NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
कोरोना के इलाज को लेकर कैसी चल रही है दुनिया की लड़ाई?
उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह पता चल जाएगा कि हमारे पास कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन है। लेकिन इसके बाद की प्रक्रिया भी बहुत मुश्किल है। सारे देश की रेगुलेटरी अथॉरिटी इसे चेक करेगी। तब इसका उत्पादन शुरू होगा।
अजय कुमार
30 Mar 2020
coronavirus
Image courtesy:Al Jazeera

बहुत सारे जरूरी सवालों के साथ इस समय सबके मन में एक सवाल यह चल रहा है कि कोविड-19 का इलाज क्या है? कब इस बीमारी से लड़ने वाली दवाई हमारे बीच मौजूद होगी? कब इस मानसिक तनाव से छुटकारा मिलेगा कि कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है?  कोरोना वायरस से जुड़े इस पहलू को समझने की कोशिश करते हैं।  

वायरस से लड़ने का सबसे बढ़िया तरीका है कि वैक्सीन हो। लेकिन अगर वैक्सीन नहीं है तो  prophylaxis से भी काम चलाया जाता है। अब आप पूछेंगे कि ये वैक्सीन और  prophylaxis क्या है?  वैक्सीन वायरस के ही मरे हुए या कमजोर सैंपल होते हैं। जिन्हें हमारे शरीर के अंदर डाला जाता है। ताकि हमारे शरीर में पहले से मौजूद एंटीबाडी को सही तरह की जानकारी मिल जाए।

हमारा शरीर वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाए, वायरस को मारने के लिए तैयार हो जाए।  लेकिन Prophylaxis मतलब रोग होने के पहले ही दवा खाने वाली स्थिति। यानी रोग होने से पहल दवा ख़ा ली, अब हो सकता है कि रोग न हो।  

टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कम्पनियों के मालिक, साइंटिस्ट, इंजीनियर एलन मास्क, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत का इंडियन मेडिकल कॉउन्सिल रिसर्च सेंटर तक कह रहा है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए chloroquine और hydroxychloroquine का इस्तेमाल कर सकते हैं।

हालाँकि ICMR के  के निदेशक बलराम भार्गव ने प्रेस को सम्बोधित कर कहा कि chloroquine और  hydroxychloroquine का केवल वही डॉक्टर, नर्स या स्वास्थ्यकर्मी कर सकते हैं, जो पहले से मौजूद कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं और उनमें अभी तक कोरोना से संक्रमित होने के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं।

साथ ही कोरोना के कन्फ़र्म मरीज़ के घरवालों, जिनमें अभी तक कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं उन्हें भी hydroxychloroquine का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है।

अब आप पूछेंगे कि यह   chloroquine और hydroxychloroquine  क्या है ? तो जवाब है कि यह prophylaxis है।  एक पत्ता 10 रुपये से भी कम में आता है। और ऐसी दवा है जिसे मलेरिया और गठिया जैसे रोगों के लिए कई सालों से खाया जाता रहा है। इसके साइडइफ़ेक्ट खतरनाक होते हैं। नॉर्मल डोज़ लेने के बाद लोगों में चक्कर, उलटी, मितली, धुंधला दिखना या सिरदर्द जैसे साइडइफ़ेक्ट देखे गए हैं. वहीं अगर इसे ज़्यादा मात्रा में लिया जाए तो मौत हो सकती है।

वैज्ञानिक सत्यजीत रथ कहते हैं कि तीन वजह है जिसकी वजह से लोग  chloroquine और hydroxychloroquine  की बात कर रहे हैं। पहला यह कि इसका इस्तेमाल मलेरिया के लिए किया जाता रहा है, ताकि मलेरिया न हो। दूसरा क्लोरोकवीन का इस्तेमाल कई तरह के बायोलॉजिकल प्रोसेस के तौर पर पहले से किया जाता रहा है जैसे कि इन्फ्लमेट्री बीमारियां। मतलब शरीर का इम्यून सिस्टम जब शरीर पर खुद ही हमला करने लगता है और कोशिकाएं मरने लगती है तो शरीर में घट रही ऐसी टूट-फूट को इन्फ्लेमेशन कहा जाता है और बीमारी को इंफ्लेमटरी बीमारी कहा जाता है। हालाँकि अभी भी विज्ञान ठीक ढंग से नहीं जान पाया है कि क्लोरोकवीन इन बिमारियों पर काम कैसे करता है।

