NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू-कश्मीर में मीडिया का गला घोंट रही सरकार : प्रेस काउंसिल
ग़ौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने सितंबर 2021 में प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को एक पत्र लिखा था और मांग की थी कि काउंसिल एक फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम भेजकर जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के उत्पीड़न, जासूसी, डराने-धमकाने और दफ़्तरों पर रेड आदि का जायज़ा ले।
राज कुमार
15 Mar 2022
Kashmir press club
फ़ोटो- ट्विटर/कामरान यूसुफ़

जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के उत्पीड़न और प्रेस की फ़्रीडम के बारे में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने सितंबर 2021 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को एक पत्र लिखा था और मांग की थी कि काउंसिल एक फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम भेजकर जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के उत्पीड़न, जासूसी, डराने-धमकाने और दफ़्तरों पर रेड आदि का जायजा ले। जिसके बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने तीन सदस्यीय फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम का गठन किया था। दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे, इंडियन एक्सप्रेस के गुरदीप सिंह और जन मोर्चा की संपादक डॉ. सुमन गुप्ता फ़ैक्ट फाइंडिग टीम के सदस्य थे। टीम ने जम्मू-कश्मीर में जाकर पत्रकारों, समाचार समूहों, सरकारी अधिकारियों, पुलिस और सेना अधिकारियों आदि से बात की है। जिसके आधार पर पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट काउंसिल को सौंप दी है।

सितंबर 2021 में प्रेस काउंसिल ने फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम का गठन किया और गठन के साथ ही कमेटी ने काम शुरु कर दिया। कमेटी ने अक्तुबर 2021 में श्रीनगर और नवंबर 2021 में जम्मू का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान कमेटी ने बहुत सारे पत्रकारों, मीडिया कंपनी के मालिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ आदि से मुलाकात की और उनके बयान रिकॉर्ड किए। कमेटी ने महबूबा मुफ्ती, लैफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा, पुलिस आईजी विजय कुमार, कश्मीर डिविजनल कमीश्नर पांडुरंग पोल आदि से भी बात की।

क्या कहती है फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग रिपोर्ट

प्रेस काउंसिल की फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में और खासकर कश्मीर घाटी में स्थानीय प्रशासन के व्यापक प्रतिबंधों ने धीरे-धीरे मीडिया का गला घोंट दिया है। ऐसे पत्रकारों की एक लंबी सूचि है जिन्हें प्रताड़ित किया गया है और डर का माहौल बनाया गया ताकि पत्रकार सरकार के सुर में सुर मिलाएं। रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन और पत्रकारों के बीच न्यूनतम सहज संवाद भी बाधित हो गया क्योंकि प्रशासन का मानना है कि पत्रकार उग्रवादियों के साथ सहानुभूति रखते हैं।

फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम ने लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से भी बात की। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कई पत्रकार राष्ट्र विरोधी विचारों के हैं। उन्होंने फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम को बताया कि पहले जब उनकी नियुक्ति हुई तो वो खुली प्रेस वार्ताओं को बढावा देते थे। लेकिन अब सिर्फ चुनिंदा पत्रकारों से ही बात करते हैं।

टीम ने पाया कि पत्रकारों से पूछताछ के कई मामलों में उन्हें डराया-धमकाया गया और अजीब किस्म की फार्म और दस्तावेज़ों को भरने को मज़बूर किया गया। असल में पत्रकारों की प्रोफाइलिंग की जा रही है। कुछ पत्रकारों को कार्गो सेंटर पर पूछताछ के लिए बुलाया गया। गौरतलब है कि ये स्थान सशस्त्र उग्रवादियों के साथ पूछताछ के लिए आरक्षित है। बहुत सारे पत्रकारों ने कहा कि सुरक्षा बलों की तरफ से उन्हें लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। अलगाववादियों की सहायता करने के आरोप लगाए जाते हैं, पुलिस शिविरों में लंबी पूछताछ की जाती है, फ़ेक न्यूज़ प्रचारित करने का आरोप लगाकर नज़रबंदी से लेकर गिरफ्तारी तक झेलनी पड़ती है। 

रिपोर्ट के अनुसार 2016 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में 49 पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक छोटे से प्रदेश में ये संख्या काफी ज्यादा है। उनमें से 8 पत्रकारों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है। जिसमें जमानत भी लगभग असंभव है। काफी पत्रकारों को देश विरोधी गतिविधि के तहत आरोपित किया गया है। 

