NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
एजीआर विवाद में सरकार टेलीकॉम कंपनियों से वसूलेगी 92000 करोड़
एजीआर विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों से 92 हजार करोड़ रूपये वसूले। इस खबर के आने के बाद टेलीकॉम सेक्टर के शेयर 23 फीसदी गिर गए।  
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Oct 2019
SC Telecome
Image courtesy: hindi khabar

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को टेलीकॉम कंपनियों से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के विवाद से जुड़े 92000 करोड़ रुपए वसूलने फैसला  किया है। अब सवाल बनता है कि ये एजीआर विवाद है क्या ?

टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले पर करती हैं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि केवल टेलीकॉम कम्पनी के कोर सोर्स की कमाई को एडीआर में शामिल किया जाएगा। यानी नॉन कोर सोर्स से होने वाली कमाई को बाहर रखा जाएगा।

 किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे नॉन कोर स्त्रोतों से प्राप्त रेवेन्यू को छोड़ बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेक्स) एडजस्टमेंट को भी एजीआर में माना गया। हालांकि फंसे हुए कर्ज, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और कबाड़ की बिक्री को एजीआर की गणना से अलग रखा गया। दूरसंचार विभाग किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह टेलीकॉम कंपनियों से बकाया फीस की मांग कर रहा था।

अदालत ने एजीआर के तौर पर इस फैसले को भी बरक़रार रखा है। अदालत के फैसला के तहत कंपनियों को जुर्माना और ब्याज भी चुकाना पड़ेगा। अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों की अपील खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में अब और मुकदमेबाजी नहीं होगी। बकाया भुगतान की गणना के लिए समय अवधि तय की जाएगी।

भारती एयरटेल  को 21,682.13 करोड़ , वोडाफोन को 19,823.71 करोड़, रिलायंस कम्युनिकेशन को 16,456.47 करोड़, बीएसएनएल को 2,098.72 करोड़
एमटीएनएल को 2,537.48 करोड़ रूपये भुगतान करना पड़ेगा। दूरसंचार विभाग ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया लाइसेंस फीस की जानकारी दी थी। कुल 92,641.61 करोड़ रुपए का बकाया बताया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों के शेयर 23% तक लुढ़क गए। वोडाफोन-आइडिया का शेयर इतने नुकसान में रहा।

( भाषा के इनपुट के साथ )

Supreme Court
Telecom
telecom sector
AGR dispute
Airtel
Vodafone
Reliance
BSNL
MTNL

Related Stories

बहुत पेचीदा और ख़तरनाक़ भी है क्रिप्टकरेंसी का खेल !


बाकी खबरें

  • सौरभ शर्मा
    'नथिंग विल बी फॉरगॉटन' : जामिया छात्रों के संघर्ष की बात करती किताब
    09 May 2022
    वह जिनमें निराशा भर गई है, उनके लिए इस नई किताब ने उम्मीद जगाने का काम किया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी विवाद में नया मोड़, वादी राखी सिंह वापस लेने जा रही हैं केस, जानिए क्यों?  
    09 May 2022
    राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी हैं। वह अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है। इसको लेकर उन्होंने अर्जी डाल दी है, जिसे लेकर हड़कंप है। इसके अलावा कमिश्नर बदलने की याचिका पर सिविल जज (…
  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक ब्यूरो
    क्या हिंदी को लेकर हठ देश की विविधता के विपरीत है ?
    08 May 2022
    पिछले महीने देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया कि अलग प्रदेशों के लोगों को भी एक दूसरे से हिंदी में बात करनी चाहिए। इसके बाद देश में हिंदी को लेकर विवाद फिर एक बार सामने आ गया है। कई विपक्ष के…
  • farmers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग
    08 May 2022
    किसान संगठनों ने 9 मई को प्रदेशभर में सिवनी हत्याकांड और इसके साथ ही एमएसपी को लेकर अभियान शुरू करने का आह्वान किया।
  • kavita
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : माँओं के नाम कविताएं
    08 May 2022
    मदर्स डे के मौक़े पर हम पेश कर रहे हैं माँओं के नाम और माँओं की जानिब से लिखी कविताएं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License