NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
यूपी में महंगी बिजली से किसान बेहाल, मांग में भी आई कमी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सितंबर महीने में बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर दी है। प्रदेश में सितम्बर में बिजली के दामों को 12 प्रतिशत बढ़ाया गया जिसके कारण अक्टूबर में मांग में कमी आ गई है।
पुलकित कुमार शर्मा
26 Dec 2019
electricity bill

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए बिजली के दामों में बढ़ोतरी आम जनता पर भारी पड़ने लगी है। हाल में बिजली दरों में हुई भारी वृद्वि से कृषि संकट का सामना कर रहे किसानों पर अतरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। वहीं रोजगार संकट और आर्थिक मंदी का सामना कर रहे आम जन भी बिजली के दाम में इजाफे से बेहाल हैं।

बिजनौर के किसान नितिन चौहान कहते हैं,' बिजली का दाम बढ़ने के बाद से सिंचाई करना किसानों की खेती की लागत में बहुत इजाफा कर रहा है। इससे किसान परेशान है। सबसे खराब बात यह है कि बिजली का बिल हर माह जमा नहीं होने पर सरकार पेनाल्टी लगा दे रही है तो दूसरी ओर हमारे गन्ने का दाम पिछले तीन साल से नहीं बढ़ाया गया है और भुगतान भी लंबे समय तक रुका रहता है।'
विद्युत ऊर्जा की माँग(मिलियन यूनिट).png
आपको बता दें कि सितंबर में बिजली के दामों में औसतन 12 प्रतिशत वृद्धि के बाद अक्टूबर माह में बिजली की मांग घट कर 9,534 मिलियन यूनिट रह गयी। जबकि सितम्बर 2019 में बिजली की मांग 11501 मिलियन यूनिट थी।
   
अगर हम इसकी तुलना पिछले साल से करें तो पाएंगे कि सितम्बर 2019 में बिजली की मांग 11501 मिलियन यूनिट थी जोकि 2018 सितंबर में 10206 मिलियन यूनिट थी। सितंबर 2018 से सितंबर 2019 में हुई वृद्धि स्वभाविक वृद्धि है जो हर साल लगभग सामान रूप से बढ़ती हैं

सितम्बर में दामों को बढ़ाया गया है। जिसके कारण अक्टूबर के माह में बिजली की मांग घाट कर 9,534 मिलियन यूनिट रह गयी है जोकि अक्टूबर 2018 में 10,136 मिलियन यूनिट की थी।

गौरतलब है कि इससे पहले दामों में वृद्धि नवंबर 2017 में हुई थी उस समय भी आयोग ने लगभग 12 % की औसतन वृद्धि की थी।

बिजली की मांग में ध्यान देने वाली बात यह यहीं बात यह हैं की बिजली की मांग सीजन के अनुसार बदलती रहती हैं जिसको आप ऊपर चार्ट में देख सकते हैं। इसका कारण बिजली की मांग का कृषि और घरेलू उपयोग पर निर्भरता है। बिजली की खपत घरेलू उपयोग में लगभग 42% और कृषि में लगभग 19 % की जाती है। इसलिए गर्मियों के दिनों में बिजली की मांग बढ़ जाती हैं क्योंकि उस समय कृषि और घरेलू उपयोग में बिजली की खपत ज्यादा होती है।

बिजली की मांग में कमी या वृद्धि, दो सामान समय की तुलना करके देखी जा सकती हैं साथ ही यह भी देखा जाता हैं कि सामान समय पिछले साल की तुलना स्वभाविक वृद्धि कितनी हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में दाम में वृद्धि
table 1_3.JPG
ग्रामीण क्षेत्रो में बिजली की खपत ज्यादा होती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र कृषि के साथ जुड़े हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति किलोवाट फ़िक्स चार्ज होता जिसको हटा कर रुपये प्रति मीटर यूनिट कर दिया गया है। जिसके कारण ग्रामीणों को बिजली की खपत के जूझना पड़ रहा है। साथ ही बिजली के दामों में वृद्धि के कारण खपत पर भी असर पड़ रहा है।    

शहरी क्षेत्रों में दाम में वृद्धि

शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ को 0-150 यूनिट के लिए 4.90 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 5.50 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है। 151-300 यूनिट के लिए 5.40 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 6.20 रुपये किया गया है। 301-500 यूनिट के लिए 6.20  रुपये प्रति यूनिट से बढ़ा कर 6.50 रुपये किया गया है।  तथा 500 से ऊपर की खपत वाली इकाइयों के लिए 6.50 रुपये से 7 रुपये प्रति यूनिट किया गया है।  साथ ही मासिक फ़िक्स चार्ज भी 100 रुपये प्रति किलोवाट से बढ़ाकर 110 रुपये प्रति किलोवाट कर दिए गए हैं।
table 2_3.JPG
बिजली के नये दामों को 12 सितम्बर 2019 से लागू किया गया है। साथ ही आयोग ने राज्य के डिस्कॉम को यह भी निर्देश दिया है कि वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 31,14,155 है, वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में इसे घटाकर 9,00,000 किया जा सकता है।

UttarPradesh
yogi sarkar
State Electricity Board
peasants
महंगी बिजली
किसान बेहाल
बिजली की दरों में बढ़ोतरी
High Electric Bill

Related Stories

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों के सामने ही ख़ाक हो गई उनकी मेहनत, उनकी फसलें, प्रशासन से नहीं मिल पाई पर्याप्त मदद

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्वांचल में खाद के लिए हाहाकार, योगी सरकार ने किसानों को फिर सड़कों पर ला दिया

ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्वांचल में 'धान का कटोरा' कहलाने वाले इलाके में MSP से नीचे अपनी उपज बेचने को मजबूर किसान

ग्राउंड रिपोर्ट: देश की सबसे बड़ी कोयला मंडी में छोटी होती जा रही मज़दूरों की ज़िंदगी

यूपी: 8 महीने से तकरीबन 3.5 लाख मिड-डे मील रसोइयों को नहीं मिला मानदेय, कई भुखमरी के कगार पर

उत्तर प्रदेश: न्यूनतम वेतन और राज्य कर्मचारी घोषित करने की मांग को लेकर स्कीम वर्कर्स का संघर्ष जारी

यूपी में पश्चिम से पूरब तक रही भारत बंद की धमक, नज़रबंद किए गए किसान नेता


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License