NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
अंतरराष्ट्रीय
दुनिया भर में खाद्यान्न ढांचे में आए बदलावों से ग़रीब और मध्यम आय वाले देशों में बढ़ रहा है मोटापे पर आधारित कुपोषण
लांसेट रिपोर्ट बताती है कि ग़रीब और मध्यम आय वाले एक तिहाई से ज़्यादा देशों में पारस्परिक कुपोषण बढ़ रहा है। 1990 में यह समस्या 45 देशों में थी, जो 2010 के दशक में बढ़कर 48 देशों में पहुंच गई।
संदीपन तालुकदार
19 Dec 2019
Global Food System Changes
Image Courtesy: bbc.com

अनाज और खाने की आपूर्ति करने वाले खाद्यान्न ढांचे में बड़े बदलावों ने कुपोषण के मुद्दे को और उलझा दिया है। ख़ासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में। लांसेट के अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ''खाद्यान्नों ढांचे में बड़े बदलावों'' के चलते ग़रीब देशों में मोटापा और अल्प पोषण बढ़ रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थ कैरोलिना के चैपल हिल गिलिंग स्कूल ऑफ़ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ में प्रोफ़ेसर और पहले पेपर के मुख्य लेखक एम पॉपकिन और न्यूट्रीशन प्रोफ़ेसर वी आर केनन बताते हैं ''हमारे शोध के मुताबिक़, कम आय वाले देशों में 20 फ़ीसदी युवा, मोटापे से प्रभावित हैं। अल्प पोषण और मोटापे से जुड़े ''अधिभार (Over weight)'' की दोहरी मार भी कम आय वाले देशों पर ही पड़ती है। वैश्विक पहुंच वाली यह दोहरी मार आधुनिक खानपान की आदतों से जुड़ी है। यह आधुनिक खाद्यान्न कम और मध्यम आय वाले देशों के परिवारों को सुरक्षित और स्वस्थ्य खुराक की आपूर्ति को रोकते हैं।''

दुनियाभर में 2.3 अरब बच्चे और युवा अधिभार से प्रभावित हैं। वहीं 15 करोड़ बच्चे अविकसित हैं। हालांकि मध्यम आय वाले देशों में यह मुद्दे व्यक्ति, परिवारों और समुदायों में एक-दूसरे से पारस्परिक हैं। ''कुपोषण के दोहरे भार'' के नाम से मशहूर लांसेट अध्ययन इन पारस्परिकताओं की जांच करता है। इनमें ज़िम्मेदार सामाजिक कारक और खाद्यान्न ढांचे के बदलाव, बॉयोलॉजिकल प्रभाव और कुपोषण से निपटने वाली नीतियों का अध्ययन हैं। 

रिसर्चर ने सर्वे के डाटा को अपने काम के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने 1990 और 2010 के दशक में मध्य और निम्न आय वाले देशों के डाटा का इस्तेमाल मार झेलने वाले देशों की पहचान के लिए किया है। इसके मुताबिक़, '' 20 फ़ीसदी से ज़्यादा महिलाएं दुबलेपन की शिकार हैं। 20 फ़ीसदी लोग अधिभार से पीड़ित हैं। वहीं 30 फ़ीसदी लोग वेस्टिंग (ऊंचाई की तुलना में कम वजन) से जूझ रहे हैं।''

विश्लेषण के नतीजों से पता चलता है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक तिहाई से ज्यादा देश कुपोषण की इस दोहरी पारस्परिकता से पीड़ित थे। 1990 के दशक में 123 देशों में से 45 और 2010 के दशक में 126 देशों में से 48 देश इसका शिकार थे। सहारा क्षेत्र के 29, दक्षिण एशिया के सात, पूर्वी एशिया के नौ और प्रशांत महासागर के तीन देश इसमें शामिल थे। 

2010 के दशक में, 1990 की तुलना में 14 निम्न आय वाले देशों में कुपोषण की दोहरी मार की समस्या पैदा हुई। यह ट्रेंड बताते हैं कि ग़रीब देशों में मोटापा बढ़ रहा है, जबकि एक बड़ी आबादी दुबलेपन और बौनेपन जैसी समस्याओं का शिकार है।

पेपर के लेखक पॉपकिन बताते हैं, ''कुपोषण के उभरते मुद्दे उन लोगों की भयावहता बताते हैं, जिनकी ख़राब खुराक से सुरक्षा नहीं है। ग़रीब, न्यूनतम और मध्यम आय वाले देश लोगों के खान-पान, घर-ऑफ़िस में चलाफिरी, यातायात में आवाजाही की आदतों में बड़े परिवर्तन आ रहे हैं। नई पोषण वास्तविकता खाद्यान्न ढांचे से जु़ड़ी हुई है, जिसने वैश्विक स्तर पर प्रसंस्कृत खाद्यान्नों की उपलब्धता करवाई है। यह प्रसंस्कृत खाद्यान्न अधिभार से जुड़े होने के साथ-साथ छोटे बच्चों और शिशुओं पर भी बुरा असर डालते हैं। इनकी वजह से अब ताज़ा सब्ज़ियों और खाद्यान्नों के बाज़ार ख़त्म हो रहे हैं। बड़े सुपरमार्केट बढ़ रहे हैं। इन बदलावों में खाद्यान्न चेन का अधिकार सुपरमार्केट के हाथों में होना और कृषि व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों का उभार भी शामिल है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Global Food System Changes Led to Overweight-Malnutrition in Low and Moderate Income Countries

Global Food System
poverty
Hunger Crisis
malnutrition
child malnutrition

Related Stories

दवाई की क़ीमतों में 5 से लेकर 5 हज़ार रुपये से ज़्यादा का इज़ाफ़ा

जलसंकट की ओर बढ़ते पंजाब में, पानी क्यों नहीं है चुनावी मुद्दा?

दुनिया की 42 फ़ीसदी आबादी पौष्टिक आहार खरीदने में असमर्थ

माओवादियों के गढ़ में कुपोषण, मलेरिया से मरते आदिवासी

कोरोना संकट के बीच भूख से दम तोड़ते लोग

कोरोना से दुनिया भर में आर्थिक संकट की मार, ग़रीब भुखमरी के कगार पर

विश्व में हर एक मिनट में भुखमरी से 11 लोगों की मौत होती है: ऑक्सफैम

ग्राउंड रिपोर्ट : बेपरवाह PM-CM, भारतीय नागरिकों को भूख से मरने के लिए बेसहारा छोड़ा

कोरोना से भी तेज़ फैल रहा है भारत में अमीर और ग़रीब का फ़ासला

देश में पोषण के हालात बदतर फिर भी पोषण से जुड़ी अहम कमेटियों ने नहीं की मीटिंग!


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License