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ओडिशा-मध्यप्रदेश में बाढ़ का क़हर जारी, जान-माल के साथ फ़सल भी बर्बाद
ओडिशा में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं लगभग 14 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। जबकि मध्यप्रदेश के 12 जिलों के 400 से ज्यादा गांवों में बाढ़ के तबाही मचाने की ख़बर है।
सोनिया यादव
31 Aug 2020
ओडिशा-मध्यप्रदेश में बाढ़ का क़हर जारी
Image courtesy: Hindustan Times

 "इस बाढ़ में 3,256 गांव प्रभावित हुए हैं। 340 गांवों से यातायात संपर्क पूरी तरह टूट गया है। 107 सड़कों के ऊपर पानी बह रहा है। ढाई लाख से ज्यादा लोग पानी से घिरे हुए हैं।"

ओडिशा सरकार के स्वतंत्र राहत आयुक्त प्रदीप कुमार जेना ने रविवार, 30 अगस्त की शाम मीडिया से ये बातें कहीं। उन्होंने अन्य जानकारियां साझा करते हुए कहा कि राज्य सरकार की तरफ़ से राहत और बचाव कार्य भी शुरू हो गया है। 254 नावों को इस काम में लगाया गया है। एनडीआरएफ़ की 14, एसडीआरएफ़ की 17 और अग्निशमन विभाग की 22 टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हैं।

बता दें कि देश में एक ओर कोरोना का संकट दिनों-दिन गहराता जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर कई राज्यों में बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है।

छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में हुई तेज़ बारिश के कारण ओडिशा के कई इलाक़े बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। जबकि मध्यप्रदेश के 12 जिलों के 400 से ज्यादा गांवों में बाढ़ के तबाही मचाने की खबर है।

बाढ़ के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। जान-माल का भारी नुकसान तो हुआ ही है कुछ जगहों पर लोगों के पास पीने के लिए साफ़ पानी और खाने के लिए अनाज तक की दिक्कत हो गई है। खेतों में फसलें बाढ़ के चलते तहस-नहस पड़ी हैं, तो वहीं सड़क और यातायात के भी कुछ इलाकों में ठप्प होने की बात सामने आ रही है।

क्या हैं ओडिशा के हालात?

ओडिशा सरकार द्वार जारी आंकड़ो के मुताबिक बाढ़ की वजह से अब तक राज्य में 17 लोगों की मौत हो चुकी है। तो वहीं लगभग 14 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। लोग जान बचाने के लिए मकान की छत पर, नदियों के बांध पर या फिर राहत शिविरों में रह रहे हैं।

ओडिशा और आस-पास के राज्यों में भारी बारिश के कारण महानदी के साथ-साथ सुबर्णरेखा, बुढाबलंग, बैतरणी और ब्राह्मणी नदी में भी बाढ़ आ गई है। महानदी से निकली काठजोड़ी, देवी, पाइका नदियां भी उफ़ान पर हैं। जिस कारण राज्य के 20 ज़िले प्रभावित हुए हैं। कटक, जाजपुर, केंद्रपड़ा, खोर्धा, पूरी और भद्रक ज़िलों में स्थिति ज़्यादा गंभीर है।

इसके अलावा हीराकुंड बांध से भी प्रशासन को बड़ी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ रहा है। राज्य सरकार के प्रमुख शासन सचिव असित त्रिपाठी ने वीडियो जारी करके कहा है कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के विभिन्न इलाकों में हुई तेज़ बारिश के बाद महानदी के हीराकुंड डैम में 9.11 लाख क्यूसेक पानी आ गया था। इसलिए, डैम से 46 गेटों के ज़रिये 7.65 लाख क्यूसेक पानी निकालना पड़ा है।

प्रशासन क्या कर रहा है?

