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किसान आंदोलन अपडेट: “लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गई है जहां हम जीतने को प्रतिबद्ध हैं”
किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को क्या रही हलचल। सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने क्या कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने फिर क्या दिया भाषण और क्यों उनके सबसे पुराने सहयोगी ने बीजेपी को बताया असली ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’। पढ़िए दिनभर की अपडेट
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Dec 2020
किसान आंदोलन अपडेट

नयी दिल्ली:  केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर जारी किसानों का प्रदर्शन आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकता है। सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेताओं ने कहा कि लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गयी है, जहां हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम वार्ता से नहीं भाग रहे, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा।

किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि वे बुधवार को दिल्ली-नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह अवरुद्ध करेंगे।

इन नेताओं ने बताया कि अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 20 किसान ‘शहीद’ हो गए हैं। प्रदर्शन शुरू होने के बाद से हर दिन औसतन एक किसान की मौत हुई। किसान नेता इंद्रजीत ने मीडिया को बताया कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले इन किसानों को लोग 20 दिसंबर को गांवों, प्रखंडों में श्रद्धांजलि देंगे।

प्रदर्शन कर रहे करीब 32 किसान यूनियन के नेताओं ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर एक दिन की भूख-हड़ताल भी की थी।

आंदोलन में शामिल होंगी और महिलाएं

सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन करे रहे किसानों के परिवारों की 2000 से अधिक महिलाएं वहां कुछ दिनों में पहुंच सकती हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों से आ रही महिलाओं के लिए प्रबंध कर रहे हैं। तंबू लगाए गए हैं, अलग से लंगर चलाने की योजना बनाई गई है और अतिरिक्त शौचालयों की व्यवस्था भी की गई है।

अलग-अलग राज्यों के किसान सितम्बर में पारित हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली से लगे सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर दो सप्ताह से डटे हुए हैं।

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर कई अवरोधक लगाए गए हैं और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात हैं। सबसे पहले वहां कांटेदार तारें लगाई गई हैं। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने अवरोधक लगाए हैं, जिसके पास त्वरित प्रतिक्रिया बल (आरएएफ) और अर्द्धसैनिक बल के कर्मी तैनात हैं।

पानी की बौछारें करने वाली गाड़ियां, ट्रक, कंटेनर और लोहे के अवरोधक भी वहां लगाए गए हैं।

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की खाप 17 दिसंबर को किसान आंदोलन में शामिल होंगी

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में कई खापों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किए जा रहे किसान आंदोलन को समर्थन दिया है और वह 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।

‘अखिल खाप परिषद’ के सचिव सुभाष बालियान ने कहा कि शाहपुर पुलिस थानांतर्गत क्षेत्र के शोरम गांव में सोमवार को हुई खाप प्रमुखों की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

उन्होंने कहा कि खाप प्रमुखों ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार दिया और उन्हें वापस लेने की मांग की।

बालियान ने कहा कि उन्होंने 17 दिसंबर को दिल्ली जाकर आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि बैठक में बालियान खाप प्रमुख और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत, लतियान खाप प्रमुख बिजेंदर सिंह, देश खाप प्रमुख शरणवीर सिंह, अहलावत खाप प्रमुख गजेंद्र सिंह, निरवाल खाप प्रमुख राजवीर मुंडेत, कुंडू खाप प्रमुख चौधरी उपेंद्र कुंडू और बेनीवाल खाप प्रमुख अमित बेनीवाल उपस्थित थे।

किसानों की शंकाओं के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार: मोदी

उधर अपने गृहप्रदेश गुजरात में कच्छ दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है और उनकी शंकाओं के समस्याओं के समाधान के लिए चौबीसों घंटे तैयार है।

यहां कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और उन पर किसानों को भ्रमित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग वर्षो से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को अनाज को कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए।

भाजपा सरकार के लिए पूंजीपति ‘सबसे अच्छे दोस्त’ : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार की नजर में आंदोलनकारी किसान ‘खालिस्तानी’ और पूंजीपति उसके ‘सबसे अच्छे दोस्त’ हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार के लिए विरोध करने वाले छात्र राष्ट्र विरोधी हैं, चिंतित नागरिक अर्बन नक्सल हैं, प्रवासी मजदूर कोरोना फैलाने वाले हैं, बलात्कार की पीड़िता कुछ नहीं हैं और आंदोलनकारी किसान खालिस्तानी हैं। पूंजीपति उसके सबसे अच्छे दोस्त हैं।’’

For Modi Govt:

Dissenting students are anti-nationals.
Concerned citizens are urban naxals.
Migrant labourers are Covid carriers.
Rape victims are nobody.
Protesting farmers are Khalistani.

