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आंदोलन
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भारत
राजनीति
गुड़गांव पंचायत : औद्योगिक मज़दूर, किसान आए एक साथ, कहा दुश्मन सांझा तो संघर्ष भी होगा सांझा!
रविवार को गुड़गांव में बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट इंडिया इंप्लॉयीज यूनियन, मानेसर द्वारा मजदूर-किसान पंचायत का आयोजन किया गया। इसमें  कृषि बिलों को वापस लेने और श्रम संहिताओं को समाप्त करने की संयुक्त मांग उठाई गई।  
मुकुंद झा
15 Nov 2021
Gurgaon Panchayat

देश में उतप्दान करने वाले दो वर्ग–किसान और श्रमिक–अपनी ऐतिहासिक एकता को कायम करने और एक दूसरे  के संघर्षो में उत्साह भरने को लेकर दिल्ली एनसीआर शहरी क्षेत्र में किसान-मज़दूर पंचायत का आयोजन किया गया।  इसमें मज़दूर-किसान की एकता और अपने सांझे दुश्मन के खिलाफ आंदोलन को तेज़ करने पर चर्चा हुई।  

कल 14 नवंबर को लघु सचिवालय गुड़गांव में बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट इंडिया इंप्लॉयीज यूनियन, मानेसर द्वारा मजदूर-किसान पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में बेलसोनिका के स्थाई और संविदा कर्मचारी सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर संगठनों एवं यूनियन प्रतिनिधियों के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं जोगेंद्र उग्राहन, डॉ दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह एवं जागीर सिंह ने भी अपनी टीम के साथ भागीदारी की।

यह दोनों वर्ग किसानों के दिल्ली मार्च की पहली वर्षगांठ से पहले  एक साथ आए।  इस महीने 26 नवंबर को श्रमिकों की देशव्यापी विरोध का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), जो राजधानी की सीमा पर आंदोलन का नेतृत्व कर कर रहा है और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) ने इस दिन को  विरोध दिवस के रूप चिन्हित किया है।  

पिछले साल संसद में सुधार के नाम पर  कृषि विधेयकों और श्रम संहिताओं के पारित होने  के बाद से ही  दोनों समूह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ खड़े हैं।

पंचायत में केंद्र की सरकार और  कॉर्पोरेट समूहों के खिलाफ नारेबाजी हुई।  इस जनसभा को एक प्रतिरोधों का रूप दिया गया और नेताओं ने कहा हमारा दुश्मन एक है और हमारा संघर्ष भी अब एक ही होगा।  इसे उन्होंने किसान-मज़दूर की एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उनके अनुसार, एक शहरी इलाक़े में यह इस तरह की पहली  संयुक्त बैठक है, जिसमें कृषि बिलों को वापस लेने और श्रम संहिताओं को खत्म करने  की संयुक्त मांग उठाई  गई। ये  पिछले साल शुरू हुए आंदोलन को व्यापक बनाने का संकेत देती है, जो कि विवादास्पद नीतिगत फैसलों के खिलाफ है।

पंजाब स्थित क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने सभा  को संबोधित करते हुए कहा, "मजदूरों और किसानों के इस तरह के सम्मेलन केंद्र सरकार और उसके फैसले के खिलाफ एक संयुक्त संघर्ष बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।"
         
दर्शन पाल ने आगे कहा कि किसान आंदोलन अब सिर्फ किसानों का ही नहीं, बल्कि पूरे देश की जनता का आंदोलन बन चुका है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि रविवार की बैठक को औद्योगिक श्रमिकों और किसानों के एक साथ आने के रूप में घोषित किया गया था। बीकेयू (एकता उग्राहन) के जोगिंदर उग्राहन ने पंचायत में कहा कि मजदूर और किसान बुनियादी उत्पादक वर्ग हैं। पूंजीपति वर्ग दोनों का ही साझा दुश्मन है। अत: मजदूरों-किसानों को कंधे से कंधा मिलाकर अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा और व्यवस्था परिवर्तन की ओर बढ़ना होगा।

उन्होंने मजदूरों को आह्वान किया कि 26 नवंबर को किसानों के दिल्ली की सीमाओं पर आये एक साल पूरा होने के अवसर पर मजदूर दिल्ली की सरहदों पर किसानों के साथ मंच साझा करें।

यह कहते हुए कि यह "एकता जारी रहनी चाहिए, उग्राहन ने आग्रह किया कि कृषि सुधारों से न केवल किसानों के लिए बल्कि श्रमिकों के लिए भी अधिक संकट पैदा होगा।

गुरुग्राम स्थित मजदूर संघ इंकलाबी मजदूर केंद्र के श्यामबीर ने न्यूज़क्लिक को बताया कि यह वही सरकार है जिसने श्रम संहिता और कृषि विधेयक पारित किए हैं और इस तरह,  पूरे देश में औद्योगिक श्रमिकों और किसानों के बीच संयुक्त सम्मेलनों को आयोजित किया जाना चाहिए।

