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कितना दुरुस्त है बीएसएनएल रिवाइवल प्लान ?
वीआरएस( स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेने के लिए मानो भगदड़ सी मच गई है। लेकिन वीआरएस फाॅर्मुला गलत है क्योंकि यह अलग-अलग श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग लाभ देता है, मतलब योजना विषमतापूर्ण है। ग्रुप डी को सबसे अधिक घाटा लगता है और ग्रुप सी व मध्यम स्तर के प्रबंधकों को सीमित लाभ मिलता है।
बी सिवरमन, कुमुदिनी पति
09 Dec 2019
BSNL
Image courtesy: Patrika

जब 4 नवम्बर से 3 दिसम्बर 2019 तक बीएसएनएल की वी आर एस योजना घोषित की गई, कर्मचारियों की प्रतिक्रिया अपरिहार्य थी। 92,956 कर्मचारियों ने वीआरएस के विकल्प को चुन लिया (बीएसएनएल के 1,53,786 कर्मचारियों में से 78,569 और एमटीएनएल के 18,817 में से 14,387) अब बीएसएनएल में मात्र 75,217 कर्मचारी और एमटीएएल में केवल 4,430 कर्मचारी बचे।

अब यह देखना है कि वीआरएस योजना कर्मचारियों के लिए कितनी लाभकारी है। इस योजना के अनुसार जो कर्मचारी 50 साल उम्र पूरा कर चुके हैं, उन्हें वी आर एस की सुविधा मिल सकती है, और उन्हें प्रति वर्ष की सर्विस के 35 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से वेतन, और बचे सर्विस वर्षों के  25 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से वेतन दिया जाएगा; इसके अलावा उन्हें सेवा-निवृत्ति के समस्त लाभ सहित पेंशन भी मिलेगी।

न्यूज़क्लिक की ओर से हमारी बात नैशनल फेडरेशन ऑफ टेलिकाॅम एम्प्लाॅईज़ के भूतपूर्व चेन्नई सचिव, श्री इलंगो सुभ्रमणियम से हुई तो उन्होंने बताया कि एक मध्यम स्तर के प्रबंधक, मसलन सब-डिवीज़नल इन्जीनियर, जिसकी उम्र 55 वर्ष है और मूल वेतन 40,000 रु है, और कुल महंगाई भत्ता मूल वेतन का 152 प्रतिशत है, उसे नए वीआरएस योजना के फाॅर्मुला के अनुसार साल में 9,00,000 रु अनुग्रह राशि दी जाएगी।

इसलिए अगर उसके 5 वर्ष सर्विस के बाकी हैं, उसे 45,00,000 एकमुश्त अनुग्रह राशि दो किश्तों में मिलेगी। यदि वह 45 लाख रू फिक्स्ड डिपाॅज़िट में 8 प्रतिशत् चक्रवृद्धि ब्याज पर डाले, तो 5 वर्षों में यह बढ़कर 66 लाख रु हो जाएंगे। पर यदि उक्त कर्मचारी वीआरएस न लेकर 5 साल तक नौकरी में बना रहता तो उसे 62.4 लाख रु की कमाई होती ( 40,000 रु मूल वेतन, मूल वेतन के 152 प्रतिशत के दर से महंगाई भत्ता 60,800रु, इन दोनों को मिलाकर 1.04 लाख प्रतिमाह के हिसाब से 60 महीने तक)। इसके मायने हैं कि वी आर एस लेने से उसे 3.6 लाख रु का लाभ हो रहा है।
 
अब हम प्रबंधक श्रेणी से इतर देखें, एक ग्रुप डी कर्मचारी जो 54.5 वर्ष का है और जिसका मूल वेतन अक्टूबर 2019 में 20,910 रु है, 15,41,210रु अनुग्रह राशि का हकदार है। यदि यह फिक्स्ड डिपाॅज़िट में डाला जाए तो 5.5 साल में यह बढ़कर 33,27,356 रु हो जाएंगे। पर, यदि व्यक्ति नौकरी में 5.5 साल और बना रहता तो उसकी आमदनी 43,80,618 रु ( 20,910 रु मूल वेतन 45,463 रु महंगाई भत्ता, यानि 66 माह तक 66,373रु प्रतिमाह) होती। तो ग्रूप डी काडर को वीआरएस लेने से करीब 10 लाख रु का नुकसान हो रहा है।

अब हम ग्रुप सी कर्मचारी की स्थिति देखें, मसलन एक सीनियर क्लर्क, जिसका मूल वेतन 30,600 रु है और जिसकी उम्र 54 वर्ष है। इसे 36,92,808 रु अनुग्रह राशि मिलती। यदि इसे फिक्स्ड डिपाॅज़िट में डाला जाता तो यह 8 प्रतिशत् चक्रवृद्धि ब्याज दर से बढ़कर 66,13,256 रु हो जाता। पर, यदि कर्मचारी सर्विस में बना रहता तो उसे 55,52,064रु की आमदनी होती (30,600 मूल वेतन$ 46,512 डी ए, यानि 77,112 प्रतिमाह की दर से 72 माह तक)। इस श्रेणी में भी वी आर एस लेने से उसे 11 लाख रु का लाभ हो रहा है।

