ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या किसी इतने पुराने धर्मस्थल के रूप और चरित्र में बदलाव की बात संवैधानिकता के विरूद्ध नहीं है? ऐसे तमाम सवालों के संदर्भ में #AajKiBaat के खास एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की विचारोत्तेजक टिप्पणी |