And
Crony capitalists are best friends.

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 15, 2020

कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और समझौते के मुताबिक नए कानून बनें : चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानों के साथ बनी सहमति के आधार पर नए कानून बनाए जाने चाहिए।

पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘यह चौंकाने वाला है कि दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी में किसानों के 20 दिनों के विरोध के बाद भी सरकार 'रद्द नहीं होगा' के रुख पर कायम है। यह स्पष्ट है कि किसानों और सरकार के बीच किसी भी समझौते के लिए संसद में एक नए विधेयक को पारित करने की आवश्यकता होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे आसान तरीका यह है कि वर्तमान कानूनों को निरस्त किया जाए और समझौते के आधार पर एक नया कानून फिर से बने।’’ चिदंबरम ने कहा कि सरकार को आसमान से नीचे उतरना चाहिए और किसानों के साथ शीघ्रता से समझौता करना चाहिए।

कांग्रेस सांसदों ने कहा : किसानों के लिए बड़ा दिल दिखाएं प्रधानमंत्री

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले नौ दिनों से धरने पर बैठे पंजाब के कांग्रेस सांसदों ने मंगलवार को कहा कि अगर सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के साथ बड़े दिल और ईमानदारी से बातचीत करें तो मामले का हल निकल जाएगा।

पंजाब से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य जसबीर सिंह गिल, गुरजीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू तथा पार्टी के कुछ अन्य नेता कृषि कानूनों के खिलाफ और प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में नौ दिनों से यहां जंतर-मंतर पर खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हैं।

गिल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि अगर सरकार ईमानदारी और सही दिल से किसानों से बात करे तो वे बीच का रास्ता दे देंगे। अगर बर्लिन की दीवार टूट सकती है तो यह मसला हल क्यों नहीं हो सकता? मगर अहंकार के साथ मसले का हल नहीं होता है।’’

विपक्ष द्वारा किसानों को गुमराह करने से जुड़े प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ किसान कोई दूध पीते बच्चे तो नहीं हैं कि हम उन्हें अपने पीछे लगा देंगे।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘यह भाजपा का काम करने का एक ही तरीका है कि विरोध की आवाज उठाने वालों को दबाया जाए। कभी अर्बन नक्सल, तो कभी पाकिस्तानी और दूसरे नाम देकर दबाते हैं। लेकिन इन किसानों में सभी जातियों और धर्मों के लोग हैं और इन्हें नहीं दबाया जा सकता।’’

गिल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जिस दिन बड़ा दिल करके किसानों को बुला लिया और उनका दुख-दर्द सुन लिया तो इस मसले का हल निकल जाएगा।’’

कुछ कारपोरेट समूहों के पंजाब में निवेश करने और उन्हीं का नाम लेकर कांग्रेस के विरोध करने से जुड़े सवाल पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हम कारपोरेट के खिलाफ नहीं हैं। हम खेती और जमीन छीने जाने के खिलाफ हैं। किसानों का अधिकार छीनकर किसी उद्योगपति को नहीं दिया जा सकता।’’

औजला ने कहा, ‘‘बातचीत के जरिए हल निकालना चाहिए। सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए, लेकिन लगता नहीं है कि सरकार संजीदगी से काम ले रही है। हर बातचीत के बाद कोई न कोई बयान आ जाता है जिससे लगता है कि वो बात नहीं करना चाहती है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि खुद प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत की पहल करनी चाहिए।

दूसरी तरफ, रवनीत बिट्टू ने कहा कि किसान किसी बीच के रास्ते से नहीं मानने वाला है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार आखिर क्यों जिद में है। इन कानूनों को निलंबित करें और अगले सत्र में चर्चा करें।’’

भाजपा है असली ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ : सुखबीर बादल

चंडीगढ़: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को अपनी पूर्व सहयोगी पार्टी को ‘असली टुकड़े टुकड़े गैंग’ करार दिया और उस पर पंजाब में हिंदुओं को सिखों के खिलाफ करने का आरोप लगाया।

बादल ने कहा कि भाजपा को कृषि संबंधी कानूनों पर ‘अहंकारी रवैया’ छोड़कर किसानों की बात मान लेनी चाहिए। उन्होंने भाजपा को चेतावनी भरे अंदाज में हिंदुओं को सिखों के खिलाफ करने से बचने को कहा।

उन्होंने कहा कि अगर कोई केंद्र सरकार के पक्ष में बोलता है तो उसे ‘देश भक्त’ कहा जाता है और यदि वह उसके खिलाफ बोलता है तो उसे ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ कहा जाता है।

