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MSP और लखीमपुर खीरी के किसानों के न्याय तक जारी रहेगा आंदोलन, लखनऊ में महापंचायत की तैयारी तेज़
विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की घोषणा के बावजूद, किसानों के द्वारा उत्तर प्रदेश में आगामी महापंचायतों के मद्देनजर लामबंदी और तैयारी जारी है।
अब्दुल अलीम जाफ़री
20 Nov 2021
farmers
फाइल फोटो।

उत्तरप्रदेश में सैकड़ों की तादाद में किसानों की ओर से, जिनमें से अधिकांश अवध क्षेत्र से हैं, 22 नवंबर को राज्य की राजधानी में ‘महापंचायत’ के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। शुक्रवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की घोषणा के फौरन बाद किसान यूनियन ने कहा कि भले ही यह कदम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले किसानों की एकता की जीत के तौर पर हो, लेकिन यह फैसला एक “चुनावी हथकंडा” जान पड़ता है।

किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे किसान संगठनों के समूह, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की प्रदेश इकाई ने कहा कि 22 नवंबर को लखनऊ में जिस महापंचायत की योजना थी उसे स्थगित नहीं किया जायेगा।

एसकेएम की राज्य समिति के सदस्य, संतोष कुमार ने कहा है कि, “केंद्र को पता था कि इन कृषि कानूनों की वजह से आगामी चुनावों में उसकी जीत की संभावनाएं काफी हद तक धूमिल हो सकती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत का अहसास तो उन्हें उत्तरप्रदेश का दौरा करने और पार्टी के भीतर चल रही बौखलाहट के बारे में फीडबैक प्राप्त करने के बाद ही हो सका है।” उन्होंने आगे कहा कि एसकेएम सरकार पर निगाह बनाये रखेगा कि वह वास्तव में कैसे इस निरस्तीकरण को लागू करने जा रही है।

उन्होंने कहा “हम अपने किसी भी कार्यक्रम को स्थगित नहीं करने जा रहे हैं, वो चाहे लखनऊ महापंचायत हो, या विरोध प्रदर्शन के एक वर्ष पूरे हो जाने के अवसर को लेकर की जा रही तैयारियों के सन्दर्भ में हो। हम इस बात पर निगाह बनाये रखेंगे कि सरकार कैसे इन तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने जा रही है, क्योंकि संभव है कि सिर्फ चुनावों की खातिर इसकी घोषणा कर दी गई हो।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कुमार का कहना है कि यह एक लंबी लड़ाई है और सरकार द्वारा कानूनों को निरस्त किये जाने के साथ ही इसकी लड़ाई शुरू हो चुकी है।

कुछ इसी प्रकार की भावनाओं को व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के राज्य सचिव, मुकुट सिंह ने कहा कि किसानों के आंदोलनों और उनकी शहादतों ने मोदी सरकार को घुटनों पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इससे पहले कभी भी इस प्रकार की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था।

न्यूज़क्लिक से बातचीत के दौरान सिंह ने बताया “किसानों के निरंतर आंदोलन की आंच सरकार को महसूस हो रही है, और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि जब तक सरकार एमएसपी पर गारंटी और किसानों के खिलाफ लगाये गए सभी मामलों को वापस नहीं ले लेती, यह आंदोलन जारी रहने वाला है।

उन्होंने कहा “लखनऊ महापंचायत में हम अजय मिश्रा टेनी (केंद्रीय गृह राज्य मंत्री) की बर्खास्तगी और उनकी गिरफ्तारी की मांग के साथ-साथ लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग को तेज करने जा रहे हैं।

गुरुनानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को किसानों की भलाई के लिए लाया गया था, लेकिन “हमारे सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक हिस्से को आश्वस्त करने में नामकामयाब रहे।”

उन्होंने आगे कहा, तीन कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों का सशक्तिकरण, और उसमें भी विशेषकर छोटे किसानों को सशक्त बनाने का था।

कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत, जो पश्चिमी उत्तरप्रदेश में गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने हिंदी में ट्वीट करते हुए लिखा है: “विरोध को तत्काल वापस नहीं लिया जायेगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब संसद के भीतर इन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जायेगा। सरकार को एमएसपी के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी किसानों के साथ वार्ता करनी चाहिए।”

बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा: “किसान बारूद के ढेर पर बैठे हुए हैं। यह आंदोलन ही उन्हें जिंदा रखने जा रहा है। हममें से प्रत्येक को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। जमीन से मोहभंग सरकार की साजिश है। खेतिहर जमीन लगातार सिकुड़ती जा रही है। ये लोग किसानों से जमीन की खरीद-बिक्री करने के अधिकार को भी छीनने की फ़िराक में हैं। किसानों को जाति, धर्म की दीवारों को भूलकर एकजुट होना होगा।”

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की अगुवाई करने वाले किसान नेता सरदार वीएम सिंह, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के हिंसक हो जाने के बाद किसानों के जारी विरोध प्रदर्शन से अपना समर्थन वापस ले लिया था, ने कहा है कि किसानों की प्रमुख मांग हमेशा से एमएसपी पर गारंटी रही है।

उन्होंने कहा, “ये अध्यादेश जून 2020 में लाये गए थे और गेंहूँ, धान, मक्का इत्यादि जैसी फसलें तब एमएसपी से 30-40% कम दाम पर बिक रही थीं। मूल बात यह है कि हर हाल में एमएसपी की गारंटी को सुनिश्चित बनाया जाये। यही वह मुद्दा है जिसके लिए किसान संघर्षरत हैं। यदि एमएसपी पर गारंटी कर दी जाती है तो ये तीनों कानून तो अपने-आप ही निष्फल हो जाते।”

लखीमपुर खीरी में विरोध को तेज किया जायेगा 

अक्टूबर में, लखीमपुर खीरी में चार किसानों को एक एसयूवी से तब कुचल दिया गया था, जब किसानों का एक समूह केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन के दौरान उत्तरप्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के दौरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से वापस लौट रहा था।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में बीकेयू के प्रदेश उपाध्यक्ष, अमनदीप ने कहा है कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर, निघासन में किसानों के संगठनों की एक बैठक होगी। यह वही इलाका है जहाँ पर चार किसान मारे गए थे।

अमनदीप को लगता है कि यह मामला सिर्फ कृषि कानूनों को वापस ले लिए जाने से नहीं सुलझने जा रहा है। उनका कहना है कि विभिन्न संगठनों के शीर्ष नेतृत्व के बीच की बातचीत के बाद ही आगे की कार्य योजना तय की जायेगी।

लखीमपुर में किसानों के आंदोलन में सक्रिय तौर पर शामिल अवतार सिंह और निर्मल सिंह ने कहा कि खीरी क्षेत्र में आंदोलन को तेज किया जायेगा।

सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमें पता था कि सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के मुद्दे पर पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सरकार उन चार किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार है जो इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। सरकार सिर्फ तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करके अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है। सरकार को किसानों को हुए हर नुकसान की भरपाई करनी होगी।”

इस बीच, राष्ट्रीय लोक दल के एक नेता ने दावा किया है कि कृषि कानूनों को निरस्त करने से विपक्ष का हौसला मजबूत होगा और सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एकजुट बने रहने का संदेश जायेगा, क्योंकि इस फैसले से पता चलता है कि लोकप्रिय विरोध प्रदर्शनों के जरिये सरकार को झुकने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

UP Farmers Seek Compensation for Lives Lost, Lucknow Mahapanchayat On

Lucknow Mahapanchayat
Uttar pradesh
SKM
AIKS
farm laws repeal
Lakhimpur Kheri Massacre
Uttar Pradesh Assembly Elections

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