NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
समाज
हम भारत के लोग
भारत
राजनीति
हम भारत के लोग:  एक नई विचार श्रृंखला
“हम भारत के लोग” हमारे संविधान की प्रस्तावना (preamble) का पहला ध्येय वाक्य है। जिसके आधार पर हमारे संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य की स्थापना हुई है। इसी को ध्यान में रखकर हम ‘न्यूज़क्लिक’ पर एक नई विचार श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। अपने लोकतंत्र, अपने गणतंत्र को रीक्लेम (reclaim) करने की यह एक छोटी सी कोशिश है, छोटा सा हस्तक्षेप है।
मुकुल सरल
22 Jan 2022
Hum Bharat Ke Log

वर्ष 2022...इस 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र की 72वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। इसी साल हम अपनी आज़ादी की 75वीं सालगिरह भी मनाएंगे जिसे हमारी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव कहा जा रहा है। लेकिन इसी दौरान हम देख रहे हैं नफ़रत इस क़दर बढ़ती (बढ़ाई) जा रही है कि बाक़ायदा ‘धर्म संसद’ करके नरसंहार के ऐलान किए जा रहे हैं और एक राज्य का उपमुख्यमंत्री (यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य) उसकी आलोचना में एक शब्द बोलने से कतरा रहा है, पत्रकार के पूछने पर अपना माइक उतार दे रहा है, उसे धकिया रहा है, धमका रहा है। एक (दो) मुख्यमंत्री (उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ), एक प्रधानमंत्री ( प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) इसे लेकर पूरी तरह ख़ामोश हैं।

एक केंद्रीय मंत्री (गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी) का बेटा किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा देता है और राज्य और उसकी पुलिस ख़ामोश तमाशा देखती है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मंत्री के बेटे की गिरफ़्तारी होती है, लेकिन फिर भी षड्यंत्र का आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अपनी कुर्सी पर बना रहता है।

एक दलित लड़की से बलात्कार होता है, उसकी हत्या होती है (हाथरस कांड), लेकिन राज्य उसका शव भी उसके परिवार के हवाले नहीं करता और राज्य की पुलिस रात के अंधेरे में पेट्रोल या मिट्टी का तेल डालकर शव को जला देती है।

ये कुछ घटनाएं नहीं, ये सैंपल हैं, नमूने हैं, लक्षण हैं कि देश किस तरफ़ जा रहा है या ले जाया जा रहा है।

और हां, भूख, ग़रीबी, रोज़गार, बेरोज़गारी, महंगाई...

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने साल 2021 के अंतिम महीने यानी दिसंबर के बेरोज़गारी दर के आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत की औसत बेरोज़गारी दिसंबर महीने में पिछले 4 महीने में सबसे अधिक ऊंचाई पर पहुंच गई है। यह 7.91% की ऊंचाई पर पहुंच गई है। बेरोज़गारी के मामलों में शहरों की स्थिति ज्यादा खराब है, यहां बेरोज़गारी दर 9.30% है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.28% है।

पढ़ें— रोज़गार के रिपोर्ट कार्ड में मोदी सरकार फिर फेल

देखिए-- क्या है देश में बेरोज़गारी का आलम?

इन आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा की बेरोज़गारी दर 34.1% है। यानी हरियाणा में काम की तलाश में निकले 34% लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है। राजस्थान में यह आंकड़ा 27% का है। बिहार में 16% का है। झारखंड में 17% का है।

उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में बेरोज़गारी दर 2.4 प्रतिशत थी, जो नवंबर 2021 में बढ़कर 4.8 प्रतिशत हो गई।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि "वर्ष 2016 में प्रदेश में 17 प्रतिशत से अधिक बेरोज़गारी दर थी, वही आज यह घटकर मात्र चार से पांच प्रतिशत रह गयी है।" जबकि सच ये है कि 19 मार्च 2017 को जब योगी जी ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी उस समय यूपी की बेरोज़गारी दर सिर्फ़ 2.4 प्रतिशत थी, जो कि नवंबर 2021 में 4.8 प्रतिशत हो गई, यानी दोगुनी।

दूसरा सच यह भी है कि बेरोज़गारी दर के आंकड़े पूरी वास्तविकता को नहीं दिखाते क्योंकि यह केवल उन लोगों को ट्रैक करती है जो काम करने के इच्छुक हैं उन्हें नहीं जो काम मिलने की उम्मीद खो चुके हैं।

साल 2017 में उत्तर प्रदेश का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 38% था। यह घटकर के अगस्त 2021 में 34% पर पहुंच गया।

लेकिन चुनाव में चर्चा सिर्फ़ हिंदू मुस्लिम और मंदिर की हो, इसकी पूरी कोशिश की जा रही है।

ऑक्सफैम (Oxfam) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में 84% परिवारों की आय में गिरावट आई, लेकिन साथ ही साथ भारतीय अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है।

पिछले दिनों रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे के भी नए आंकड़े आए हैं। आरबीआई कुछ महीनों के अंतराल पर देश के 13 बड़े शहरों में रह रहे परिवारों से अर्थव्यवस्था के हाल पर उनकी राय पूछता है। सर्वे में लोगों से यह पूछा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था का हाल पहले से बेहतर है या पहले से ख़राब? तो ख़राब बताने वालों की संख्या, बेहतर बताने वालों से 57% अधिक निकली।