रिपोर्ट ने कश्मीर प्रेस क्लब के मुद्दे पर भी बात की है। रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर प्रेस क्लब को दबाने और बंद करने के लिए सरकार की तरफ से कोई ठोस और वाजिब कारण दिखाई नहीं देता। इसके रजिस्ट्रेशन को बहाल करना चाहिये और सरकारी अधिकारियों को इसके चुनाव आदि प्रक्रियाओं से दूर रहना चाहिये ये मीडियाकर्मियों की एक स्वतंत्र संस्था है।

पुलिस आईजी, विजय कुमार ने टीम को बताया कि मुझे कहने में कोई झिझक नहीं है कि हमारा एक कार्यक्रम है जिसके तहत हम जम्मू-कश्मीर में कार्य कर रहे पत्रकारों की प्रोफाइलिंग कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम 80% कस्मीरियों की प्रोफाइलिंग करें। हम पत्रकारों की भी प्रोफाइलिंग करेंगे।

कमेटी ने पाया कि धारा 370 हटाने के बाद से कश्मीर में जानबूझकर इंटरनेट और कम्यूनिकेशन के अन्य माध्यमों को बाधित किया गया है। कश्मीर घाटी में दो महीने से ज्यादा समय तक इंटरनेट बाधित रहा है। सब जानते हैं कि अगर इंटरनेट नहीं होगा तो पत्रकारों और न्यूज़ इंडस्ट्री का पूरा काम ही ठप्प हो जाएगा।

कुल मिलाकर फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम ने पाया है कि महबूबा मुफ्ती ने प्रेस काउंसिल को लिखे पत्र में जो आरोप लगाए थे वो सही हैं। सुरक्षाबलों द्वारा पत्रकारों को बुलाया जा रहा है, पूछताछ की जा रही है और एक प्रश्नावली को भरने को लिए मज़बूर किया जा रहा है जिससे इस तरह के संकेत निकल सकते हैं कि पत्रकार का देश-विरोधी ताकतों के साथ कोई लिंक है। यानी पत्रकारों की प्रोफाइलिंग हो रही है। ये बात आईजी पुलिस, विजय कुमार ने भी फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम के सामने स्वीकार की है कि वो पत्रकारों की प्रोफाइलिंग कर रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Jammu and Kashmir
Kashmir Press Club
Press freedom
freedom of expression
mehbooba mufti

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • MUNDIKA
    मुकुंद झा, रौनक छाबड़ा
    मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर
    14 May 2022
    संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में, जहां शवों और घायल लोगों को चिकित्सा सहायता के लिए लाया गया था, वहां लोगों में निराशा के दृश्य थे, क्योंकि परिवार के सदस्य अपने परिजनों के बारे में कुछ जानकारी की…
  • FINALS
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बैडमिंटन टूर्नामेंट: 73 साल में पहली ‘थॉमस कप’ का फाइनल खेलेगा भारत
    14 May 2022
    बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारत ने इतिहास रच दिया है, 73 साल में पहली बार भारत थॉमस कप के फाइनल में पहुंचा है।
  • Congress
    न्यूज़क्लिक टीम
    कांग्रेस का उदयपुर चिंतन शिविर: क्या सुधरेगी कांग्रेस?
    14 May 2022
    लंबे अरसे बाद कांग्रेस विधिवत चिंतन कर रही है। इसके लिए उसने उदयपुर में चिंतन शिविर आयोजित किया। वर्षो से बेहाल कांग्रेस को क्या ऐसे शिविर से कुछ रास्ता दिखेगा? क्या उसका राजनीतिक गतिरोध खत्म होगा? #…
  • Indian Muslims
    न्यूज़क्लिक टीम
    हम भारत के लोगों की कहानी, नज़्मों की ज़ुबानी
    14 May 2022
    न्यूज़क्लिक के इस ख़ास कार्यक्रम 'सारे सुख़न हमारे' के इस एपिसोड में हम आपको सुना रहे हैं मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा, और मुसलमान होने के मायनों से जुड़ी नज़्में।
  • sugaercane
    अमेय तिरोदकर
    महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की
    14 May 2022
    मराठवाड़ा में जहां बड़े पैमाने पर गन्ने की पैदावार हुई है, वहां 23 लाख टन गन्ने की पेराई सरकार की कुव्यवस्था से अभी तक नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License