NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
ग्राउंड रिपोर्ट : किडनी और कैंसर जैसे रोगों का जरिया बनता बिहार का पानी
इस रिसर्च के मुताबिक बिहार के 6 जिलों(पटना, नालंदा, नवादा, सारण, सिवान एवं गोपालगंज) के पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से दोगुने से ज्यादा मिली है। पहले भी इस जिले के पानी में आर्सेनिक की मात्रा हद से ज्यादा थी‌। यूरेनियम किडनी और कैंसर जैसे रोग तो देता ही है, साथ में इसका प्रभाव डीएनए पर भी पड़ता है।
राहुल कुमार गौरव
03 Dec 2021
bihar
बिहार के सुपौल जिला का सदर अस्पताल, जहां किडनी पेशेंट की संख्या क्रमशः बढ़ती जा रही है। दिसंबर महीने में डायलिसिस पेशेंट की संख्या 05 थीं वहीं 2021 के जून महीने में 19 और सितंबर महीने में 26 और अभी वर्तमान में 33 हैं।

बिहार के सुपौल जिला के कुनौली पंचायत में शुद्ध पानी के लिए फिल्टर मशीन तीन जगह लगाया गया है। लगभग कुनौली पंचायत में 400 परिवार रहते हैं। जिसमें लगभग 300 परिवार पानी खरीद कर पीते हैं।

इसी गांव के कपड़ा व्यवसाई अनुराग गुप्ता बताते हैं कि, " लगभग दो साल पहले कुनौली, बथनाहा और बिलांडी पंचायत में सिर्फ एक जगह पानी फिल्टर मशीन का व्यवसाय होता था। तीनों को मिलाकर भी 500 बोतल बिक्री नहीं होता था रोज, लेकिन आज तीनों को मिलाकर 7 से 8 पानी फिल्टर मशीन लग चुका है।"

अनुराग अपने बात के दौरान यह भी बताते हैं कि इस गांव लोग पहले कुआं और चापाकल से ही पानी पीते थे। फिर जब मैंने पूछा लोग चापाकल से फिल्टर मशीन की तरफ क्यों आ रहे हैं?

तब इस सवाल का जबाव अनुराग के 53 वर्षीय चाचा बद्री चौधरी बताते हैं कि, "पानी के वजह से बहुत सारी समस्याएं आ रही थी। हमारे गांव के तरफ पानी में आयरन ज्यादा है। लोगों के किडनी और लीवर पर फर्क पड़ता था। इसलिए अब गांव के ज्यादातर लोग फिल्टर पानी का ही उपयोग करते हैं। बांकी जो लोग गरीब हैं, वह आज भी चापाकल पर निर्भर है।"

अमूमन बिहार के सुपौल जिला के लगभग सभी गांव का यही हाल है। लोगों का डर बिल्कुल सही है। डर! गंदे पानी से बीमार होने का, इस डर को सच साबित कर दिया है महावीर कैंसर संस्थान एवं यूनिवर्सिटी आफ मैनचेस्टर के संयुक्त तत्वावधान रिसर्च, जो पिछले एक साल से चल रहा था।

इस रिसर्च के मुताबिक बिहार के 6 जिलों(पटना, नालंदा, नवादा, सारण, सिवान एवं गोपालगंज) के पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से दोगुने से ज्यादा मिली है। पहले भी इस जिले के पानी में आर्सेनिक की मात्रा हद से ज्यादा थी‌। यूरेनियम किडनी और कैंसर जैसे रोग तो देता ही है, साथ में इसका प्रभाव डीएनए पर भी पड़ता है।

*लोगों को हो सकती है कैंसर और किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याएं*

WHO के मुताबिक पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम या उससे कम होनी चाहिए। लेकिन रिसर्च के दौरान प्रदेश के कई जिलों में 85 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर मिली है।

महावीर कैंसर संस्थान में रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार घोष भी इस रिसर्च में शामिल थे। वो न्यूजक्लिक को बताते हैं कि, "बिहार के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मिलती थी। जिसे सभी संस्थानों के रिसर्च ने स्वीकार किया है। लेकिन पहली बार प्रदेश के कई इलाकों में पानी में यूरेनियम भी मिला है। और ग्रामीण भारत का जिक्र करें तो वो जहरीले पानी पीने को मजबूर हैं।"

"बिहार में सबसे ज्यादा 80 माइक्रोग्राम यूरेनियम प्रति लीटर पानी सुपौल ज़िले में मिला है। जो साधारणतः स्वीकृत 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की मात्रा से करीब तीन गुना है। वहीं सिवान जिला में 50 माइक्रोग्राम यूरेनियम की मात्रा मिलीं हैं। पूरे राज्य के आंकड़े की बात कर रहे तो 10 जिलों का भूगर्भ पानी यूरेनियम की चपेट में है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस जगह पर पहले से आर्सेनिक मौजूद है। यूरेनियम किडनी और कैंसर जैसे रोग तो देता ही है। और इसका प्रभाव डीएनए पर भी पड़ता है।" आगे डा. अशोक कुमार घोष बताते हैं।

सदर अस्पताल सुपौल की रिपोर्ट हैरान करती है

यूरेनियम किडनी और कैंसर जैसे रोग तो देता ही है। और इसका प्रभाव डीएनए पर भी पड़ता है। घोष जी के इस बयान के बाद हम सुपौल शहर के सदर अस्पताल जाते हैं।