श्यामबीर ने कहा कि ये पूंजीवादी व्यवस्था मजदूरों और किसानों दोनों का निर्मम शोषण कर रही है। मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी लेबर कोड्स हों या काले कृषि कानून दोनों ही कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के हितों में लाये गये हैं। इन लेबर कोड्स में मजदूरों के लिए कानूनी हड़ताल के रास्ते बंद कर और गैरकानूनी घोषित हड़ताल में शामिल मजदूरों और उनके समर्थकों पर भारी जुर्माने और जेल की सज़ा तक का प्रावधान कर मजदूर आंदोलन के अपराधीकरण की साजिश रची गई है।

उन्होंने  कहा, "यह वही कॉर्पोरेट समूह हैं, जो किसानों से सस्ते में अनाज खरीदेंगे, वही हैं जो श्रमिकों को मासिक भुगतान के नाम पर भुखमरी वेतन दे रहे हैं।" भुखमरी वेतन से उनका संदर्भ था कि आज कॉर्पोरेट मज़दूरों को जो वेतन दे रहा है, उसमें वे मुश्किल से अपने परिवार के लिए भोजन का इंतजाम कर पाता है।  

श्यामबीर ने  श्रम संहिताओं की आलोचना करते हुए आग्रह किया कि किसान समूह को अपने चार्टर में भी श्रमिकों की मांग को उठाना चाहिए। बाद की प्रमुख मांगों में शुक्ला के अनुसार, नियमित काम के लिए नियमित नौकरियों का कार्यान्वयन और सामूहिक छंटनी को रोकना भी शामिल है।

इस बीच, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ट्रेड यूनियन (एआईसीसीटीयू) के अभिषेक, जो जनसभा में भी मौजूद थे, ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसकेएम और सीटीयू के बीच एक-दूसरे की मांगों के प्रति एकजुटता पहले ही बानी हुई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने पर किसान मज़दूर एक साथ देशव्यापी प्रदर्शन करेगा।  

इसके अलावा, रविवार की जनसभा का एक और पहलू भी था जो परिणामी साबित हुआ, भले ही यह सीधे तौर पर विरोध करने वाले समूह की मांगों से संबंधित नहीं था।

हरियाणा के इस शहर में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज को लेकर विवाद चल रहा है क्योंकि हाल के महीनों में शहर भर में विभिन्न स्थानों पर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया है। यूनियन नेताओं ने न्यूज़क्लिक को बताया कि एक ही शहर में किसानों और श्रमिकों की एक संयुक्त बैठक हुई, इससे समाज में  तनाव भी कम होगा।

बेलसोनिका कर्मचारी संघ के केंद्रीय सचिव मोहिंदर कपूर ने कहा: “सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ को लेकर चल रहे विवाद से [बेल्सोनिका कंपनी] कारखाने में मुस्लिम श्रमिकों के बीच तनाव पैदा हो रहा था। वे अपने काम को जारी रखने के लिए असुरक्षित महसूस कर रहे थे और हाल के दिनों में इस तरह की चिंताओं के साथ यूनियन  से संपर्क कर रहे हैं।”

हालांकि, इसमें से बहुत कुछ अब निपटाया जाएगा, कपूर का मानना है कि रविवार की जनसभा का उस पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर। उन्होंने कहा, "किसान और मजदूर न केवल अपनी मांगों के लिए, बल्कि दक्षिणपंथी ताकतों की विभाजनकारी राजनीति का जवाब देने के लिए भी हाथ मिलाएंगे।"

भारतीय किसान यूनियन ( अराजनीतिक) के नेता और संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधि युद्धवीर सिंह ने पंचायत को संबोधित करते हुये कहा कि मोदी सरकार निर्लज्जता के साथ देश की संपत्ति को पूंजीपतियों पर लुटा रही है। उन्होंने आगे कहा, "हालत यह है कि रक्षा क्षेत्र तक के कारखानों के भी निजीकरण की इस सरकार ने तैयारी कर ली है। आज सवाल सिर्फ तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कराने का नहीं, बल्कि पूरे देश को बचाने का बन चुका है।"

पंचायत के अंत में बेलसोनिका यूनियन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने आह्वान किया कि औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर और यूनियन आंदोलनरत किसानों के कंधे से कंधा मिलाये और मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स के विरुद्ध कमर कसकर संघर्ष के मैंदान में आ जायें।

Bellsonica Employees Union
Gurugram
Mazdoor-Kisan Panchayat
Samyukt Kisan Morcha
Central Trade Unions
Farm Laws
Labour Codes
Narendra modi

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