NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
हरित पटाखे पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं!
लोगों में हरित पटाखों को लेकर कई भ्रम हैं। लोग समझ रहे हैं कि ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हैं। लेकिन वास्तव में ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में केवल 30 प्रतिशत प्रदूषण कम करता है, लेकिन ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं है।
सोनिया यादव
10 Oct 2019
green crackers
Image courtesy:Hindustan Times

देश के अलग-अलग हिस्सों में 8 अक्तूबर यानी मंगलवार को दशहरा के मौके पर रावण दहन किया गया। खास बात ये रही कि इस बार पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कई जगहों हरित पटाखे भी जलाए गए। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 5 अक्तूबर को प्रदुषण को ध्यान में रखते हुए हरित पटाखों को देश के सामने रखा और लोगों को दिवाली पर हरित पटाखे जलाने का विकल्प दिया।

लेकिन पर्यावरणविद् और विशेषज्ञों की राय में ये खतरे की घंटी है क्योंकि हरित पटाखें पूर्ण रूप से हरित नहीं हैं। ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में केवल 30 प्रतिशत ही कम प्रदुषण फैलाने वाले विषैले प्रदुषक तत्वों का उत्सर्जन करते हैं। जो कि पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।

बता दें कि 'हरित पटाखे' राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं। नीरी एक सरकारी संस्थान है जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (सीएसआईआर) के अंदर आता है।

हरित पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से प्रदूषण कम होता है। इनमें विभिन्न रासायनिक तत्वों की मौजूदगी और हानिकारक गैसों वाले धुएं का कम उत्सर्जन करने वाले तत्वों का इस्तेमाल किया गया हैं। इनके इस्तेमाल से हवा दूषित करने वाले महीन कणों (पीएम) की मात्रा में 25 से 30 प्रतिशत और पोटेशियम तत्वों के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत तक गिरावट बताई जा रही है लेकिन पर्यावर्णविद् और जानकार लोगों का इन पटाकों के प्रति बढ़ते आकर्षण को प्रदूषण के लिहाज से खतरनाक मानते हैं।
green cracker.PNG
नीरी में कार्यरत विकास सिंह बताते हैं, 'ऐसा नहीं है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल नहीं होगा। लेकिन हां, इनसे जो हानिकारक गैसें निकलेंगी, वो 40 से 50 फ़ीसदी तक कम निकलेंगी। पारंपरिक पटाखों को जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फ़र गैस निकलती है, लेकिन इन पटाखों में ये मात्रा कम है।

पर्यावरणविद् विक्रांत ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘सरकार की पहल का स्वागत होना चाहिए, लेकिन सरकार को लोगों के बीच हरित पटाखों के उत्सर्जन की जानकारी भी देनी चाहिए। लोगों में हरित पटाखों को लेकर कई भ्रम हैं। लोग समझ रहे हैं कि ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हैं। लेकिन वास्तव में ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में केवल 30 प्रतिशत प्रदूषण कम करता है, लेकिन ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं है।'

उन्होंने आगे कहा कि इस समय लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर लोग इसे हरित समझ कर अधिक पटाखें जलाते हैं तो इस बार निश्चित तौर पर दिवाली के बाद आने वाली सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।

कई विशेषज्ञ इस बात पर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि हरे पटाखों की ओर लोगों के आकर्षण के बढ़ने से इस साल प्रदूषण में भी इज़ाफा हो सकता है क्योंकि गत वर्ष दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के चलते केवल दो घंटे रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की अनुमति दी थी। लोगों के पास हरित पटाखे नहीं थे, इसलिए प्रदूषण भी अपेक्षाकृत कम था लेकिन इस साल लोग इन पटाखों को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर अधिक वायु प्रदुषण कर सकते हैं।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट में वायु प्रदूषण इकाई में कार्यरत आकाश सिंह कहते हैं, ‘सरकार को सभी परिवारों के पटाखे खरीदने पर एक सीमा निर्धारित करनी होगी। जिससे लोग एक तय सीमा से अधिक इन पटाखों का इस्तेमाल ना कर सकें। लोगों को सामुदायिक तौर पर पटाखे जलाने चाहिए। लोगों को भी ये बात समझनी होगी कि हरित पटाखे बेहतर जरुर हैं लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। साथ ही इनसे निकलने वाले प्रदूषित तत्व आपके पर्यावरण को कम प्रभावित करेंगे लेकिन प्रभावित तो करेंगे। जैसे कि इसमें शामिल पार्टिकुलेट मैटर 2.5 स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रभावित करेगा।'

आकाश आगे बताते हैं कि हालांकि कि इन पटाखों की किमत पारंपरिक पटाखों की तुलना में आपके जेब का ज्यादा बोझ नहीं बढ़ाएगी। ये पटाखे आपको महंगे नहीं मिलेंगे। इसलिए जिन लोगों को बच्चों या खुद के लिए पटाखों को खरीदना ही है तो वह इस हरित विकल्प की ओर जाएं, लेकिन समझदारी से सीमित उपयोग में लाएं, जिससे इसका लक्ष्य पूरा हो सके।

हालांकि, कई जानकारों ने भी इन पटाखों के पर्यावरण अनुकूल होने पर संदेह जताया। शिवकाशी स्थित तमिलनाडु पटाखों और एमोरर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TANFAMA) ने कहा, हम हरित पटाखों में विषैले प्रदूषकों के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की कटौती पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसके बाजार में आने में अभी कुछ और समय लगेगा।
cracker.jpg
दिवाली करीब है ऐसे में लोग और दुकानदार अभी से इस त्यौहार को लेकर उत्साहित हैं। न्यूज़क्लकि ने कुछ पटाखा विक्रेताओं से बातचीच की।पुरानी दिल्ली में पटाखा विक्रेता कुलदीप सिंह बताते हैं, 'लोग पटाखें अभी से ले जा रहे हैं। हमने हरे पटाखे भी रखे हैं जिसकी मांग लोग ज्यादा कर रहे हैं। हालांकि पटाखों पर रोक से हमारे व्यापार पर असर जरूर पड़ा है, लेकिन इस साल हरे पटाके आने से हमें राहत है।'

करोल बाग के आतिश कहते हैं कि लोगों की मांग में कमी तो है लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल लोग फिर भी खरीदारी कर रहे हैं। दशहरे पर अच्छी बिक्री हुई है, ज्यादातर लोग हरे पटाखे मांग रहे हैं, लेकिन कई लोग अभी भी पुराने पटाखे ले जा रहे हैं।

गौरतलब है कि लोगों को दिवाली बिना पटाखों के रास नहीं आती, लेकिन बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते इसके उपयोग को सीमित रखना बेहद आवश्यक है। हरित पटाखों के इस्तेमाल को लेकर विशेषज्ञों का यही सुझाव है कि लोगों को इसे जलाते समय उन विषैले प्रदूषकों को ध्यान में चाहिए जो वे उत्सर्जित करते हैं। साथ ही पटाखों के इस्तेमाल से जितना बचा जा सके, इतना बचें।

Green crackers
Diwali
CSIR
Dr. Harshvardhan
Central Government
Supreme Court
NEERI
Environmental Pollution

Related Stories

मैंने क्यों साबरमती आश्रम को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है?

नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

वाराणसी: कारमाइकल लाइब्रेरी ढहाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, योगी सरकार से मांगा जवाब

अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए CJP ने SC में दाखिल की याचिका, आप भी करें समर्थन

मंदिर कहाँ बनाएंगे, अब जज साहब बताएँगे


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License