पढ़िए-- RBI कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे: अर्थव्यवस्था से टूटता उपभोक्ताओं का भरोसा

महंगाई...ये तो आप रोज़ भोगते हैं। पेट्रोल-डीज़ल, सरसों का तेल, दाल के दाम, प्याज़-टमाटर इसका हाल आप सबको पता ही है। फिर भी आंकड़े भी देख लीजिए, साल 2021 के दिसंबर महीने के खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी हुए हैं। नेशनल स्टैटिसटिकल ऑफिस के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने की खुदरा महंगाई दर  5.59% पर थी। यह पिछले छह महीनों में खुदरा महंगाई दर का सबसे ऊंचा स्तर था। खुदरा महंगाई दर का यह आंकड़ा इतना ऊंचा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित 6% की महंगाई की सहनशील सीमा को छू रहा है। यानी स्थिति बेहद गंभीर हो गई है।

पढ़िए— खुदरा महंगाई दर में रिकॉर्ड उछाल से आम लोगों पर महंगाई की मार पिछले 6 महीने में सबसे ज़्यादा

इस सबका क्या मतलब है, इस सबका मतलब है कि हमारा-आपका यानी भारतीय नागरिकों का जीवन दिन-प्रतिदिन मुश्किल और मुश्किल होता जा रहा है। हर मोर्चे पर...आर्थिक तौर पर भी, समाजी तौर पर भी। पिछले दिनों आपने देखा ही—

पेगासस, रफ़ाल, भीमा कोरेगांव मामला, दिल्ली दंगें... नोटबंदी, कोविड मिस मैनेजमेंट, मज़दूरों का पलायन, ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार, गंगा में बहती लाशें... नदियों के किनारों पर दफ़्न बेक़फ़न लाशें...

बहुत लंबी फ़ेहरिस्त है मोदी-शाह-योगी राज की नाकामी की...भारतीय नागरिकों के दुख-दर्द की।

और इससे ध्यान हटाने के लिए है- फ़ेक न्यूज़, हेट न्यूज़...

नाम पूछकर, लिबास देखकर लोगों को पीटा जा रहा है, मारा जा रहा है

इस तरह की घटनाएं देखकर लगता है कि देश जैसे कहीं दूर होता जा रहा है...छूटता जा रहा है

...जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही हो

...जैसे हम अपने वतन में ही बेवतन होते जा रहे हैं

हालांकि इसी दौरान शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन जैसे प्रतिरोध खड़े होते हैं जिन्हें देखकर अपने लोकतंत्र में भरोसा और मज़बूत होता है। देश की महिलाओं, किसानों-मज़दूरों की ताक़त का एहसास होता है।

ये ऐसे आंदोलन रहे जिन्हें कुदरत की मार और सत्ता का दमन भी एक इंच न झुका सका, न डिगा सका।

लेकिन ये भी साफ़ दिख रहा है कि जैसे ही ऐसे आंदोलन नज़र से हटते हैं तुरंत नफ़रत सर उठा लेती है। फिर वही वही धर्म-सांप्रदायिकता का ज़हर...हिंदू-मुस्लिम की बातें...

और अब तो चुनाव भी हैं। यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव। जिसे 2024 का सेमी फाइनल समझा रहा है। यानी ख़तरा बड़ा है।

ख़ैर, यही मौका है पूरी ताक़त से एक बार फिर खड़े होने का अपने देश के लिए, अपने हक़-हकूक के लिए। यही वक़्त है अपने लोकतंत्र को रीक्लेम करने का। यही समय है अपने संविधान को अपने हाथों से और ज़ोर से पकड़ने का, क्योंकि उन्हें सबसे ज़्यादा इसी से ख़तरा और घृणा है, वे इसे ही बदल देना चाहते हैं। क्योंकि इसके रहते देश की विवधता, एक रंगी नहीं हो सकती। देश की बहुलता, बहुसंख्यकवाद में नहीं बदल सकती। और उनका ‘हिंदूराष्ट्र’ का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता।

तो आइए जिस संविधान को लागू करने की याद में हम अपने गणतंत्र का उत्सव मनाने जा रहे हैं, उसी की प्रस्तावना, उसी की उद्देशिका फिर से याद करें, ज़ोर ज़ोर से दोहराएं ताकि इसे बदलने का दुस्वप्न देखने वालों के कानों के परदे फट जाएं---

उद्देशिका

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी  पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म

और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता

प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में

व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता

और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता

बढ़ाने के लिए

दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

Hum Bharat Ke Log
Preamble of the Constitution of India
Indian constitution
Constitution of India
republic day
72nd anniversary of the republic
poverty
Employment
unemployment
Inflation
Modi government
Narendra modi
Amit Shah

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

17वीं लोकसभा की दो सालों की उपलब्धियां: एक भ्रामक दस्तावेज़

कार्टून क्लिक: चुनाव ख़तम-खेल शुरू...


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License