NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ज्ञानवापी मामला : अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से एक अधिवक्ता ने अदालत के अधिकारी अजय कुमार मिश्रा को बदलने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वह निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 May 2022
Gyanvapi Masjid

वाराणसी: वाराणसी की एक जिला अदालत ने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी-सर्वेक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। इसके साथ ही अदालत ने 17 मई तक सर्वे का काम पूरा कर रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।

सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
     
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से एक अधिवक्ता ने अदालत के अधिकारी अजय कुमार मिश्रा को बदलने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वह निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रहे हैं।

दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और अन्य की दैनिक पूजा और श्रृंगार गौरी में अनुष्ठान करने की अनुमति की मांग करने वाली याचिका पर धार्मिक स्थल की वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण करने के लिए उसी अदालत के पहले के आदेश पर यह प्रक्रिया शुरू की है। दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी स्थित हैं। उन्होंने 18 अप्रैल, 2021 को अपनी याचिका के साथ अदालत का रुख किया था और विरोधियों को मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोकने की मांग की थी।
क्‍या है ज्ञानवापी विवाद?

काशी विश्‍वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने और दोबारा बनने को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाएं और कहानियां चली आ रही हैं। हालांकि इन धारणाओं की कोई प्रमाणिक पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। बड़ी संख्‍या में लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि काशी विश्‍वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। इसकी जगह पर उसने यहां एक मस्जिद बनवाई थी।

कुछ इतिहाकारों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 14वीं सदी में हुआ था और इसे जौनपुर के शर्की सुल्‍तानों ने बनवाया था, लेकिन इस पर भी विवाद है। कई इतिहासकार इसका खंडन करते हैं। उनके मुताबिक शर्की सुल्‍तानों द्वारा कराए गए निर्माण के कोई साक्ष्‍य नहीं मिलते हैं। न ही उनके समय में मंदिर के तोड़े जाने के साक्ष्‍य मिलते हैं। दूसरी तरफ काशी विश्‍वनाथ मंदिर के निर्माण का श्रेय राजा टोडरमल को दिया जाता है।

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि मंदिर का निर्माण राजा टोडरमल ने साल 1585 में दक्षिण भारत के विद्वान नारायण भट्ट की मदद से कराया था। ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के बारे में कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अकबर के जमाने में नए मजहब 'दीन-ए-इलाही' के तहत मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण कराया गया था। हालांकि ज्‍यादातर लोग यही मानते हैं कि औरंगजेब ने मंदिर के तुड़वा दिया था, लेकिन मस्जिद अकबर के जमाने में 'दीन ए इलाही' के तहत बनाई गई या औरंगजेब के जमाने में इसको लेकर जानकारों में मतभेद हैं। अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद के पदाधिकारी किसी प्राचीन कुएं और उसमें शिवलिंग होने की धारणा को भी नकारते हैं। उनका कहना है कि वहां ऐसा कुछ भी नहीं है।

क्यों भड़काया जा रहा उन्माद?

नब्बे के दशक में रामजन्‍म भूमि आंदोलन के दौरान काशी-मथुरा को लेकर नारे लगते रहे हैं। हिंदूवादी संगठनों का दावा है कि स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर मस्जिद का निर्माण हुआ है। उनकी मांग मस्जिद हटाकर वो हिस्‍सा मंदिर को सौंपे जाने की है। द्वादश ज्‍योतिर्लिंगों में प्रमुख श्री काशी विश्‍वनाथ मंदिर और उसी के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस साल 1991 से वाराणसी की स्‍थानीय अदालत में चल रहा है। साल 1991 में स्वयंभू विश्वेश्वर की ओर से डॉ. रामरंग शर्मा, हरिहर पांडेय और सोमनाथ व्यास ने एफटीसी कोर्ट में याचिका दायर कर नया निर्माण व पूजा करने के अधिकार की मांग की और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को प्रतिवादी बनाया गया। अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद साल 1997 में वादी और प्रतिवादी दोनों के पक्ष में आंशिक फैसले दिए थे, जिससे असंतुष्ट प्रतिवादी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। 13 अगस्त 1998 को हाइकोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी।

इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि स्थगन आदेश छह माह बाद स्वत: खारिज हो जाएंगे। इस पर साल 2018 में मुकदमे में अधिवक्ता रहे विनय शंकर रस्तोगी ने अदालत में अर्जी देकर वादमित्र नियुक्त करने की मांग की थी। तब तक दो वादकारियों का निधन हो चुका था। तीसरे वादी अदालत जाने में सक्षम नहीं थे। लिहाजा, विनय शंकर रस्तोगी ने 2019 में मूल वाद में अलग से अर्जी देकर पुरातत्व विभाग की ओर से सर्वेक्षण करने की अनुमति मांगी। इसके बाद सर्वेक्षण प्रकरण पर सुनवाई शुरू हो गई। एएसआई को विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया और फिर हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे पर रोक लगा दी।

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में अपील की थी कि काशी विश्वनाथ मंदिर व विवादित ढांचास्थल का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया जाए। दावा किया कि ढांचा के नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के जुड़े पुरातात्विक अवशेष हैं।

कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के 9130, 9131, 9132 रकबा नंबर एक बीघा नौ बिस्वा लगभग जमीन है। उक्त जमीन पर मंदिर का अवशेष है। 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथमतल में ढांचा और भूतल में तहखाना है। इसमें 100 फुट गहरा शिवलिंग है। मंदिर का 1780 में अहिल्यावाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था। यह भी कहा कि 100 वर्ष तक 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं रहा।

(भाषा इनपुट के साथ)

Gyanvapi Masjid
Gyanvapi mosque
Gyanvapi controversy
Kashi Vishwanath Temple
Gyanvapi mosque complex
kashi vishwnath corridor

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया

ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार

ज्ञानवापी विवाद पर मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से खास बातचीत

ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली

ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

ज्ञानवापी मामला : मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत


बाकी खबरें

  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • starbucks
    सोनाली कोल्हटकर
    युवा श्रमिक स्टारबक्स को कैसे लामबंद कर रहे हैं
    03 May 2022
    स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड अमेरिकी की प्रतिष्ठित कॉफी श्रृंखला हैं, जिसकी एक के बाद दूसरी शाखा में यूनियन बन रही है। कैलिफ़ोर्निया स्थित एक युवा कार्यकर्ता-संगठनकर्ता बताते हैं कि यह विजय अभियान सबसे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License