दिल्ली : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को बताया कि उत्तर-पूर्व दिल्ली हिंसा के सिलसिले में 48 एफआईआर दर्ज की गई हैं और राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति सामान्य होने तक न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ को सूचित किया कि भाजपा के तीन नेताओं द्वारा कथित तौर पर दिए गए नफरत भरे भाषण को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र और पुलिस को जवाब दाखिल करने की जरूरत है।
इसपर पीठ ने केंद्र और पुलिस को जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया।
मेहता ने अदालत को सूचित किया कि सांप्रदायिक हिंसा में आगजनी, लूट और मौतों के सिलसिले में अभी तक 48 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। संशोधित नागरिकता कानून को लेकर ये हिंसा भड़की थी।
मेहता ने यह भी कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है और इसलिए इसे मामले में पक्षकार बनाया जाए जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी।
आपको बता दें कि इससे पहले कल, बुधवार को इस मामले की सुनवाई करने वाले जज न्यायमूर्ति मुरलीधर का तबादला कर दिया गया। हालांकि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके स्थानांतरण की सिफारिश की थी, लेकिन इसे मानने में केंद्र सरकार ने बुधवार की उनकी सख्त टिप्पणियों के बाद ज़रा भी देर नहीं लगाई।
दरअसल न्यायमूर्ति मुरलीधर ने दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर ‘‘नाराज़गी’’ जताई थी।
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ऐसे समय में जब एक न्यायाधीश दिल्ली हिंसा की सुनवाई कर रहा है, उसके रातो-रात इस तरह तबादले किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)