बाढ़ प्रभावित इलाकों में ओडिशा सरकार खाने और अन्य जरूरत का सामान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक़, रविवार शाम तक 357 फ्री किचन खोले गए हैं जहां 57 हज़ार लोगों को खाना दिया गया है। हालांकि कई लोगों की ये भी शिकायत है कि प्रशासन की ओर से कोई भी मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंच पाई है।

केंद्रपड़ा और जगतसिंपुर के कुछ स्थानीय निवासियों के अनुसार इस समय खेतों में सब्ज़ी और धान की फसल लगी थी, जो बाढ़ के कारण अब पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। फसल के ऊपर लगभग 3-4 फुट का पानी बह रहा है।

एक किसान बताते हैं, “मेरा घर पानी में डूब गया है, खेत में पूरा पानी लगा है। खाने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। हम जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर रिश्तेदार के घर में आए हैं, यहां भी अब पानी आ गया है। सरकार क्या मदद कर रही है, कहां खाना मिल रहा है, हमें कुछ नहीं पता।”

मध्य प्रदेश की क्या स्थिति है?

मध्य प्रदेश में पिछले दो दिन से जारी मूसलाधार बारिश के कारण होशंगाबाद सहित राज्य के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। प्रदेश में स्थिति से इतनी बिगड़ गई है कि जलमग्न क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए शनिवार, 29 अगस्त से एनडीआरएफ के साथ सेना भी लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।

इन सब के बीच 30 अगस्त, रविवार के दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री को राज्य में बाढ़ के हालात के बारे में बताया। इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद और अन्य जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया।

प्रशासन का क्या कहना है?

प्रशासन के मुताबिक, होशंगाबाद में लगभग 3,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जबकि छिंदवाड़ा में वायुसेना के एक हेलीकाप्टर से बाढ़ में फंसे पांच लोगों को सुरक्षित निकला गया है। 12 जिलों के 411 गांवों से बाढ़ से तबाही की जानकारी है, जबकि अबतक 8 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है। प्रदेश के सीहोर और छिंदवाड़ा सहित सात से अधिक जिलों में भारी बारिश के कारण तालाब और नदी, नाले उफान पर हैं।

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जबकि उज्जैन में शिप्रा और शिवनी में गंगा नदी उफान पर हैं। बाढ़ के पानी के चलते वैनगंगा नदी के दो बड़े पुल पानी में बह गए। कई जगह पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। बाढ़ बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित छिंदवाड़ा, सिहोर, नरसिंघपुर होशंगाबाद और शाजापुर जिले हैं।

सरकारी मदद की आस में लोग

गौरतलब है कि अपने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने बताया कि मां नर्मदा का ऐसा रौद्र रूप 20 साल बाद देखने को मिला है। नदी के बेसिन में हुई भारी बारिश की वजह से 12 जिलों के 454 गांव बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं, लेकिन जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, सेना और वायुसेना के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर करीब 11 हजार लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया गया है। प्रशासन का दावा है कि बाढ़ के चलते अपनी तक किसी की जान नहीं गई और लोगों की हर संभव मदद की जा रही है लेकिन कई समाजिक कार्यकर्ताओँ और स्थानिय लोगों के मुताबिक इस वक्त राज्य के हालात बद से बदतर हो गए हैं।

नरसिंहपुर के एक निवासी के अनुसार गांव और बस्तियां पानी में पूरी तरह से डूब गई हैं। कई इलाकों में तो पक्के मकान जलमग्न हो गए हैं और कच्चे ढह भी गए हैं। इसके अलावा कई मकानों की एक मंजिल पानी से डूब गई है जिसके चलते लोगों को ऊपरी मंजिल पर जाकर जान बचानी पड़ रही है। होशंगाबाद से पिपरिया-हरदा, सिवनी-मालवा, बैतूल का सड़क मार्ग से संपर्क कट गया। सरकारी सुविधाएं कुछ ही इलाकों तक पहुंच पा रही हैं, बाकी लोग अभी भी सरकारी मदद की आस लगाए बैठे हैं।

उधर, नर्मदा नदी के उफान पर होने के कारण सरदार सरोवर बांध के 23 गेट को खोलकर 5 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा पानी इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध से भी आ रहा है। पानी बढ़ने के साथ नर्मदा घाटी में विरोध भी शुरू हो गया है। ग्राम पिछोड़ी में डूब प्रभावितों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं के साथ क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। रोजाना 10 प्रभावित अनशन पर बैठेंगे। प्रभावितों की मांग की है पहले सभी का पुनर्वास किया जाए। इसके बाद डूब थोपी जाए। 

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