बादल ने एक ट्वीट में आरोप लगाया, ‘‘देश में भाजपा असली टुकड़े टुकड़े गैंग है। उसने देश की एकता को टुकड़ों में बांट दिया है, बेशर्मी से हिंदुओं को मुस्लिमों के खिलाफ उकसा रही है और अब हताशापूर्ण तरीके से शांतिप्रिय पंजाबी हिंदुओं को उनके सिख भाइयों खासकर किसानों के खिलाफ कर रही है। वे देशभक्त पंजाब को सांप्रदायिकता की आग में धकेल रहे हैं।’’

अकाली दल ने संसद से पारित कृषि विधेयकों के विरोध में केंद्र में सत्तारूढ़ राजग से नाता तोड़ लिया था। अकाली दल की नेता और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रदर्शन स्थल से लौट रहे चार किसानों की अलग-अलग सड़क हादसों में मौत

चंडीगढ़, 15 दिसंबर (भाषा) दिल्ली सीमा के पास विरोध स्थलों से लौट रहे पंजाब के चार किसानों की मंगलवार को दो अलग-अलग सड़क हादसों में मौत हो गई।

पहली दुर्घटना में हरियाणा के करनाल जिले में मंगलवार को सुबह दिल्ली की सीमा के पास विरोध स्थल से पटियाला लौट रहे पंजाब के दो किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली को एक ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे उनकी मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि तरावड़ी फ्लाईओवर पर हुई इस घटना में एक अन्य किसान को चोटें आई हैं, वहीं ट्रॉली पर बैठे अन्य लोगों को मामूली चोटें आयीं।

तरावड़ी थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर सचिन ने बताया कि मृतकों की उम्र 24 साल और 50 साल के आसपास थी।

उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर ट्रॉली में सफर कर रहे किसानों में से एक द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के अनुसार संभवत: ट्रक चालक गाड़ी चलाते समय सो गया था जिसके कारण यह हादसा हुआ।

उन्होंने कहा कि ट्रक चालक मौके से भागने में कामयाब रहा। घटना के संबंध में कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है ।

उन्होंने कहा,‘‘किसान दिल्ली से लौट रहे थे । वे पटियाला में सदर पुलिस थाने के तहत साढेरा के थे।”

अधिकारियों ने कहा कि मंगलवार को मोहाली के भागोमाजरा के पास ट्रक ने एक वाहन को टक्कर मार दी जिसमें पंजाब के दो और किसानों की मौत हो गई जबकि सात अन्य घायल हो गए।

मृतक दीप सिंह मोहाली जिले का रहने वाला था जबकि सुखदेव सिंह ददियाना फतेहगढ़ साहिब जिले का मूल निवासी था।

अधिकारियों ने कहा कि घायल किसानों में से चार की हालत गंभीर है और उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और चंडीगढ़ के एक सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया है ।

उन्होंने कहा कि तीन अन्य को मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने घायल किसानों से मुलाकात की।

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और अन्य जगहों के हजारों किसान एक पखवाड़े से अधिक समय से सिंघू और टिकरी सहित दिल्ली के विभिन्न सीमावर्ती जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शन के दौरान धारा 144, महामारी कानून का उल्लंघन करने पर 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

नोएडा: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में सोमवार को प्रदर्शन करने वाले समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं समेत 40 लोगों के खिलाफ धारा 144 तथा महामारी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।

थाना सेक्टर 20 के प्रभारी निरीक्षक आर के सिंह ने बताया, ‘‘जनपद गौतम बुद्ध नगर में धारा 144 लागू है। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी के नोएडा नगर अध्यक्ष (ग्रामीण) रेशपाल अवाना अपने 30- 40 समर्थकों के साथ धारा 144 का उल्लंघन करते हुए नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय सेक्टर 19 पहुंचे। इन लोगों ने सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया।’’

उन्होंने बताया कि सपा के कुछ स्थानीय नेताओं के खिलाफ भी धारा 144 का उल्लंघन करने तथा महामारी कानून का पालन नहीं करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

इस बीच, नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (भानु) का नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर चल रहा धरना मंगलवार को भी जारी रहा।

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया था कि हमने अपना धरना खत्म कर दिया है। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक हमारा धरना जारी रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि संगठन के कुछ नेता कृषि कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर आज तीसरे दिन भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) के कार्यकर्ता रोजाना नित नए तरीके से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

भाकियू (लोकशक्ति) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार, किसानों की बात सुनने के बजाय तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। इसीलिए, किसानों ने प्रतीकात्मक तौर पर केंद्र सरकार का मुर्गा बनाकर अपना विरोध जताया है।

सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में 23 दिसंबर को तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस दिन धरना स्थल पर हवन, यज्ञ के पश्चात कृषि कानूनों की तेरहवीं कराई जाएगी और ब्रह्म भोज का आयोजन किया जाएगा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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