केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 11 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जनता से अपील की है कि वे मंगलवार को आहूत ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन दें। भारत बंद को विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा समर्थन देने के कदम का भी किसानों ने स्वागत किया है। किसान केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, माकपा और द्रमुक ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया है। दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती सीमाओं पर तैनाती बढ़ा दी है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मांगी गई तो वे अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाले मार्गों को बंद कर देंगे।
सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अब तक की वार्ता विफल रही है और इसकी छठे दौर की वार्ता बुधवार को होनी है। दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट करके सिंघू, औचंदी, पियाओ मनीयारी और मंगेश बॉर्डर के बंद होने की जानकारी दी है। टिकरी और झरोदा बॉर्डर भी बंद है। यातायात पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-44 भी दोनों तरफ से बंद है इसलिए इस मार्ग पर यात्रा कर रहे लोगों से वैकल्पिक लामपुर, साफियाबाद, सफोली बॉर्डरों से यात्रा करने की सलाह दी जाती है। वहीं मुकरबा और जीटीके रोड पर भी यातायात को मोड़ा गया है। वहीं नोएडा की ओर जाने वाले लोगों को डीएनडी से जाने की सलाह दी गई है क्योंकि नोएडा लिंड रोड पर चिल्ला बॉर्डर भी यातायात के लिए बंद है।
यातायात पुलिस ने ट्विटर पर कहा, ‘गौतम बुद्ध द्वार के निकट किसानों के प्रदर्शन की वजह से नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर भी नोएडा से दिल्ली यातायात के लिए बंद है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड का इस्तेमाल करने से बचें और डीएनडी से होकर आएं।’ यातायात पुलिस ने कहा, ‘लोगों को दिल्ली आने के लिए एनएच-24 का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी जाती है और इसके बदले अप्सरा/भोपरा/डीएनडी के जरिए दिल्ली आने की सलाह दी जाती है।’
पुलिस ने कहा कि हालांकि बाडुसराय सीमा हल्के वाहनों कार और दोपहिया वाहनों के लिए खुला है जबकि झाटीकारा सीमा सिर्फ दोपहिया वाहनों के लिए खुली है। उन्होंने बताया कि जो हरियाणा की यात्रा कर रहे हैं वे धनसा, दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी राष्ट्रीय राजमार्ग-8, बिजवासन या बजघेरा, पालम विहार, डुंडाहेरा बॉर्डर के रास्ते ले सकते हैं।
केजरीवाल ने आंदोलनकारी किसानों के लिए व्यवस्था का लिया जायजा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को सिंघू बॉर्डर पहुंचे और केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए गए इंतजामों का जायजा लिया। इससे एक दिन पहले, आम आदमी पार्टी (आप) ने किसान संगठनों के आठ दिसंबर के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया था। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन स्थल पर दौरे के दौरान केजरीवाल के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और पार्टी के कुछ विधायक भी थे।
केजरीवाल ने कहा, ‘मैंने इंतजाम का जायजा लिया। स्टेडियमों का अस्थायी जेल के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए हम पर काफी दबाब बनाए गए लेकिन हमने अनुमति नहीं दी और मुझे लगता है कि इससे आंदोलन को सहायता मिली। उसके बाद से हमारी पार्टी के विधायक और मंत्री यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत ना हो।’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम सेवादार की तरह काम कर रहे हैं। मैं यहां मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि किसानों की सेवा के लिए एक सेवादार के तौर पर आया हूं। किसानों का समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही समाधान निकलेगा।’ किसानों द्वारा मंगलवार को बुलाए गए बंद पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेगी। मुझे उम्मीद है कि समूचा देश शांतिपूर्ण तरीके से इसमें हिस्सा लेगा और मैं उनसे किसानों के साथ जुड़ने और उनका समर्थन करने की अपील करता हूं।’
केजरीवाल ने कहा, ‘मैं यहां इंतजामों का जायजा लेने आया था। शौचालय स्वच्छ हैं। कुछ स्थानों पर पानी नहीं पहुंच रहा है, इसलिए मोटर और एक पाइपलाइन की व्यवस्था की जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘किसानों ने बताया कि वे इंतजामों से खुश हैं। हमारे विधायक जरनैल सिंह उनके समर्थन में पूरी रात यहां रहे। हमारे सभी कार्यकर्ता और पार्टी नेता किसानों की सेवा में जुटे हैं।’
हिरासत में लिए गए अखिलेश यादव
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में सोमवार को कन्नौज में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पुलिस ने उनके घर के पास हिरासत में ले लिया गया। रोका, जिसके बाद वो धरने पर बैठ गए।
अखिलेश यादव को कन्नौज जाने से रोकने के लिए पुलिस ने उनके लखनऊ स्थित आवास के बाहर बैरिकेडिंग की थी। अखिलेश यादव के घर से निकले पर पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद वह सपा समर्थकों के साथ सड़क पर धरने पर बैठ गए। पुलिस ने सपा सुप्रीमो के साथ कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।
समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव को किसान यात्रा के लिए रोकने की कड़ी निंदा की है। सपा के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "अन्नदाता से अन्याय के खिलाफ अंतिम सांस तक समाजवादी संघर्षरत रहेंगे। 'किसान यात्रा ' को रोकने के लिए दमन की हर सीमा पार कर रही है सत्ता। किसानों की आवाज़ बुलंद करने निकले राष्ट्रीय अध्यक्ष को असंवैधानिक तरीके से सीएम के आदेश पर रोके जाना घोर निंदनीय!"
