हमारे संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 324 के तहत जब निर्वाचन आयोग के गठन का प्रावधान बनाया तो उनकी कल्पना में आज का भारत नही रहा होगा!
हमारे संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 324 के तहत जब निर्वाचन आयोग के गठन का प्रावधान बनाया तो उनकी कल्पना में आज का भारत नही रहा होगा! उन्हें इस बात का अंदाज नही रहा होगा कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति-प्रक्रिया में सरकारी वर्चस्व के चलते यह संवैधानिक संस्था धीरे-धीरे स्वयं भी सरकारी बनती जायेगी! ये सिर्फ, असम, बंगाल या तमिलनाडु के चुनावी-प्रसंग का मामला नहीं है, काफी समय से निर्वाचन आयोग समाज के बड़े हिस्से का भरोसा खोता जा रहा है. कैसे लौटेगा उसमें लोगों का भरोसा, जैसा एक समय टी एन शेषन के दौर में देखा गया? चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए क्यों न अविलंब संविधान संशोधन किये जायं? क्या हो सकती है वैकल्पिक प्रक्रिया? HafteKiBaat में वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विश्लेषण:
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