तीसरा, आज से बीस साल पहले कोरोनावायरस फैमिली के पहले वायरस कोव-1 का पता चला था। तब से वैज्ञानिक एंटीवायरल के तौर पर दवाओं के इस्तेमाल को भी समझ रहे हैं। जिन्हें एक मोटे कैटेगरी रीपरपज़्ल ड्र्रग में बांटकर समझा जाता है। ऐसे ड्रग या दवा जो शरीर द्वारा कोशिकाओं के मारने की कोशिश को रोकने का काम करते हैं। अभी इनके बारे में विज्ञान को खुद पूरी जानकारी नहीं है।  

जहाँ तक मौजूदा कोरोनावायरस का सवाल है तो इस मामले में अभी तक की स्थिति यह है कि क्लोरोक़्वीन की लड़ने की क्षमता बहुत कम है। जब स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है और मरीज वेंटिलेटर का इस्तेमाल करने लगता है तब इन दवाइयों से अभी तक कोई फायदा नहीं है। इसलिए इसे एंटी वायरल दवा नहीं कहा जा सकता। न ही व्यवहार में इसके इस्तेमाल के बारे में सोचा जा सकता है।  

एड्स, इबोला और जीका वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली दवाईंयां भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। इसकी वजह यह है कि यह सब आरएनए वायरस हैं।  और कोरोना वायरस भी आरएनए वायरस है। इसलिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।  लेकिन यह भी कारगर नहीं है।

फिर भी इंडियन मेडिकल कॉउन्सिल रिसर्च सेंटर का कहना है कि क्लोरोकवीन का इस्तेमाल वो लोग कर सकते है जिनके घर में कोरोना वायरस का मरीज है लेकिन उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हुआ है। कुल मिला जुलाकर संक्षेप में समझा जाए तो यह है कि जो संक्रमण के अभी शुरुआती दिनों में हैं, उनके लिए कोलोरोकवीन जैसी दवा कारगर हो सकती है।

इस पर वैज्ञानिक सत्यजीत रथ कहते हैं कि एक हद तक यह बात ठीक है। लेकिन यह भी समझना चाहिए कि यह महामारी है। हम में से हर एक इंसान इसका संभावित रोगी है। ऐसी स्थिति में कमजोर से गंभीर मामला होने पर कोई देरी नहीं लगती। सरकारी नीति बहुत बड़े स्तर पर ऐसी दवाइयों बनाने में जुटे तो यह गलत दिशा होगी।

जैसाकि यह बात सबको पता है कि वैक्सीन बनाने में 12 से 18 महीने का समय लग सकता है।  इस पर वैज्ञानिक सत्यजीत रथ कहते हैं कि हाल फिलहाल की सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम निश्चित तौर नहीं जानते कि क्या हम कोरोना वायरस के खिलाफ प्रोटेक्टिव इम्यून रेस्पोंस सिस्टम बना सकते हैं या नहीं। यानी क्या ऐसा वैक्सीन बना सकते हैं जिसके एक बार इस्तेमाल से फिर से संक्रमण का खतरा न हो। एक प्रभावी वैक्सीन बनाने की तरफ बढ़ने से पहले अगर यह बात पता होती है तो वायरस बनाने में आसानी होती है।

अभी दस दिन पहले ही चीन में चार बंदरों पर जाँच किया गया था। उस पर इस्तेमाल एंटी वायरस का इस्तेमाल जब इंसान कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिका पर किया गया तो पाया गया कि एंटीवायरस संक्रमण को रोक दे रहा है। यह एक बहुत ही बढ़िया खबर है।

अभी हाल फिलहाल अमेरिका, चीन, जर्मनी और ब्रिटेन के वैक्सीन ट्रायल डिजायन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता दे दी है, जिस पर काम चल रहा है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह पता चल जाएगा कि हमारे पास कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन है। लेकिन इसके बाद की प्रक्रिया भी बहुत मुश्किल है। सारे देश की रेगुलेटरी अथॉरिटी इसे चेक करेगी। तब इसका उत्पादन शुरू होगा। तब यह आगे बाजार की तरफ बढ़ेगी। इसमें भी लम्बा समय लगता है।

Coronavirus
COVID-19
Corona Crisis
Lockdown in World
Corona virus epidemic
WHO

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License