NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
स्वास्थ्य सेवाएं अब स्वास्थ्य उद्योग में बदल गई हैं : डॉ. बी. इकबाल
देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की चरमराती स्थिति के संदर्भ में भोपाल में आयोजित छठी डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बी. इकबाल और ट्रेड यूनियन नेता अमितावा गुहा ने अपने विचार रखे।
राजु कुमार
07 Mar 2020
डॉ. बी. इकबाल

सभी के लिए स्वास्थ्य और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धता के बावजूद स्वास्थ्य का क्षेत्र अब सेवा के बजाय पूरी तरह से उद्योग में बदल चुका है। भारत में बिना मानक वाली दवाएं, आम लोगों की पहुंच से बाहर होती दवाएं, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था, निजीकरण को बढ़ावा, बाजार का दायरा बढ़ते जाना जैसे मुद्दे चुनौतियों के रूप में सामने हैं। ऐसी स्थिति में प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत बदलाव के लिए दबाव बनाने, समुदाय को जागरूक करने और जन स्वास्थ्य अभियान की प्रक्रियाओं को तेज करने की जरूरत है। ये बातें भोपाल में आयोजित डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में वक्ताओं ने कही।

छठी डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश ऑफिसर्स एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से किया। केरल राज्य योजना बोर्ड के सदस्य व सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बी. इकबाल ने “प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने की चुनौतियां और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करना’’ और सीटू के राष्ट्रीय सचिव व फेडरेशन ऑफ़ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अगुवा अमितावा गुहा ने “दवाएं कैसे स्वास्थ्य सेवाओं के खर्च को प्रभावित करती हैं और लोगों तक किफायती दवाओं की पहुंच के रास्ते” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अमितावा गुहा को जन स्वास्थ्य सम्मान से सम्मानित किया गया।

डॉ. बी. इकबाल ने बताया कि किस तरह स्वास्थ्य सेवाएं स्वास्थ्य उद्योग बन गया है। उन्होंने कहा कि बीमा आधारित स्वास्थ्य के मॉडल (आयुष्मान भारत योजना ) जैसी योजना से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है। इसके लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल करना होगा और स्वास्थ्य को अधिकार के रूप में स्थापित करना होगा। स्वास्थ्य के मुद्दे को बहुत ही व्यापक तरीके से देखने की जरूरत है और इसे कई अवसरों पर प्रस्तुत भी किया गया है। निजीकरण को बढ़ावा देने के कारण सभी के लिए स्वास्थ्य को लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय समझौते के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं लोगों के पॉकेट पर भारी पड़ रही है।

विश्व बैंक, आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ, गेट्स के बाद नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में संकट गहराया है। आज जरूरत है कि निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यापक निगरानी तंत्र बनाया जाए। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए बिना भेदभाव के उपलब्ध होना चाहिए। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की जगह पब्लिक प्राइवेट कोऑपरेशन होना चाहिए और यह सार्वजनिक फायदे के उद्देश्य से होना चाहिए।

अपने संबोधन में अमितावा गुहा ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में अराजकता जैसे हालात हैं। दवाओं एवं मेडिकल उपकरण के कीमतों पर नियंत्रण नहीं होने से स्वास्थ्य सुविधा आम लोगों की पहुंच से दूर होती गई है। दवा और स्वास्थ्य उपकरण कारोबारी खुले तौर पर कहते हैं कि वे बिजनेसमैन हैं और दवाओं एवं उपकरणों का निर्माण उनके लिए बिजनेस है। मुनाफा कमाना उनका उद्देश्य है। वे अपने कारोबार में न्यूनतम नैतिकता भी नहीं अपनाते हैं। सबसे बड़ी समस्या बिना मानक वाली दवाओं का करोबार और मरीजों पर गैर जरूरी दवाओं की खपत है। दवाओं का कॉबिनेशन बनाकर कीमतें बढ़ाकर दवा कंपनियां लोगों को लूट रही हैं।

उन्होंने बताया इस मुद्दे पर लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद कुछ जीत हासिल हुई है। मल्टीनेशनल कंपनियां कैसे महंगी दवाओं के नाम पर जनता को लूट रही है यह सबूत आधारित आंकड़ों के साथ देश में उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि संगठनों के संघर्ष से 380 दवाओं को प्रतिबंधित किया गया था, जिसकी जरुरत नही थी, लेकिन आज उस प्रतिबंध को खत्म कर पुनः बाजार में लेने की तैयारी चल रही है। उन्होंने ने कहा कि बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियां पेटेंट कानून का उपयोग कर महंगी दवाएं लोगों को दे रही हैं। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) वी. विजय कुमार ने की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सदी में डॉक्टर, वकील और शिक्षकों में मूल्यों की गिरावट आई है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा दोनों अहम मुद्दे हैं, इसलिए जरूरी है कि लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाए। इस अवसर पर जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने बताया कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए इन सभी मुद्दों पर एक ज्ञापन मध्यप्रदेश सरकार को दिया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन एस.आर. आज़ाद ने किया। मध्यप्रदेश मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. माधव हसानी ने आभार व्यक्त किया।

Dr. B. Iqbal
Health Services
Health Industry
Primary Health Services
privatization
Ayushman Bharat Yojana
health system

Related Stories

इस साल यूपी को ज़्यादा बिजली की ज़रूरत

रेलवे में 3 लाख हैं रिक्तियां और भर्तियों पर लगा है ब्रेक

भारतीय रेल के निजीकरण का तमाशा

निजी ट्रेनें चलने से पहले पार्किंग और किराए में छूट जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं!

बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाः मुंगेर सदर अस्पताल से 50 लाख की दवाईयां सड़ी-गली हालत में मिली

बैंक निजीकरण का खेल

भारतीय संविधान की मूल भावना को खंडित करता निजीकरण का एजेंडा

बैंक यूनियनों का ‘निजीकरण’ के ख़िलाफ़ दो दिन की हड़ताल का ऐलान

दिल्ली: बैंक कर्मचारियों के 'बैंक बचाओ, देश बचाओ' अभियान को ट्रेड यूनियनों, किसान संगठन का मिला समर्थन  

निजीकरण की आंच में झुलस रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए भी सबक़ है यह किसान आंदोलन


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License