NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
धार्मिक कट्टरपंथियों का महिमामंडन और समाज की चुप्पी
बीते कुछ वर्षों में भारत में धर्म के नाम पर मानवता की धज्जियां उड़ाने वाले “धर्म रक्षकों” को महिमामंडित करने का शर्मनाक चलन शुरू हुआ है।
वसीम अकरम त्यागी
18 Oct 2021
singhu border

दो तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। पहली तस्वीर सिंघु बॉर्डर पर बेरहमी से मारकर लटकाए गए लखबीर सिंह की है, दूसरी तस्वीर इस जघन्य हत्याकांड के आरोपी के महिमामंडन की है। पहली तस्वीर हमें बताती है कि धार्मिक कट्टरपंथ इंसान को कितना क्रूर और वहशी बना देता है, दूसरी तस्वीर हमें बताती है कि कट्टरपंथी तत्वों को ताक़त कहां से मिलती है।

बीते कुछ वर्षों में भारत में धर्म के नाम पर मानवता की धज्जियां उड़ाने वाले “धर्म रक्षकों” को महिमामंडित करने का शर्मनाक चलन शुरू हुआ है। साल 2015 में नोएडा में दादरी के बिसहाड़ा गांव में मोहम्मद अखलाक को उन्हीं के गांव की एक हिंसक भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया, इस भीड़ का आरोप था कि अख़लाक के फ्रिज में गोमांस है। भीड़ ने बिना कोई कोर्ट कचहरी किए, “अख़लाक” को मारकर गाय को “इंसाफ” दिला दिया। इस हत्याकांड के आरोपियों को पुलिस द्वारा जेल भेज दिया गया।

 अक्टूबर 2016 में जेल में अखलाक के रवि नामी हत्यारोपी की डेंगू से मौत हो गई, इस पर रवि के परिजनों ने हंगामा किया और शव को रखकर प्रदर्शन किया, रवि के घर हिंदुवादी कट्टरपंथी संगठनों के लोगों का जमावड़ा लग गया। इस पर नोएडा के सांसद और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने तिरंगे से ढकी रवि की लाश को “श्रद्धांजलि” दी। देश का राष्ट्र ध्वज जो शहीदों के शवों पर रखा जाता है, उसी राष्ट्र ध्वज से एक हत्या आरोपी को ढक दिया गया, इस पर किसी को भी आपत्ति भी नहीं हुई। इसके बाद गाय के नाम पर इंसानों को लिंच करके मौत के घाट उतारने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अभी तक नहीं थमा है।

अख़लाक के हत्यारोपी रवि की लाश पर तिरंगा चढ़ाने वालों के ख़िलाफ अगर कार्रवाई हो गई होती, गाय के नाम पर लिंचिंग में जान गंवाने वालों का आंकड़ा जो अब 43 है वह शायद कम होता। लेकिन लिंचिंग होती रहीं, लिंचिंग करने वालों को ‘हीरो’ की तरह महिमामंडित किया जाता रहा। इसी कड़ी में झारखंड के अलीमुद्दीन की लिंचिंग का उल्लेख करना यहां जरूरी है। जून 2017 में अलीमुद्दीन को कथित गौरक्षकों द्वारा पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मार्च 2018 में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन जब ये मामला रांची हाईकोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने इन लोगों की सज़ा पर स्टे लगाकर अलीमुद्दीन हत्याकांड के तमाम आरोपियों को ज़मानत पर रिहा कर दिया। जेल से छूटने के बाद हज़ारीबाग से भाजपा के सांसद और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने तमाम आरोपियों का माला पहना कर अभिनंदन किया था। ज़ाहिर है इससे अभियुक्तों का उत्साहवर्धन ही हुआ।

दिसंबर 2017 में राजस्थान के राजसमंद में 51 वर्षीय बंगाली मजदूर अफराज़ुल को कट्टरपंथी शंभू रेगर नामी एक बर्बर हत्यारे ने जिंदा जलाकर मार डाला। शंभू का कहना था कि अफराज़ुल “लव जिहाद” करना चाह रहा था। अफराज़ुल के हत्यारोपी की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान में हिंदुत्ववादियों ने उसके समर्थन में जमकर उत्पात मचाया, इसके कुछ ही महीनों बाद राम नवमी के मौके पर निकलने वाले जुलूस में शंभू रेगर को हिंदू धर्म के लिए सम्मान के रूप में पेश किया गया। जुलूस में एक शख्स शंभूलाल रैगर की तरह रूप धारण कर हाथों में कुल्हाड़ी लिए हुए था। बैनर के बीच लिखा था-, ‘शम्भूनाथ रैगर, लव जिहाद मिटाने वाले’। इस झांकी में शंभूलाल के बैनर भी लगे हुए थे। जिन पर कई तरह के नारे लिखा थे, एक बैनर पर लिखा था कि, हिंदुओं भाइयों जागो, अपनी बहन-बेटी बचाओ,लव जिहाद से देश को आजाद करवाना चाहिए।

ये सामान्य घटनाएं नहीं हैं। इन घटनाओं ने यह बताया है कि कट्टरता इंसानियत की कितनी बड़ा दुश्मन है। दक्षिणपंथी सत्ताधारी हमेशा धार्मिक कट्टरपंथियों को संरक्षण देते हैं, जरूरत पड़ने पर इन्हीं कट्टरपंथियों का सहारा लेकर मूल मुद्दों से जनता को भ्रमित किया जाता है। अब इन घटनाओं को रोकना समाज की जिम्मेदारी है, लेकिन अभी तक यह देखा गया है कि समाज ने इन घटनाओं पर चुप्पी साधी हुई है। समाज की यह चुप्पी समाज के लिये ही चुनौती बन जाएगी, यह चुप्पी समाज से इंसानियत समाप्त होने की इबारत लिख रही है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Singhu Border
Singhu Border Massacre
religion
Religion and Politics
kisan andolan

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण

ज्ञानवापी अपडेटः मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने का दावा, मुस्लिम पक्ष ने कहा- फव्वारे का पत्थर

केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाः ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे सांप्रदायिक शांति-सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश और उपासना स्थल कानून का उल्लंघन है

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License