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "कई जगहों पर हमारे कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। वे (पुलिस) चाहे तो हमें गिरफ्तार कर सकते हैं। उन्होंने हमारी गाड़ियां रोकी हैं। हम पैदल जाएंगे।"
‘काले कानूनों’ को वापस ले: कांग्रेस
कांग्रेस ने किसान संगठनों की ओर से आहूत ‘भारत बंद’ से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को ‘अहंकार छोड़कर’ किसानों के मन की बात सुननी चाहिए और कृषि से संबंधित ‘काले कानूनों’ को वापस लेना चाहिए। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करना होगा और इससे कम, कुछ भी मंज़ूर नहीं होगा।
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘देश का किसान राजनीतिक दायरे से ऊपर उठकर एकजुट है। हरित क्रांति में नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले पंजाब ने खेती व्यापारीकरण के खिलाफ क्रांति की है। हमें गर्व है कि कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।’ उन्होंने दावा किया, ‘इस कानून की मूल भावना ही सवालों के घेरे में है। दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। आज किसानों की परीक्षा नहीं है, बल्कि सरकार की परीक्षा है कि क्या वह सबको साथ लेकर चल सकती है?’
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर भाजपा सरकार के लोग किसानों की बात नहीं सुनने चाहते हैं तो उन्हें आरएसएस से जुड़े संगठनों स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ की बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री से आग्रह करना चाहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द हल निकाला जाए। सरकार अहंकार छोड़कर किसानों के मन की बात सुने और इन काले कानूनों को वापस ले।’ जाखड़ ने यह भी कहा कि इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।
भारत के कृषि कानूनों के खिलाफ लंदन में प्रदर्शन
ब्रिटेन के मध्य लंदन में रविवार को भारतीय उच्चायोग के बाहर भारत में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में किए गए प्रदर्शन के दौरान स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया। स्कॉटलैंड यार्ड ने भारतीय उच्चायोग के बाहर ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों से प्रदर्शनकारियों के जमा होने से पहले चेतावनी दी थी। मध्य लंदन में “हम पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं।'
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए कई पुलिसकर्मी सड़क पर उतरे और चेताया कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े नियम लागू हैं और अगर 30 से ज्यादा लोग जमा होते हैं तो गिरफ्तारी की जा सकती है और जुर्माना लगाया जा सकता है। मेट्रोपोलिटन पुलिस के कमांडर पॉल ब्रोगडेन ने कहा, 'अगर आप निर्धारित 30 लोगों से अधिक की संख्या में एकत्र होकर नियम तोड़ते हैं तो आप अपराध कर रहे हैं जो दंडनीय है और जुर्माना लगाया जाएगा।'
उन्होंने लोगों से प्रदर्शन में शामिल नहीं होने की अपील भी की। प्रदर्शन में मुख्य रूप से ब्रिटिश सिख शामिल थे जो तख्तियां पकड़े हुए थे, जिनपर “किसानों के लिए न्याय'' जैसे संदेश लिखे थे। भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह जल्द स्पष्ट हो गया कि लोगों के जमवाड़े की अगुवाई भारत विरोधी अलगाववादी कर रहे थे जिन्होंने भारत में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने के नाम पर भारत विरोधी अपना एजेंडा चलाया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला है और भारत सरकार प्रदर्शनकारियों से बात कर रही है।
दुष्यंत दवे ने कृषि कानूनों को 'असंवैधानिक' करार दिया
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को 'असंवैधानिक एवं अवैध' करार दिया है। साथ ही उन्होंने इन कानूनों को अदालत में चुनौती दिए जाने की स्थिति में प्रदर्शनकारी किसानों के लिए निशुल्क मुकदमा लड़ने की पेशकश भी की। दवे ने कहा, 'ये कानून असंवैधानिक एवं अवैध हैं।'
उन्होंने कहा, 'देश एवं किसानों के हित के मद्देनजर यह सुझाव रहेगा कि या तो जब तक वार्ता जारी है, तब तक सरकार इन कानूनों को लागू नहीं किये जाने के संबंध में एक अधिसूचना जारी करे अथवा उच्चतम न्यायालय मामले पर सुनवाई करे और इस पर रोक लगाए, तभी हम किसानों का जीवन बचा सकते हैं।'उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की संवैधानिकता को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई का फैसला पहले ही कर चुका है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)