NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
खेल
घटना-दुर्घटना
अंतरराष्ट्रीय
फुटबॉल के एक युग का अंत, डिएगो माराडोना का निधन
1986 विश्व कप में अर्जेंटीना की जीत के नायक डिएगो माराडोना 60 वर्ष के थे। पिछले लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे।
भाषा
26 Nov 2020
 डिएगो माराडोना

ब्यूनस आयर्स: दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार 1986 विश्व कप में अर्जेंटीना की जीत के नायक डिएगो माराडोना का बुधवार को निधन हो गया। पेले की ही तरह दस नंबर की जर्सी पहनने वाले दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना 60 वर्ष के थे। पिछले लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे। अर्जेंटीना में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी गई है।

दुनिया भर के फुटबॉलप्रेमियों में इस खबर से शोक की लहर दौड़ गई है और सोशल मीडिया पर इस महान फुटबॉलर को श्रृद्धांजलि दी जा रही है। फीफा ने उन्हें 2001 में ब्राजील के पेले के साथ खेल के इतिहास के दो महानतम खिलाड़ियों में शामिल किया था। दो सप्ताह पहले ही दिमाग के आपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।

विश्व कप 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में ‘खुदा का हाथ’ वाले गोल के कारण फुटबॉल की किवदंतियों में अपना नाम शुमार कराने वाले माराडोना दो दशक से लंबे अपने कैरियर में फुटबालप्रेमियों के नूरे नजर रहे। माराडोना ने बरसों बाद स्वीकार किया था कि उन्होंने जान बूझकर गेंद को हाथ लगाया था।

उसी मैच में चार मिनट बाद हालांकि उन्होंने ऐसा शानदार गोल दागा था जिसे फीफा ने विश्व कप के इतिहास का महानतम गोल करार दिया। अर्जेंटीना ने उस जीत को 1982 के युद्ध में ब्रिटेन के हाथों मिली हार का बदला करार दिया था। माराडोना ने 2000 में आई अपनी आत्मकथा ‘आई एम डिएगो’ में लिखा था, ‘‘वह मैच जीतने की कोशिश से बढ़कर कुछ था। हमने कहा था कि इस मैच का जंग से कोई सरोकार नहीं है लेकिन हमें पता था कि वहां अर्जेंटीनाइयों ने अपनी जानें गंवाई थी। यह हमारा बदला था। हम अपने देश के लिये खेल रहे थे और यह हमसे बड़ा कुछ था।’’

नशे की लत और राष्ट्रीय टीम के साथ नाकामी ने बाद में माराडोना की साख को ठेस पहुंचाई लेकिन फुटबॉल के दीवानों के लिये वह ‘गोल्डन ब्वाय ’ बने रहे। साहसी, तेज तर्रार और हमेशा अनुमान से परे कुछ करने वाले माराडोना के पैरों का जादू पूरी दुनिया ने फुटबॉल के मैदान पर देखा । विरोधी डिफेंस में सेंध लगाकर बायें पैर से गोल करना उनकी खासियत थी।

उनके साथ इतालवी क्लब नपोली के लिये खेल चुके सल्वाटोर बागनी ने कहा, ‘‘वह सब कुछ दिमाग में सोच लेते थे और अपने पैरों से उसे मैदान पर सच कर दिखाते थे।’’ बढ़ते मोटापे से कैरियर के आखिर में उनकी वह रफ्तार नहीं रह गई थी। वहीं 1991 में उन्होंने कोकीन का आदी होने की बात स्वीकारी और 1997 में फुटबॉल को अलविदा कहने तक इस लत ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। वह दिल की बीमारी के कारण 2000 और 2004 में अस्पताल में भर्ती हुए।

नशे की लत के कारण उनकी सेहत गिरती रही। वह 2007 में हेपेटाइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती हुए। अर्जेंटीना के कोच के रूप में उन्होंने 2008 में फुटबॉल में वापसी की लेकिन दक्षिण अफ्रीका में 2010 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल से टीम के बाहर होने की गाज उन पर गिरी। इसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात के क्लब अल वस्ल के भी कोच रहे। 

Diego Maradona
Diego Maradona died
Argentina

Related Stories

इक्वेडर और उरूग्वे ने विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया

डिएगो माराडोना: अमेरिकी साम्राज्यवाद का कट्टर विरोधी खिलाड़ी


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License