इसलिए, आश्चर्य की बात नहीं है कि वी आर एस लेने के लिए मानो भगदड़ सी मच गई। परन्तु, वीआरएस फाॅर्मुला गलत है क्योंकि यह अलग-अलग श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग लाभ देता है, मतलब योजना विषमतापूर्ण परिणाम देती है। ग्रुप डी को सबसे अधिक घाटा लगता है और ग्रुप सी व मध्यम स्तर के प्रबंधकों को सीमित लाभ मिलता है।’’

श्री इलंगो का कहना है कि ‘‘अब पुनरावलोकन करें तो लगता है कि यूनियनों को वीआरएस का विरोध करने के बजाए ‘रिवाइवल प्लान’ में विद्यमान गड़बड़ियों पर अधिक फोकस करना चाहिये था।’’

वी आर एस प्लान तो सफल हुआ, पर क्या बी एस एन एल संकंट से उबर पाएगा?

अब रिवाइवल पैकेज पर नज़र डालें। 17,160 करोड़ रुपये वीआरएस के लिए और 12,768 करोड़ रु सेवानिवृत्ति होने वाले लोगों के लिए सरकारी अनुदान के अलावा रिवाइवल पैकेज में शामिल है 20,120 करोड़ रू का अतिरिक्त अनुदान, जो बी एस एन एल द्वारा 4G स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए प्रयुक्त होगा और 3674 करोड़ रु जो स्पेक्ट्रम पर जीएसटी के लिए खर्च होगा।

साथ में बीएसएनएल पर सोवरेन गारंटी है कि वह बाज़ार से 15,000 करोड़ रु ऋण उगाही करे और 38,000 करोड़ रु परिसम्पत्ति मुद्रीकरण से प्राप्त करे, लेकिन 4G सर्विस लाॅन्च करने के लिए 75,000 करोड़ रु की आवश्यकता होगी।  इसे लाॅन्च के लिए अब 11-15 माह बाकी हैं। इस बीच, कार्यशक्ति आधी से कम हो रही है और सेवानिवृत्ति के बाद जो रिक्त स्थान होंगे उन्हें भरने के लिए तबादले भी होंगे। इससे सेवाएं और उनकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। यह भी सच है कि जिनकी पदोन्नति हुई है वे भी 4G, 5G टेलीफोनी सेवाओं को संचालित करने लायक कौशल-प्राप्त नहीं हैं, और इनकी संख्या ही अधिकतर कार्यशक्ति का निर्माण करती है।

वीआरएस देने के बाद बीएसएनएल वेतन बिल में 8000 करोड़ रु प्रति वर्ष और  एमटीएनएल 2000 करोड़ रु की की बचत करेगा। पर ध्यान देने की बात है कि 2018-19 में बी एसएनएल का वार्षिक घाटा 14,000 करोड़ रु पार कर चुका था और दोनों कम्पनियों का संचित घाटा 40,000 करोड़ रु तक पहुंच गया है। अब यदि बीएसएनएल बाज़ार से 15,000 करोड़ रु की ऋण उगाही करता है तो उसका कुल ऋण 55,000 करोड़ रु तक की अरक्षणीय राशि तक पहुंचेगा, क्योंकि ब्याज का बोझ बना रहेगा। इसके चलते बीएसएनएल कर्ज के जाल में फंसा ही रहेगा।

यदि हम मान भी लें कि 2020 के अन्त तक बीएसएनएल पटरी पर आ जाएगा और रिलायंस जिओ व अन्य बड़ी टेलिकॉम कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा में खड़ा हो जाएगा, जिनका वर्तमान समय में बाज़ार पर कब्ज़ा है, बीएसएनएल के पास 5G सेवा शुरू करने के लिए मात्र 1 साल का समय बाकी होगा, क्योंकि 4G पिछड़ चुका होगा। ट्राय के अध्यक्ष ने 5G लाॅन्च करने का अनुमानित खर्च 7.2 लाख करोड़ रु बताया है, यानि 100 अरब डाॅलर! क्योंकि एयरटेल और वोडाफोन पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टैक्स चोरी के लिए लगाए गए दंड के बाद से वे लगभग दीवालिया हो गए हैं, केवल रिलायंस जिओ मैदान में अकेला खिलाड़ी बचेगा।

 क्या बी एस एन एल 4G और 5G में रिलायंस जिओ के एकाधिकार को टक्कर दे सकेगा? सरकार क्योंकि आर्थिक मंदी के चलते खुद संकट झेल रही है, वह जाहिर तौर पर बहुत बड़ा अनुदान नहीं दे सकती। इसलिए, लगता है कि बीएसएनएल को 5G खेमे में प्रविष्ट कराने के बहाने सरकार भी उसके निजीकरण का रास्ता ले सकती है। 5G परीक्षण के लिए और टावरों के प्रयोग के लिए टाटा कम्पनी पहले से ही बीएसएनएल के साथ संधि कर चुकी है; अब वह बीए एनएल के सभी टावर खरीदने की ओर बढ़ सकती है और उसे पूरी तरह ‘टेकओवर’ करने के बाद 5G स्पेक्ट्रम की मांग कर सकता है। अंबानी भी इस दौड़ में शामिल होगा, क्योंकि बीएसएनएल की कार्यशक्ति अब काफी कम हो चुकी है। लगता है बीएसएनएल रिवाइवल प्लान असल में एक निजीकरण योजना है!

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