पूरे सुपौल शहर में सिर्फ सदर अस्पताल में डायलिसिस होता है। ऐसा नहीं है कि डायलिसिस की जरूरत नही है। आबादी के अनुपात में अस्पतालों की कमी भी है,लेकिन अस्पतालों में मरीजों के नहीं जाने से अधिकतर बिस्तर खाली ही रहते हैं। लगभग जिसके पास भी थोड़ा पैसा होता है वह पटना या बाहर चले जाते हैं। अमूमन बिहार के सभी छोटे शहर की यही स्थिति है।

सुपौल के सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर पर राजकुमार काम करते हैं। उन्होंने डायलिसिस पेशेंट आंकड़े  को न्यूज़क्लिक से सांझा किया। जिसके मुताबिक 2020 के दिसंबर महीने में डायलिसिस पेशेंट की संख्या 05 थीं वहीं 2021 के जून महीने में 19 और सितंबर महीने में 26 और अभी वर्तमान में 33 हैं।

आंकड़े को देखकर पता चलता है कि किडनी पेशेंट की संख्या क्रमशः बढ़ती जा रही है। लेकिन यहां एक बात गौर कर लीजिए। सदर अस्पताल में सिर्फ गरीब, बेहद गरीब लोग ही आते हैं। जिसके पास थोड़ा सा भी पैसा है वह बाहर चले जाते हैं डाक्टर से दिखाने के लिए। पूरे सुपौल जिला के पेशेंट का कोई सरकारी या निजी आंकड़ा अभी तक नही है। वहीं कैंसर जैसे बिमारी का पूरे सुपौल जिले में किसी अस्पताल में इलाज या साधारण ट्रीटमेंट भी नहीं होता है। इसलिए इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

मानव व पर्यावरण दोनों के लिए घातक

पटना मेडिकल कालेज एण्ड हास्पिटल (पीएमसीएच) के कैंसर विभाग के अध्यक्ष डा. पीएन पंडित न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि, "पानी में मानक से अधिक मात्रा में यूरेनियम मिलने से न केवल मानव जाति, बल्कि पर्यावरण पर भी इसके घातक परिणाम देखे जा सकते हैं।"

वहीं यूरेनियम के मिलने की वजह पर महावीर कैंसर संस्थान के डॉ अरुण बताते हैं कि, "यूरेनियम की मौजूदगी का संभावित स्रोत अभी भी शोध का विषय है। लोग अनुमान लगा रहे है कि नदियों के पानी के साथ यूरेनियम भी बह कर आया है तो आखिरकार राजधानी पटना और सिवान जैसे जिलों में यूरेनियम कहां से आ रहा है।"

बिहार के नल-जल योजना की क्या स्थिति हैं?

भारत सरकार के जल जीवन मिशन - हर घर जल कार्यक्रम के अनुसार 21 नवंबर, 2021 तक के आंकड़े के मुताबिक बिहार में 88.63 प्रतिशत घरों में नल के पानी की आपूर्ति है। यानी बिहार के 17,220,634 घरों में से 15,262,678 घरों में नल कनेक्शन हैं।

बिहार के सुपौल जिला के कटैया पंचायत में स्थित जल नल योजना के तहत लगाया हुआ मशीन, जो हमेशा खुला हुआ रहता है।

अब जल नल योजना से लोग शुद्ध पानी कितना पी रहे हैं। यह जानने के लिए बिहार के सुपौल जिला के कटैया पंचायत के महादलित टोला हम जाते हैं। महादलित टोला के अशरफी मुसहर बताते हैं कि, " शुरुआत-शुरुआत में सब घर के लोग पानी का इंतजार करते थे। लेकिन धीरे-धीरे पानी पीला आने लगा। कहीं जगह टोटी टूट गया है। कुल मिलाकर जल नल योजना के पानी का इस्तेमाल अब सिर्फ कपड़े धोने में होता है।"

अमूमन आप पूरे बिहार घूम लीजिए। जल नल योजना से शुद्ध पानी का सरकारी वायदा आपको यूरेनियम और आर्सेनिक से नहीं बचा पाएगा। वहीं कुछ मीडिया संस्थान से आई रिपोर्ट के मुताबिक इस निजी संस्थान के शोध के बाद सरकार भी अपने स्तर पर जांच करेगी।

(राहुल कुमार गौरव स्वतंत्रत लेखन का काम करते हैं)

Bihar
PATNA
Nalanda
Nawada
Saran
Siwan
Gopalganj
water crises
Water Shortage
Poisonous water
Uranium in water

Related Stories

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी

बिहारः पिछले साल क़हर मचा चुके रोटावायरस के वैक्सीनेशन की रफ़्तार काफ़ी धीमी

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

शर्मनाक : दिव्यांग मरीज़ को एंबुलेंस न मिलने पर ठेले पर पहुंचाया गया अस्पताल, फिर उसी ठेले पर शव घर लाए परिजन

नक्शे का पेचः भागलपुर कैंसर अस्पताल का सपना अब भी अधूरा, दूर जाने को मजबूर 13 ज़िलों के लोग

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत

बिहार में नवजात शिशुओं के लिए ख़तरनाक हुआ मां का दूध, शोध में पाया गया आर्सेनिक


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License