहते हैं जिन्हें नहीं मिलना चाहिए उनके खाते में पैसा पहुंच जा रहा है और जो केवल खेती पर निर्भर हैं, उनको कुछ मिल ही नहीं रहा। आख़िर इस धांधली की जानकारी तो सरकार को लेनी चाहिए।"

तो वहीं रायबरेली जिले के गुलूपुर गांव के रहने वाले किसान राम जीवन मौर्य कहते हैं कि शुरुआत में उनकी दो किश्तें आईं, लेकिन फिर उसके बाद आना बन्द हो गई। जब भी वह बैंक गए तब यह कहा गया कि पैसा नहीं आ रहा है। इस बाबत उन्होंने जब लेखपाल से बात की तो वे उनका कहना है कि नाम की स्पेलिंग गलत है, इसलिए मामला फंसा हुआ है। लेकिन मौर्य कहते हैं उनका एक ही सवाल है कि जब इसी नाम से दो बार सम्मान निधि का पैसा आ चुका है तो फिर अब स्पेलिंग गलत कैसे हो गई। उनके मुताबिक उन्हें दोबारा निवेदन के लिए कह दिया गया है। लेकिन वे कहते हैं उन्होंने नया आवेदन नहीं किया है क्योंंकि जब सब कुछ ठीक था तभी तो दो बार पैसा मिला। हालांकि राम जीवन मौर्य का भी हाल अन्य किसानों के ही जैसा है कि आख़िर कमी कहां है और क्यों उन्हें अयोग्य समझा जा रहा है। कहीं कोई सुनवे करने वाला नहीं है।

भले ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को सरकार किसानों के पक्ष में लिया गया एक कारगर कदम मानती हो, लेकिन इस बात सी भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज भी कई किसान इस योजना के लाभ से वंचित हैं। भले ही किसान स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हों, बावजूद इसके सरकार से यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वह भी इस ओर गंभीरता से संज्ञान ले ।

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश से एक ऐसी खबर आई जिसने इस योजना के तहत होने वाली बड़ी धांधली को उजागर किया। हजारों ऐसे किसान चिन्हित हुए जो किसान होने के साथ-साथ या तो सरकारी नौकरी भी कर रहे थे या जिनका अपना अच्छा खासा व्यवसाय भी था। इस योजना के तहत जो किसान सरकारी नौकरीपेशा हैं या जिनका अपना बड़ा व्यवसाय है, उन्हें अपात्र माना जाएगा, लेकिन ऐसे किसान भी दो साल से योजना का लाभ उठा रहे थे।

दरअसल देशभर में ऐसे अपात्र किसानों की पहचान की जा रही है। कई जगह तो रिकवरी भी की जा रही है। ऐसे ही एक जांच में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 55,243 अपात्र किसान पकड़ गए। ये किसान या तो सरकारी नौकरी में थे या व्यापार से बढ़िया पैसा कमा रहे थे, फिर भी योजना का लाभ उठा रहे थे। सितंबर में इन किसानों की पात्रता की जांच हुई थी।

बरेली में 2,34,010 आयकर दाता, 32,393 मृतक, 3,86,250 गलत खाते पकड़े गए। 57,987 अपात्र और 68,540 अवैध आधार कार्ड मिले। प्रदेश में 7,79,180 अपात्रों को सम्मान निधि का लाभ मिल रहा था। बरेली जिले में 16707, बदायूं में 15743, पीलीभीत में 12817 व शाहजहांपुर में 9,976 लोग सम्मान निधि के अपात्र चुने गए । इतना ही नहीं बहुत से परिवार में एक से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। कई जगह तो एक ही जमीन पर एक से अधिक लोग पीएम किसान के तहत लाभ ले रहे हैं। कई जगह तो पति-पत्नी, दोनों लोग किस्म उठा रहे हैं। जबकि नियम यह है कि परिवार के एक ही सदस्य लाभ उठा सकते हैं। सरकारी नौकरी में रहते हुए या व्यापार करने वाले लोग भी फायदा उठा रहे हैं।

निश्चित ही ऐसे लाभार्थियों को चिन्हित किया जाना चाहिए, जो अपनी फर्जी काग़ज़ात के जरिए योजना का लाभ उठा रहे हैं और उनकी वजह से गरीब किसान वंचित रह जा रहे हैं। लेकिन इस ओर गंभीरता से विचार करना होगा कि आखिर इतनी बड़ी धांधली उस स्थिति में कैसे संभव है जब उत्तर प्रदेश सरकार यह विश्वास दिलाती रहती है कि उसके कार्यकाल में प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त हुआ है और योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहा है।

लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।

kisan samman nidhi yojna
PM Kisan Samman Nidhi
farmers
farmers crises
farmers protest
Akhil Bharatiya Kayastha Mahasabha

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License